नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा सभी टेलीविजन चैनलों के लिए सख्त रवैया अपनाया जा रहा है। सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने आज (9 जनवरी) सभी टेलीविजन चैनलों को एक एडवाइजरी जारी की है कि वे महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों के खिलाफ हिंसा, एक्सीडेंट और मौत की ऐसी घटनाओं की रिपोर्टिंग न करें जो 'गुड टेस्ट और शालीनता' से पूरी तरह समझौता करती हों। मंत्रालय द्वारा टेलीविजन चैनलों द्वारा विवेक की कमी के कई मामलों पर ध्यान दिए जाने के बाद यह सलाह जारी की गई है।
बच्चों पर पड़ सकता है उल्टा मनोवैज्ञानिक प्रभाव: एडवाइजरी
मंत्रालय ने कहा है कि टेलीविजन चैनलों ने लोगों के शवों और घायल व्यक्तियों के फोटो और वीडियो को चारों ओर खून के छींटों के साथ दिखाया है। बहुत करीबी शॉट्स में दिखाया गया है कि महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों सहित लोगों को बेरहमी से पीटा जा रहा है। एक टीचर द्वारा एक बच्चे को लगातार पीटा जा रहा है और वो रो रहा है, इस शॉट को कई बार दिखाया गया और ब्लर भी नहीं किया गया। इसमें कहा गया है कि इस तरह की घटनाओं की रिपोर्टिंग का तरीका दर्शकों के लिए रुचि पैदा नहीं करता और ये परेशान करने वाला भी है।
एडवाइजरी में कहा गया है कि इस तरह की रिपोर्टिंग का बच्चों पर उल्टा मनोवैज्ञानिक प्रभाव भी पड़ सकता है। इसके अलावा ये प्राइवेसी के हनन का एक महत्वपूर्ण मुद्दा भी है जो संभावित रूप से निंदा और मानहानि वाला हो सकता है। इसमें ये भी कहा गया है कि टेलीविजन, एक ऐसा मंच है, जिसे घर के सभी लोग देखते हैं, जोकि ब्रॉडकास्टर्स के लिए जिम्मेदारी और अनुशासन की एक निश्चित भावना पैदा करता है।
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