Supreme Court On Smoking: सुप्रिम कोर्ट ने शुक्रवार को धूम्रपान करने की उम्र सीमा 18 से बढ़ाकर 21 साल करने के लिए दिशानिर्देश देने का अनुरोध करने वाली एक याचिका को खारिज कर दिया। इस याचिका में शिक्षा और अस्पताल से जुड़े संस्थानों और प्रार्थना स्थलों के पास खुदरा सिगरेट की बिक्री पर पाबंदी लगाने का भी अनुरोध किया गया है। न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति सुधांशू धुलिया की पीठ ने दो अधिवक्ताओं की ओर से दायर इस याचिका को खारिज कर दिया। याचिका को खारिज करते हुए पीठ ने कहा, ‘‘यदि आप प्रचार चाहते हैं, तो अच्छे केस पर बहस करिये, प्रचार हित याचिका नहीं दायर करें।’’ शीर्ष अदालत उस जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसे दिशानिर्देश देने का अनुरोध करते हुए अधिवक्ता शुभम अवस्थी और सप्त ऋषि मिश्रा की ओर से दायर किया गया था। याचिका में वाणिज्यिक स्थलों से धूम्रपान क्षेत्र को हटाने का भी अनुरोध किया गया था।
धूम्रपान के लिए नियम
सावर्जनिक स्थानों पर धूम्रपान नषेध नियम-2008 के अनुसार कसी सावर्जनक स्थान, कार्यस्थल, शॉपिंग मॉल, हवाई अड्डा, बस और रेलवे स्टेशन, होटल, सनेमा घर की दकानों और रेस्तराओं में धूम्रपान करने की अनुमती नहीं है। धूम्रपान करने के लिए अलग स्थान की व्यवस्था करने की अनुमति दी जा सकती है जहां कोई अन्य सेवाएं उपलब्ध कराने की अनुमति नहीं होगी। 30 अथवा इससे अधिक कमरे वाले होटल और 30 अथवा इससे अधिक मेज वाले रेस्तराओं में धूम्रपान क्षेत्र की व्यवस्था की जा सकती है। इस अधिनियम में सभी सावर्जनक स्थान पर अनिवार्य रूप से स्पष्ट चिन्हों अर्थात "यहां धूम्रपान पूर्णरूपेण वर्जित है" को प्रदर्शित करने का प्रावधान है।
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