नयी दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने महाराष्ट्र विधानसभा से 12 भाजपा विधायकों के एक साल के निलंबन को असंवैधानिक बताते हुए रद्द कर दिया है। पीठासीन अधिकारी के साथ कथित रूप से दुर्व्यवहार करने के आरोप में विधायकों को एक साल के लिए निलंबित कर दिया गया था।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विधायकों का निलंबन सिर्फ उसी सत्र के लिए हो सकता है जिस सत्र में हंगामा हुआ हो। सुप्रीम कोर्ट ने पिछली सुनवाई के दौरान भी इस मसले पर तल्ख टिप्पणी की थी।
जस्टिस एएम खानविलकर, जस्टिस दिनेश माहेश्वरी और जस्टिस सी टी रविकुमार की पीठ ने कहा, ‘‘ हमें इन रिट याचिकाओं को स्वीकार करने में कोई संकोच नहीं है और जुलाई 2021 में हुए संबंधित मानसून सत्र की शेष अवधि के बाद तक के लिए इन सदस्यों को निलंबित करने वाला प्रस्ताव कानून की नजर में असंवैधानिक, काफी हद तक अवैध और तर्कहीन है।’’
पीठ ने कहा कि अत:, इस प्रस्ताव को कानून में निष्प्रभावी घोषित किया जाता है, क्योंकि यह उस सत्र की अवधि के बाद तक के लिए था, जिसमें यह प्रस्ताव पारित हुआ था। शीर्ष अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता जुलाई 2021 में शेष सत्र की अवधि समाप्त होने पर और उसके बाद विधानसभा के सदस्य होने के सभी लाभों को पाने के हकदार हैं।
निलंबित होने वाले विधायकों में आशीष शेलार, संजय कुटे, गिरीज महाजन, योगेश सागर, हरीश पिंपले, अतुल भातरखलकर, अभिमन्यु पवार, बंटी बांगडीया और नारायण कुचे के नाम शामिल हैं।
इन 12 विधायकों को किया गया था निलंबित
- आशिष शेलार (बांद्रा पश्चिम)
- अभिमन्यू पवार (औसा)
- गिरीश महाजन (जामनेर)
- पराग अलवणी (विलेपार्ले)
- अतुल भातखलकर (कांदिवली पूर्व)
- संजय कुटे (जामोद, जळगाव)
- योगेश सागर (चारकोप)
- हरीश पिंपळे (मूर्तीजापूर)
- जयकुमार रावल (सिंधखेड)
- राम सातपुते (मालशिरस)
- नारायण कुचे (बदनापूर, जालना)
- बंटी बागड़िया (चिमूर)
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