नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के धार जिले में भोजशाला परिसर का भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के सर्वे पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है। इससे मुस्लिम पक्ष को तगड़ा झटका लगा है। एएसआई सर्वे के खिलाफ याचिका पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने केंद्र सरकार, एएसआई और मध्य प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया। भोजशाला में सर्वे पर रोक की मांग को लेकर मौलाना कमाल वेलफेयर सोसाइटी ने याचिका दाखिल की थी।
कोर्ट ने दिया ये निर्देश
सुप्रीम कोर्ट ने अंतरिम निर्देश में कहा है कि सर्वेक्षण के नतीजे के आधार पर उसकी अनुमति के बिना कोई कार्रवाई नहीं की जानी चाहिए। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि विवादित स्थलों पर कोई भौतिक खुदाई नहीं की जानी चाहिए जिससे इसका स्वरूप बदल जाए।
कई दिन से चल रहा सर्वे
बता दें कि भोजशाला-कमाल मौला मस्जिद परिसर में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) के अदालत की निगरानी में किए जा रहे सर्वेक्षण के तहत खुदाई की प्रक्रिया जारी है। सर्वेक्षण की जानकारी रखने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि खुदाई के दौरान एकत्रित मिट्टी और पत्थर एएसआई द्वारा सुरक्षित रखे जा रहे हैं। यह सर्वेक्षण 22 मार्च को शुरू हुआ था।
हिंदुओं का प्रतिनिधित्व करने वाले आशीष गोयल इस प्रक्रिया के दौरान एएसआई दल के साथ रहे। उन्होंने कहा कि नयी वैज्ञानिक पद्धतियों, ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार (जीपीआर), ग्लोबल पॉजिशनिंग सिस्टम (जीपीएस), कार्बन डेटिंग का इस्तेमाल कर बिना किसी विराम के सर्वेक्षण किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि परिसर की वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी भी करायी जा रही है।
क्या है विवाद
हिंदू और मुस्लिम दोनों इस परिसर पर अपना दावा जता रहे हैं। हिंदू भोजशाला को वाग्देवी को समर्पित एक मंदिर मानते हैं जबकि मुस्लिम उसे कमाल मौला मस्जिद बताते हैं। एएसआई के सात अप्रैल 2003 को जारी आदेश के अनुसार तय व्यवस्था के मुताबिक हिंदुओं को प्रत्येक मंगलवार भोजशाला में पूजा करने की अनुमति है, जबकि मुस्लिमों को हर शुक्रवार इस जगह पर नमाज अदा करने की अनुमति दी गई है।
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