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Hindi News भारत राष्ट्रीय Supreme Court on Freebies: मुफ्त चुनावी वादों पर सुप्रीम कोर्ट में आज फिर सुनवाई, एक्सपर्ट कमेटी का हो सकता है गठन

Supreme Court on Freebies: मुफ्त चुनावी वादों पर सुप्रीम कोर्ट में आज फिर सुनवाई, एक्सपर्ट कमेटी का हो सकता है गठन

Supreme Court on Freebies : पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने अपना पक्ष रखा था। सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर विचार करने के लिए एक्सपर्ट कमेटी गठित करने पर विचार कर रही है।

Supreme Court- India TV Hindi Image Source : INDIA TV Supreme Court

Highlights

  • सरकार ने भी दिया एक्सपर्ट कमेटी के गठन का सुझाव
  • आम आदमी पार्टी ने बताया मौलिक अधिकारों का उल्लंघन

Supreme Court on Freebies : चुनावों में मुफ्त योजनाओं की घोषणा करने की राजनीतिक दलों की प्रवृति  या फिर कहें तो रेवड़ी कल्चर पर सुप्रीम कोर्ट सख्त है। आज फिर इस मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होनी है। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने अपना पक्ष रखा था। सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे पर एक्सपर्ट कमेटी गठित करने पर विचार कर रही है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि एक्सपर्ट कमेटी में वित्त आयोग, नीति आयोग, रिजर्व बैंक, लॉ कमीशन, राजनीतिक पार्टियों समेत दूसरे पक्षों के प्रतिनिधि भी होने चाहिए।

एक्सपर्ट कमेटी के गठन का सुझाव

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने एक्सपर्ट कमेटी के गठन को लेकर सुझाव दिया था। उन्होंने कहा था वह एक ऐसी कमेटी का प्रस्ताव रख रहे हैं जिसमें केंद्र सरकार के सचिव, प्रत्येक राज्य सरकार के सचिव, प्रत्येक राजनीतिक दल के प्रतिनिधि, नीति आयोग के प्रतिनिधि, आरबीआई, वित्त आयोग और राष्ट्रीय करदाता संघ शामिल है।

कोर्ट की तरफ से मांगे गए थे सुझाव

इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमण की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय बेंच कर रही है। कोर्ट केंद्र सरकार, याचिकाकर्ता और वकील कपिल सिब्बल से इस मामले को लेकर सुझाव मांग चुकी है। कोर्ट पहले ही यह कह चुका है कि चुनाव में मुफ्त की योजनाओं से सरकारी खजाने को नुकसान पहुंचता है। कोर्ट ने भारत सरकार और चुनाव आयोग से ऐसी योजनाओं पर विचार करने के लिए कहा था।

आम आदमी पार्टी ने बताया था मौलिक अधिकारों का उल्लंघन

वहीं इस मामले में आम आदमी पार्टी ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि विधायी मदद के बिना चुनावी भाषणों पर रोक, भाषण और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार का उल्लंघन होगा। आप ने अपनी दलीलों में कहा, 'इस तरह का प्रतिबंध , कार्यपालिका या न्यायपालिका के जरिए, संविधान के अनुच्छेद 19 (1) (ए) के तहत दिए गए अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को प्रभावित करेगा।

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