आज है साल का सबसे छोटा दिन, सिर्फ 10 घंटे 41 मिनट रहेगी रोशनी, जानिए वजह
साल में आज 22 दिसंबर का दिन खगोलीय घटनाक्रम के लिहाज से सबसे अहम है। आज दिन की अवधि सबसे कम रहेगी। वहीं रात सबसे लंबी रहेगी। खगोलीय घटनाक्रम की वजह से आज सूर्यास्त सबसे जल्दी शाम को 5.46 मिनट पर ही हो जाएगा। वहीं रात 13 घंटे 19 मिनट लंबी होगी।
आज 22 दिसंबर है...साल का सबसे छोटा दिन। इस दिन रोशनी सिर्फ 10 घंटे 41 मिनट ही रहेगी। साल के चार दिन सबसे अहम होते हैं। जहां 22 दिसंबर को सबसे छोटा दिन होता है, वहीं 21 जून सबसे बड़ा दिन होता है। इसी तरह 21 मार्च और 23 सितंबर साल के दो ऐसे दिन होते हैं, जब दिन और रात की अवधि बराबर होती है। लेकिन इन तारीखों में ऐसा सिर्फ उत्तरी गोलार्ध में होता है। जानिए 22 दिसंबर को सबसे छोटा दिन क्यों होता है।
आज होगी सबसे लंबी रात 13 घंटे 19 मिनट की
इस साल का सबसे छोटा दिन आज 22 दिसंबर को है। इसकी वजह खगोलीय घटनाक्रम है। आज का दिन 10 घंटे 41 मिनट की अवधि का होगा और रात 13 घंटे 19 मिनट की। हालांकि आपके स्थान पर भी निर्भर करता है रोशनी और अंधेरे का समय। सूर्य के चारों तरफ पृथ्वी के चक्कर लगाने के समय 22 दिसंबर 2022 को सूर्य मकर रेखा पर लंबवत होगा। मकर रेखा पर लंबवत होने के कारण दक्षिण गोलार्ध में दिन बड़े रहेंगे और उत्तरी गोलार्ध में दिन छोटे रहेंगे।
इससे धरती के उत्तरी गोलार्द्ध में सबसे छोटा दिन और सबसे बड़ी रात होगी। अगर आप मध्य भारत की बात करें तो वहां पर सूर्योदय सुबह 7.05 मिनट पर होगा। वहीं शाम को 5.46 मिनट पर सूर्य अस्त होगा। यानी दिन का समय 10 घंटे 41 मिनट होगा और रात 13 घंटे 19 मिनट की होगी।
क्यों होता है आज सबसे छोटा दिन, जानिए कारण
इस दिन सूर्य की रोशनी का एंगल 23 डिग्री 26 मिनट 17 सेकंड दक्षिण की तरफ होगी। अगले साल 21 मार्च सूर्य विषुवत रेखा पर होगा, तब दिन-रात बराबर समय के होंगे। इसे अंग्रेजी में विंटर सॉल्सटिस कहते हैं। सॉल्सटिस एक लैटिन शब्द है जो सोल्स्टिम से बना हुआ है। लैटिन शब्द सोल का अर्थ होता है सूर्य जबकि सेस्टेयर का अर्थ होता है स्थिर रहना। इन दोनों शब्दों को मिलाकार सॉल्सटिस शब्द बना है जिसका अर्थ है सूर्य का स्थिर रहना। इसी प्राकृतिक बदलाव की वजह से ही 22 दिसंबर को सबसे छोटा दिन और सबसे लंबी रात होती है। दूसरे ग्रहों की तरह पृथ्वी भी 23.5 डिग्री पर झुकी हुई है। अपने अक्ष पर झुकी होने के कारण पृथ्वी के घूमने से सूर्य की किरणें एक जगह अधिक और दूसरी जगह कम पड़ती हैं।
बता दें, विंटर सॉल्सटिस के समय दक्षिणी गोलार्द्ध (Hemisphere) में सूर्य की रोशनी ज्यादा पड़ती है। वहीं, उत्तरी गोलार्द्ध में सूरज की रोशनी कम पड़ती है। इसी वजह से आज के दिन दक्षिणी गोलार्द्ध में सूरज ज्यादा देर तक रहता है, जिससे यहां का दिन लंबा होता है। अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका जैसे देशों में आज से गर्मी की शुरुआत हो जाती है।