सुप्रीम कोर्ट ने नीतीश सरकार से शराबबंदी को लेकर किया सवाल, पूछा- इससे क्या फायदा हुआ?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस कानून को लेकर राज्य सरकार की मंशा पर सवाल नहीं उठा रहा है, लेकिन वह इस बारे में चिंतित है कि उसके पास काफी संख्या में जमानत के लिए अर्जियां आ रही हैं, जिसका एक बड़ा हिस्सा शराबबंदी कानून से जुड़ा हुआ है।
नई दिल्ली: बिहार में पिछले कई वर्षों से शराब बेचना और पीना गैरकानूनी है। अगर कोई भी व्यती शराब बेचते या पीते हुए पका जाता है तो उसे जेल भेज सिया जाता है और इस वजह से बिहार की जेलों में शराबबंदी की वजह से हजारों कैदी बंद है। बिहार की जेलें ओवरफुल हैं। अब इसी से जुड़े एक मामले पे सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बिहार सरकार से सवाल किया कि राज्य में शराबबंदी कानून लागू किये जाने से पहले क्या उसने कोई अध्ययन किया था या इसके बाद शराब की खपत घट जाने का उसके पास कोई आंकड़ा है?
हम कानून की मंशा पर नहीं उठा रहे सवाल - कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह इस कानून को लेकर राज्य सरकार की मंशा पर सवाल नहीं उठा रहा है, लेकिन वह इस बारे में चिंतित है कि उसके पास काफी संख्या में जमानत के लिए अर्जियां आ रही हैं, जिसका एक बड़ा हिस्सा शराबबंदी कानून से जुड़ा हुआ है। न्यायमूर्ति के.एम. जोसेफ, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी और न्यायमूर्ति बी.वी. नागरत्ना की पीठ ने बिहार के मधुबनी जिला निवासी अनिल कुमार नाम के एक व्यक्ति को अग्रिम जमानत देते हुए राज्य सरकार से यह सवाल किया। बता दें कि कुमार के वाहन से 2015 में कथित तौर पर 25 लीटर से अधिक शराब बरामद की गई थी।
इस कोर्ट में बिहार से बड़ी संख्या में आ रहीं जमानत याचिका - सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार के वकील की दलील खारिज कर दी, जिसमें कुमार की अग्रिम जमानत अर्जी का विरोध किया गया था। पीठ ने राज्य सरकार के वकील से सवाल किया, ‘‘क्या आप जानते हैं कि कितनी संख्या में बिहार से जमानत अर्जियां इस न्यायालय में आ रही हैं? इन जमानत अर्जियों का एक बड़ा हिस्सा राज्य के मद्यनिषेध अधिनियम से संबद्ध है। क्या कोई अध्ययन किया गया है या यह प्रदर्शित करने के लिए कोई अनुभवजन्य आंकड़ा है कि मद्यनिषेध अधिनियम के चलते राज्य में शराब की खपत घट गई है?’’
न्यायमूर्ति जोसेफ ने कहा, ‘‘हम कानून को लेकर आपकी मंशा पर सवाल नहीं उठा रहे हैं, बल्कि इस न्यायालय में आ ही जमानत अर्जियों के बारे में सत्यता से आपको अवगत करा रहे हैं। यह न्यायिक प्रणाली पर एक बोझ डाल रहा है। कोई अध्ययन किये बगैर कानून बनाने पर यही होता है।’’ राज्य सरकार के वकील ने जब आरोप लगाया कि कुमार के वाहन से भारी मात्रा में विदेशी शराब बरामद की गई थी, न्यायमूर्ति मुरारी ने कहा, ‘‘क्या आपको लगता है कि 25 लीटर शराब बहुत अधिक मात्रा है?’’ कुमार की ओर से पेश हुए अधिवक्ता प्रदीप यादव ने दलील दी कि उनके मुवक्किल को मामले में फंसाया गया है क्योंकि उनकी कार उनके नाम पर पंजीकृत थी और दावा किया कि शराब की बरामदगी के समय वह वाहन में नहीं थे।
2015 का है मामला
उन्होंने कहा, ‘‘उनके खिलाफ मामला तीन नवंबर 2015 को दर्ज किया गया था।’’ पीठ ने कुमार को अग्रिम जमानत देते हुए कहा कि मामले में उसकी गिरफ्तारी की स्थिति में उसे जमानत पर रिहा किया जाएगा। कुमार ने पटना हाईकोर्ट के 16 दिसंबर 2022 आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने उसकी अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी थी। वहीं, इससे पहले निचली अदालत ने मामले में उसकी जमानत अर्जी 20 सितंबर 2022 को खारिज कर दी थी।
इनपुट - भाषा