नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की फ्री राशन योजना पर बड़ी टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा कि कब तक लोगों को मुफ्त में राशन बांटा जाएगा। सरकार रोजगार के अवसर क्यों नहीं पैदा कर रही है। केंद्र सरकार की तरफ से सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया गया कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम2013 के तहत 81 करोड़ लोगों को मुफ्त में राशन दिया जा रहा है। इस पर जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस मनमोहन की पीठ ने कहा कि इसका मतलब सिर्फ टैक्स देने वाले ही इस योजना से बाहर हैं।
....तो प्रवासी मजदूर यहां से चले जाएंगे
एक एनजीओ की तरफ से पेश हुए वकील प्रशांत भूषण ने मांग की कि ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत सभी प्रवासी श्रमिकों को मुफ्त राशन देने के निर्देश दिए जाने चाहिए। वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि अदालत द्वारा समय-समय पर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को प्रवासी श्रमिकों को राशन कार्ड जारी करने के निर्देश जारी किए गए हैं ताकि वे केंद्र द्वारा प्रदान किए जाने वाले मुफ्त राशन का लाभ उठा सके।
जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि जब राज्यों को सभी प्रवासी मजदूरों को मुफ्त राशन मुहैया कराने का निर्देश दिया जाएगा तो प्रवासी मजदूर यहां नहीं दिखेंगे। यहां से चले जाएंगे। राज्य सरकारें तो लोगों को खुश करने के लिए राशन कार्ड जारी कर सकती हैं क्योंकि उनको पता है कि मुफ्त राशन मुहैया कराना केन्द्र सरकार की जिम्मेदारी है।
नवाई के दौरान कोर्ट ने की ये टिप्पणी
अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि पहले से ही 81.35 करोड़ लोगों को एनएफएसए के तहत लाभ मिल रहा है। इस पर एनजीओ की तरफ से पेश वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि कोरोना महामारी के गरीब लोगों की स्थिति वास्तव में खराब हो गई है क्योंकि बेरोजगारी काफी बढ़ गई है। इस पर न्यायमूर्ति कांत ने मौखिक रूप से टिप्पणी की कि फिर इस बात पर विचार किया जाना चाहिए कि रोजगार पैदा करने के लिए क्या किया जा सकता है।
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