Tshering Tobgay: भूटान के पूर्व प्रधानमंत्री शेरिंग तोबगे ने रविवार को कहा कि भारत और चीन को “अपनी राजनीति को अपने पड़ोसी देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने की अनुमति नहीं देनी चाहिए।” एक कार्यक्रम के दौरान पूर्व विदेश सचिव श्याम सरन के एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि जब तक भारत और चीन की भौगोलिक सीमाओं के बीच स्थित देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप होता रहेगा, तब तक ऐसे देशों के लिए उन्नति करना कठिन होगा।
सवाल पड़ोसी देशों की उन्नति का है
सेंटर फॉर पॉलिसी रिसर्च नामक थिंक टैंक की ओर से आयोजित एक व्याख्यान में तोबगे ने कहा, “मुझे लगता है कि भारत और चीन दोनों देशों को अपनी राजनीति को पड़ोसी देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप की अनुमति नहीं देनी चाहिए।” उन्होंने कहा, “जब तक पड़ोसी देशों के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप होता रहेगा तब तक मेरा मानना है कि इन देशों के लिए उन्नति करना कठिन होगा।” उन्होंने कहा, “सवाल पड़ोसी देशों का है, जो देश भौगोलिक सीमा के बीच स्थित हैं, वे उन्नति कर पाएंगे या नहीं।”
भारत ने अपने पड़ोसियों के प्रति प्रतिबद्धता दर्शाई है
भूटान के पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा, “चीन वृद्धि करेगा, वे पहले से वृद्धि कर रहे हैं और करते रहेंगे। भारत वृद्धि कर रहा है… और चूंकि इसकी जनसंख्या सबसे ज्यादा है और सबसे युवा है इसलिए इसकी वृद्धि को कोई रोक नहीं सकता।”उन्होंने कहा, “सवाल पड़ोसी देशों का है, जो देश भौगोलिक सीमा के बीच स्थित हैं, वे उन्नति कर पाएंगे या नहीं।” तोबगे ने कहा कि भारत ने अपने पड़ोसियों के प्रति प्रतिबद्धता दर्शाई है, लेकिन वे इस अवसर को सार्थक क्षेत्रीय सहयोग में बदल पाने में विफल रहे हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत को संयुक्त राष्ट्र का स्थाई सदस्य बनाया जाना चाहिए, क्योंकि इससे दुनिया को बहुत लाभ हो सकता है।
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