"टीएन शेषन एक ही हुए हैं"... सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व चुनाव आयुक्त को किया याद, लालू से लेकर पीएम नरसिम्हा राव तक से लिया पंगा, आखिर क्यों होता है बार-बार जिक्र?
Supreme Court-T N Seshan: सुप्रीम कोर्ट ने देश के पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन को याद करते हुए कहा कि वह मुख्य चुनाव आयुक्त के तौर पर टीएन शेषन की तरह के सुदृढ़ चरित्र वाले व्यक्ति को चाहता है।
भारत के लोकतंत्र की जब-जब चर्चा होगी, तब-तब पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन को याद किया जाएगा। उन्हें इस दुनिया से विदा हुए तीन साल से ज्यादा का वक्त हो गया है। लेकिन काम के प्रति उनकी वफादारी के चलते वह हमेशा याद किए जाएंगे। अब वो एक बार फिर चर्चा में हैं। इसके पीछे का कारण ये है कि सुप्रीम कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई करते हुए मंगलवार को टीएन शेषन को याद किया। देश की सबसे बड़ी अदालत की पांच जजों वाली पीठ ने शेषन का जिक्र करते हुए कहा कि चुनाव आयुक्त के कंधों पर बहुत सारी जिम्मेदारियां होती हैं। इसी वजह से इस पद पर ऐसे शख्स की जरूरत है, जिसे दबाया न जा सके। कोर्ट के इस बयान से पता चलता है कि टीएन शेषन ने अपने काम से किस तरह की छाप छोड़ी थी।
सुप्रीम कोर्ट ने टीएन शेषन के लिए क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान ने मुख्य निर्वाचन आयुक्त और दो निर्वाचन आयुक्तों के ‘नाजुक कंधों’ पर बहुत जिम्मेदारियां सौंपी हैं और वह मुख्य चुनाव आयुक्त के तौर पर टीएन शेषन की तरह के सुदृढ़ चरित्र वाले व्यक्ति को चाहता है। पीठ ने कहा, ‘‘अनेक मुख्य निर्वाचन आयुक्त हुए हैं, लेकिन टीएन शेषन एक ही हुए हैं। तीन लोगों (दो चुनाव आयुक्तों और मुख्य निर्वाचन आयुक्त) के कमजोर कंधों पर बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गई है। हमें मुख्य निर्वाचन आयुक्त के पद के लिए सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति को चुनना होगा। सवाल है कि हम सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति को कैसे चुनें और कैसे नियुक्त करें।’’ पीठ में न्यायमूर्ति अजय रस्तोगी, न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस, न्यायमूर्ति ऋषिकेश रॉय और न्यायमूर्ति सी टी रविकुमार शामिल हैं।
पीठ ने केंद्र की ओर से मामले में पक्ष रख रहे अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से कहा, ‘‘महत्वपूर्ण यह है कि हम एक अच्छी प्रक्रिया बनाएं, ताकि योग्यता के अलावा सुदृढ़ चरित्र के किसी व्यक्ति को मुख्य निर्वाचन आयुक्त नियुक्त किया जाए।’’ उन्होंने कहा कि किसी को इस पर आपत्ति नहीं हो सकती और उनके विचार से सरकार भी सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति की नियुक्ति का विरोध नहीं करेगी, लेकिन सवाल यह है कि यह कैसे किया जा सकता है। पीठ ने कहा कि 1990 से विभिन्न वर्गों से निर्वाचन आयुक्तों समेत संवैधानिक निकायों के लिए कॉलेजियम जैसी प्रणाली की मांग उठती रही है और एक बार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने इसके लिए पत्र लिखा था। न्यायमूर्ति के एम जोसफ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने कहा कि उसका प्रयास एक प्रणाली बनाने का है, ताकि सर्वश्रेष्ठ व्यक्ति मुख्य निर्वाचन आयुक्त बने।
आपको बता दें, शेषन केंद्र सरकार में पूर्व कैबिनेट सचिव थे और उन्हें 12 दिसंबर, 1990 को मुख्य निर्वाचन आयुक्त नियुक्त किया गया था। उनका कार्यकाल 11 दिसंबर, 1996 तक रहा। उनका निधन 10 नवंबर, 2019 को हो गया था।
बिहार में चुनाव कराकर बने थे हीरो
बिहार में 1990 का दशक ऐसा वक्त था, जब वहां निष्पक्ष चुनाव करा पाना काफी मुश्किल था। यहां बूथ कैप्चरिंग होना काफी आम बात थी। और हैरान करने वाली बात ये थी कि बूथ कैप्चरिंग में गुंडे मवालियों के बजाय राजनीतिक पार्टियों का हाथ होता था। टीएन शेषन ने तब अपने सुधार अभियान की शुरुआत की। ये शुरुआत 1995 से बिहार विधानसभा चुनाव से की गई। इसी वजह से तब बिहार की सत्ता पर काबिज और आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव और टीएन शेषन के रिश्ते बहुत अच्छे नहीं थे।
लालू ने क्यों कहा था पगला सांड?
बिहार में 1995 में विधानसभा चुनाव कराए गए और इन चुनावों के बाद लालू प्रसाद यादव टीएन शेषन का नाम तक नहीं सुनना चाहते थे। जानकारी के मुताबिक, पत्रकार संकर्षण ठाकुर की किताब 'बंधु बिहारी' में टीएन शेषन से लालू के तल्ख रिश्तों के कई किस्से लिखे हैं। मतलब ये कि लालू और शेषन के बीच विधानसभा चुनाव के दौरान जो कुछ हुआ, उन किस्सों को बंधु बिहारी किताब में लिखा गया है। ऐसा कहा जाता है कि चुनाव के दौरान लालू के आवास पर जो अनौपचारिक बैठकें हुआ करती थीं, उनमें जब भी वह गुस्से में होते थे, तो उस गुस्से का कारण कहीं न कहीं टीएन शेषन ही हुआ करते थे।
उन्होंने ऐसी ही एक बैठक में कहा था, शेषन पगला सांड जैसा कर रहा है। मालूम नहीं है कि हम रस्सा बांध के खटाल में बंद कर सकते हैं।' कहा जाता है कि लालू यादव टीएन शेषन को काफी ज्यादा कोसा करते थे। जब शेषन ने चौथी बार चुनाव स्थगित किए थे, तब लालू का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया था। वह बिहार के तत्कालीन मुख्य निर्वाचन अधिकारी आरजेएम पिल्लई को फोन लगाकर उन पर खूब बरसे भी थे। उन्होंने पिल्लई से कहा था, 'हम तुम्हारा चीफ मिनिस्टर और तुम हमारा अफसर। ई शेषनवा कहां से बीच में टपकता रहता है? फैक्स भेजता है। सब फैक्स-वैक्स उड़ा देंगे, इलेक्शन हो जाने दो।'
टीएन शेषन से जुड़ी बड़ी बातें जान लीजिए-
- टीएन शेषन का जन्म केरल के पलक्कड़ में 15 दिसंबर, 1932 को एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था।
- उन्होंने अपनी पढ़ाई बेसल इवैंजेलिकल मिशन हायर सेकंड्री स्कूल और इंटरमीडिएट गवर्नमेंट विक्टोरिया कॉलेज से की थी। इसके बाद उन्होंने मद्रास क्रिस्श्चन कॉलेज से फिजिक्स में ग्रैजुएशन किया और इसके बाद मास्टर्स की डिग्री प्राप्त की।
- उन्होंने 1952 में मद्रास क्रिश्चन कॉलेज में पढ़ाना शुरू कर दिया। इसी दौरान वह भारतीय प्रशासनिक सेवा की तैयारी भी करते रहे।
- साल 1953 में शेषन ने पुलिस सेवा परीक्षा में टॉप किया।
- उन्होंने 1954 में भारतीय प्रशासनिक सेवा के लिए होने वाली परीक्षा पास की।
- शेषन ने 1955 में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आईएएस) में ट्रेनी के तौर पर अपने करियर की शुरुआत की।
- टीएन शेषन की पहली तैनाती तमिलनाडु के मदुरई जिले के डिंडीगुल में सब कलेक्टर के तौर पर हुई थी।
कैसे मुख्य चुनाव आयुक्त बने थे टीएन शेषन?
ये वो समय था, जब देश में प्रधानमंत्री रहे चंद्रशेखर की सरकार थी। उनकी सरकार में सुब्रमण्यम स्वामी कानून मंत्री थे। स्वामी और शेषन बेहद अच्छे दोस्त थे। इसी दौरान सुब्रमण्यम स्वामी ने टीएन शेषन के सामने मुख्य चुनाव आयुक्त बनने का प्रस्ताव रखा। पहले तो उन्होंने इस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया लेकिन बाद में कर लिया। इसके बाद टीएन शेषन ने दिसंबर, 1990 में देश के मुख्य चुनाव आयुक्त का पद संभाला था।
हर चुनाव को कर दिया था स्थगित
2 अगस्त, 1993 को टीएन शेषन ने 17 पन्नों का एक आदेश जारी किया था। जिसमें कहा गया था कि जब तक सरकार चुनाव आयोग की शक्तियों को मान्यता नहीं दे देती, तब तक देश में कोई चुनाव नहीं कराया जाएगा। उन्होंने आदेश में कहा था, 'जब तक वर्तमान गतिरोध दूर नहीं हो जाता, जो केवल भारत सरकार द्वारा बनाया गया है, तब तक चुनाव आयोग अपने आपको अपने संवैधानिक कर्तव्य निभाने में असमर्थ पाता है। इसलिए उसने तय किया है कि उसके नियंत्रण में होने वाले हर चुनाव, जिसमें हर दो साल पर होने वाले राज्यसभा और विधानसभा के उपचुनाव भी शामिल हैं, जिन्हें कराने की घोषणा हो चुकी है, वह अगले आदेश तक स्थगित किए जाते हैं।'
कई बड़े लोगों से लिया पंगा
टीएन शेषन ने अपने कार्यकाल के दौरान प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव से लेकर हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल गुलशेर अहमद और बिहार के तब के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव तक से पंगा लिया था। उन्होंने ही बिहार में पहली बार चार चरणों में मतदान कराया था। और चारों बार ही चुनाव की तारीखें भी बदली गईं। इसे बिहार के इतिहास का सबसे लंबा चुनाव भी कहा जाता है।