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Hindi News भारत राष्ट्रीय शिक्षक ने फॉर्म में नहीं किया आपराधिक मामले का खुलासा, सुप्रीम कोर्ट ने सुना दिया ये फैसला

शिक्षक ने फॉर्म में नहीं किया आपराधिक मामले का खुलासा, सुप्रीम कोर्ट ने सुना दिया ये फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सिविल पदों पर नौकरी की चाहत रखने वाले कर्मचारियों को पूर्ण भरोसे और सच्चाई के साथ कार्य करना चाहिए। इस फैसले के साथ ही अदालत ने एक शिक्षक की बर्खास्तगी बरकरार रखी।

Supreme Court upheld the dismissal of teacher for not disclosing the criminal case against him- India TV Hindi Image Source : FILE PHOTO Supreme Court upheld the dismissal of teacher for not disclosing the criminal case against him

Highlights

  • शिक्षक ने आपराधिक मामले का नहीं किया जिक्र
  • उच्चतम न्यायालय ने बर्खास्तगी रखी बरकरार
  • 2008 में सेवा से कर दिया गया था सस्पेंड

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सिविल पदों पर नौकरी की चाहत रखने वाले कर्मचारियों को पूर्ण भरोसे और सच्चाई के साथ कार्य करना चाहिए। इस फैसले के साथ ही शीर्ष अदालत ने एक शिक्षक को आधिकारिक प्रपत्र (फॉर्म) में अपने खिलाफ दर्ज आपराधिक मामले का खुलासा न करने के मामले में उसकी बर्खास्तगी बरकरार रखी। 

शिक्षक की नियुक्ति 1999 में गणित के शिक्षक के तौर पर हुई और उसे 2008 में सेवा से सस्पेंड कर दिया गया था। शिक्षक को सेवा से हटाने का निर्णय तब लिया गया था, जब यह पता चला कि उसने राजस्थान में अपने खिलाफ मामला दर्ज करने की जानकारी छुपाई थी। न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति वी. रमासुब्रमण्यम ने 31 मार्च को जारी अपने आदेश में कहा कि मौजूदा मामले में शिक्षक युवा विद्यार्थियों के करियर को संवारने के लिए जिम्मेदार थे, लेकिन वह झूठ पर आधारित अपने आचरण से उन बच्चों को क्या संदेश देंगे? 

केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (CAT) ने सेवा से सस्पेंड किये जाने के फैसले के खिलाफ शिक्षक की याचिका खारिज कर दी, लेकिन शिक्षक की अपील पर दिल्ली हाई कोर्ट ने 2012 में कैट के आदेश को निरस्त कर दिया था। इसके बाद दिल्ली सरकार ने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था, जिसने अपील मंजूर करते हुए शिक्षक की बर्खास्तगी को सही ठहराया। 

पीठ ने कहा, ‘‘हम पाते हैं कि प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक के पद पर नियुक्ति के लिए आवेदन करने वाला शिक्षक निरक्षर या अशिक्षित व्यक्ति नहीं है, जिसे ‘प्रोस्क्यूशन’ (अभियोग) शब्द का अर्थ पता न हो।’’ अपने आदेश में पीठ ने कहा कि नौकरी हासिल करने वाले व्यक्ति का पिछला रिकॉर्ड इस प्रकृति का नहीं होना चाहिए कि उसे उस पद के लिए अयोग्य घोषित कर दिया जाए।

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