Tuberculosis TB Disease: मन में टीबी से जुड़ा कोई भी सवाल है, तो तुरंत करें क्लिक, डॉक्टर से जानें इसके लक्षण से लेकर इलाज तक सबकुछ
Tuberculosis TB Disease: टीबी का मरीज सोच में पड़ जाता है, कि आखिर उसे क्या हुआ है और क्या वह ठीक हो पाएगा? जबकि उसके दोस्त-रिश्तेदार भी मरीज की सेहत को लेकर चिंता में पड़ जाते हैं। तो इसी समस्या का समाधान करने के लिए हम आज टीबी से जुड़े सवालों के जवाब आपको देने वाले हैं।
Highlights
- टीबी शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है
- ये बीमारी हवा के जरिए फैलती है
- मरीज कोर्स के बाद पूरी तरह ठीक हो जाता है
Tuberculosis TB Disease: टीबी यानी ट्यूबरकुलोसिस बैक्टीरिया से होने वाली एक ऐसी बीमारी है, जो आजकल आम हो गई है। बड़ी संख्या में रोजाना लोग इसके शिकार हो रहे हैं। सबसे आम फेफड़ों का टीबी होता है और यह हवा के जरिए एक से दूसरे इंसान में फैलता है। टीबी से पीड़ित शख्स के खांसने या छींकने के दौरान मुंह और नाक से निकलने वाली बारीक बूंदें इन्हें फैलाती हैं। फेफड़ों के अलावा ब्रेन, यूटेरस, मुंह, लिवर, किडनी और गले में भी टीबी हो सकता है। टीबी इसलिए जानलेवा होता है क्योंकि ये शरीर के जिस हिस्से पर हो, अगर उसका ठीक से इलाज न कराया जाए, तो वो हिस्सा बुरी तरह प्रभावित हो सकता है। ऐसे में बहुत से लोग हैं, जिनके मन में अकसर इस बीमारी को लेकर तमाम तरह के सवाल होते हैं।
मरीज सोच में पड़ जाता है, कि आखिर उसे क्या हुआ है और क्या वह ठीक हो पाएगा? जबकि उसके दोस्त-रिश्तेदार भी मरीज की सेहत को लेकर चिंता में पड़ जाते हैं। तो इसी समस्या का समाधान करने के लिए हम आज टीबी से जुड़े सवालों के जवाब आपको देने वाले हैं। इसके लिए हमने जाने माने डॉक्टर अजय कोच्चर से बात की है। वह ट्यूबरकुलोसिस और चेस्ट डिजीज स्पेशलिस्ट हैं। वह दिल्ली के संजीवन हॉस्पिटल के अलावा अपने टीबी सेंटर में भी मरीजों का इलाज करते हैं। डॉक्टर कोच्चर के पास करीब 34 साल का अनुभव है। वह 1988 से टीबी के मरीजों का इलाज कर रहे हैं। हमने डॉक्टर कोच्चर से टीबी पर विस्तार से बात की है, जिसमें पूरी कोशिश की गई है कि कोई भी सवाल न छूटे और आपको पूरी जानकारी मिले। ये आर्टिकल का PART-1 है। इससे अगला पार्ट पढ़ने के लिए आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर सकते हैं।
1. टीबी आखिर है क्या?
जवाब- टीबी एक संक्रामक रोग है, जैसे कोविड एक शख्स से दूसरे में जाता है, ठीक वैसे ही टीबी भी हवा के जरिए एक से दूसरे शख्स को संक्रमित करता है। हालांकि कोविड के मुकाबले टीबी काफी धीमी गति से फैलता है। जैसे अगर टीबी का इन्फेक्शन 10 लोगों तक पहुंचेगा, तो वह उनमें से 1 या 2 को होगा। लेकिन कोविड-19 में अगर 10 को देंगे, तो 10 ही लोग संक्रमित हो सकते हैं।
2. ये बीमारी किस तरह किसी को अपना शिकार बनाती है?
जवाब- अगर अस्पताल या कहीं और कोई टीबी का मरीज है, या फिर वहां से होकर गया है, तो हवा में खांसने की वजह से, या छींकने की वजह से, या कई बार बोलने की वजह से, उसका बैक्टीरिया हवा में आ जाता है। और उस बंद एरिया में हम पहुंच जाते हैं। और हमारा शरीर अगर कमजोर है, तो हमें टीबी होने का खतरा रहता है। लेकिन अगर शरीर मजबूत है, तो वो शुरू में ही बैक्टीरिया को मार देगा। जो आमतौर पर स्वस्थ्य लोगों के साथ होता है। उनका शरीर प्रवेश पर ही टीबी के बैक्टीरिया को मार देता है।
3. क्या बिना किसी टीबी मरीज के संपर्क में आए, भी किसी को टीबी हो सकता है? ये कैसे फैलता है?
जवाब- जैसे अगर अस्पताल से कोई टीबी का मरीज बाहर निकला है, अगर कुछ देर हो जाती है, तो बैक्टीरिया हवा में ज्यादा देर तक जिंदा नहीं रहता। ये एयरबॉर्न है, यानी हवा में फैलता है। ये तब फैलता है, जब इसका कोई मरीज आसपास हो, दूसरे को बैक्टीरिया देने के लिए।
4. अगर किसी को टीबी हो गया है, तो उसे कैसे पता चलेगा कि उसे हुआ है?
जवाब- किसी को भी अगर दो हफ्ते से ज्यादा बुखार, या खांसी, या भूख कम होना या वजन कम होना जैसे लक्षण दिखें, तो टीबी हो सकता है। जैसे, कुछ लोगों को आंख का टीबी होता है, तो उनको दिखाई देने में दिक्कत होने लगती है। ब्रेन के टीबी में मिर्गी के दौरे पड़ने लग जाते हैं। तो ये निर्भर करता है कि ये शरीर के किस हिस्से में हुआ है। ये टीबी के आम लक्षण हैं। लेकिन अगर शरीर के दूसरे हिस्से में है, जैसे आंख या ब्रेन में, तो सामान्य लक्षणों के बजाए, लोकल लक्षण दिखने लग जाते हैं। कई बार टीबी के संपर्क के बाद उसके लक्षण दो से तीन हफ्ते में दिखने लगते हैं, तो कई बार दिखने में दो महीने लगते हैं।
5. टीबी का पता लगाने के लिए कौन से टेस्ट किए जाते हैं?
जवाब- पहले डॉक्टर देखता है कि मरीज को क्या समस्या है। सामान्य लक्षणों के बाद पता लगाया जाता है कि टीबी शरीर के किस हिस्से में है। अगर उन्हें आंतों में लगता है, तो वो पेट का CT-Scan करा सकते हैं। ये पूरे शरीर में कहीं पर भी हो सकता है, जैसे घुटने की हड्डी में, रीढ़ की हड्डी में या फिर फेफड़ों में। इसके हिसाब से ही टेस्ट किए जाते हैं।
6. टीबी कितनी तरह का होता है?
जवाब- टीबी कई तरह का होता है-
- ससेप्टिबल टीबी- ये सामान्य टीबी होता है। ये शरीर के किसी भी हिस्से में हो सकता है। इसमें सभी दवाएं काम करती हैं।
- ड्रग रेसिस्टेंट टीबी- इसमें कुछ दवाएं काम नहीं करतीं। लेकिन मेन दवा काम करती है। इसमें फिर पता लगाया जाता है कि कौन सी दवा काम नहीं कर रहीं और कौन सी कर रही हैं। रेसिस्टेंट कई तरह का होता है। उदाहरण के लिए, एमडीआर में सुबह की खाली पेट वाली दवा काम नहीं करती। अगर एक दवा काम कर रही है और दूसरी नहीं कर रही, तो वो प्लेन रेसिस्टेंट टीबी होगा।
- MDR-TB- इसमें प्रमुख यानी मेन दवा काम नहीं करती। एमडीआर को मल्टी ड्रग रेसिस्टेंट कहते हैं।
- XDR-TB- अगर मेन दवा के अलावा कुछ दवाएं काम नहीं करतीं, तो वो एक्सडीआर बन जाता है। ये धीरे-धीरे बढ़ने वाला स्टेज होता है। इसे एक्सटेंडिड रेजिस्टेंट कहते हैं।
- TDR-TB- जिसमें कोई भी दवा काम नहीं करती, उसे टीडीआर कहते हैं। यानी टोटली ड्रग रेसिस्टेंट। इसमें दवाएं चलती रहती हैं, कभी भी बंद नहीं होतीं।
7. टीबी के लक्षण क्या हैं?
जवाब- टीबी के ज्यादातर लक्षणों को लोग अकसर नजरअंदाज करते हैं। इसके सामान्य लक्षण होते हैं-
- 2-3 सप्ताह या अधिक समय के लिए खांसी
- वजन घटना
- बुखार, विशेषकर शाम को आना
- भूख कम लगना
- खांसी के साथ खून आना
- थकान
- सांस फूलना
- रात को पसीना आना
अगर किसी को फेफड़ों का टीबी है, तो सामान्य लक्षण तो दिखेंगे ही, लेकिन अगर उन्हें नजरअंदाज करें, तो मुंह से खून आने लगता है और सांस लेने में तकलीफ होने लगती है, जो पहले नहीं थी। मगर टीबी के फैलने, लक्षणों को नजरअंदाज करने पर ऐसा होने लगता है।
8. बहुत बार होता है, जब मरीज लक्षण दिखने के बावजूद भी अपना चेक अप नहीं कराता, इससे बीमारी बढ़ती जाती है, ऐसे में बीमारी से पीड़ित शख्स को कितना नुकसान पहुंच सकता है?
जवाब- अगर इलाज न कराएं, तो फेफड़े पूरी तरह खराब हो जाते हैं। क्योंकि ये बीमारी फेफड़ों या टिशूज को गलाने वाली बीमारी है, वो गलते जाते हैं। चाहे वो आंत हो, फेफड़े हों, हड्डी हों या कुछ भी हो।
9. इसका इलाज क्या है, मतलब इलाज की पूरी प्रक्रिया क्या है, टीबी के इलाज के कितने फेज यानी चरण होते हैं?
जवाब- इसमें दो चरण होते हैं-
ससेप्टिबल टीबी में पहले 2 महीने के लिए हम ज्यादा दवाईयां देते हैं। ताकि जल्दी से बैक्टीरिया मरें। 2 महीने के बाद दवा कम कर देते हैं। फिर 4 से लेकर 7 महीने तक दवा दी जाती है।
कोर्स या तो 6 महीने का होता है या फिर 9 महीने का होता है। ये शुरू में ही पता चल जाता है कि टीबी कहां का है, उसी के अनुसार, दवा का कोर्स कौन सा देना है, ये निर्धारित किया जाता है।
लेकिन अगर टीबी ब्रेन में या फिर हड्डियों में होता है, तो उसका 1.5 साल का कोर्स होता है।
पहले 2 महीने सबको एक जैसी दवाएं देते हैं। ये पहला चरण है, जो 2 महीने का होता है। इसके बाद वाले चरण को कंटिन्यूएशन फेज कहते हैं। यानी दूसरा चरण।
जो दूसरा चरण है, वो शरीर के किस हिस्से में टीबी है, इस आधार पर अलग-अलग होता है। जैसे हड्डियों में है, तो 16 महीने का कोर्स होता है, कुल कोर्स 18 महीने का है। 2 महीने कंटिन्यूएशन पीरियड होता है और उसके बाद 16 महीने और। पहला चरण तो सबका 2 महीने का होता है। लेकिन दूसरा चरण, इस बात पर निर्भर करता है कि टीबी कहां पर है। जैसे अगर फेफड़ों में टीबी है और थोड़ा है, तो दूसरा चरण 4 महीने का होगा, यानी कुल कोर्स 6 महीने का होगा। वहीं अगर हड्डियों में है, तो दूसरा चरण 16 महीने का होगा। यानी कुल कोर्स 18 महीने का होगा। ठीक इसी तरह, ब्रेन में अगर टीबी है, तो दूसरा चरण 16 महीने का होगा। यानी कुल कोर्स 18 महीने का होगा।
वहीं कुछ मरीजों को 9 महीने तक इलाज दिया जाता है, ये निर्भर करता है कि टीबी शरीर के किस हिस्से में है, जैसे आंत में है, मांसपेशियों में है, या सॉफ्ट टिशू में है। तो उनका कुल 9 महीने का कोर्स होता है। 2 महीने का पहला चरण होता है और दूसरा 7 महीने का होता है। ये सब मरीज की स्थिति और बैक्टीरिया पर निर्भर करता है।
10. अगर किसी को इलाज शुरू किए 6 महीने हो गए हैं, लेकिन फिर भी बुखार आ रहा है या वजन कम हो रहा है या फिर चेहरे पर दाने निकल रहे हैं, तो इसका क्या मतलब है?
जवाब- इसका दवा से लेना देना नहीं है। इसका मतलब ये होता है कि या तो टीबी धीरे ठीक हो रहा है या कोई और समस्या साथ में आ गई है, जैसे एलर्जी या कोई और चीज। या फिर रेसिस्टेंट आ गई है।