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Hindi News भारत राष्ट्रीय Supreme Court News: चीफ जस्टिस रमण ने की अगले CJI के लिए जस्टिस ललित के नाम की सिफारिश, जानिए उनके बारे में

Supreme Court News: चीफ जस्टिस रमण ने की अगले CJI के लिए जस्टिस ललित के नाम की सिफारिश, जानिए उनके बारे में

Supreme Court News: न्यायमूर्ति ललित तब से शीर्ष अदालत के कई ऐतिहासिक निर्णयों का हिस्सा रहे हैं। पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने अगस्त 2017 में 3-2 के बहुमत से ‘तीन तलाक’ को असंवैधानिक घोषित कर दिया था। उन तीन न्यायाधीशों में न्यायमूर्ति ललित भी थे।

Justice UU Lalit dna Chief Justice NV Ramana - India TV Hindi Image Source : INDIA TV Justice UU Lalit dna Chief Justice NV Ramana

Highlights

  • चीफ जस्टिस रमण का कार्यकाल 26 अगस्त को समाप्त हो रहा है
  • केंद्र सरकार ने चीफ जस्टिस से पूछा था अपने उत्तराधिकारी का नाम
  • जस्टिस ललित ने 1983 से वकालात शुरू की

Supreme Court News: भारत के माननीय मुख्य न्यायाधीश एनवी रमण ने आज गुरुवार को न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित के नाम की सिफारिश सुप्रीम कोर्ट के अगले मुख्य न्यायधीश के लिए कर दी है। अपने उत्तराधिकारी के लिए उन्होंने यह सिफारिश कानून और न्याय मंत्री को की है।। श्री न्यायमूर्ति रमण ने आज (04 अगस्त 2022) व्यक्तिगत रूप से अनुशंसा पत्र की एक प्रति न्यायमूर्ति ललित को सौंपी। 

गौरतलब है कि चीफ जस्टिस रमण का कार्यकाल 26 अगस्त को समाप्त हो रहा है। ऐसे में केंद्र सरकार ने CJI रमण से ही कहा था कि वे अपने उत्तराधिकारी के बारे में सजेस्ट करें कि अगला CJI वे किन्हें देखना चाहते हैं। बुधवार को केंद्र सरकार के कानून और न्याय मंत्रालय की ओर से चीफ जस्टिस रमण से नए उत्तराधिकारी के बारे में पूछा गया था। वैसे वरिष्ठता के आधार पर जस्टिस उदय उमेश ललित रमण के बाद आते हैं। इसलिए सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस एनवी रमण ने जस्टिस उमेश ललित का ही नाम आज सजेस्ट किया।

चीफ जस्टिस एनवी रमण 24 अप्रैल 2021 को देश के 48वें मुख्य न्यायधीश बने थे। उन्होंने जस्टिस एसए बोबड़े का स्थान लिया था। बुधवार को 'भारत के मुख्‍य न्‍यायाधीश के सचिवालय को कानून और न्‍याय मंत्रालय की ओर से संपर्क किया गया था। इसमें अनुरोध किया गया था कि वह अपने उत्तराधिकारी का नाम सुझाएं।'

कैसी होती है मुख्य न्यायधीश को चुनने की प्रक्रिया

CJI चुनने को लेकर नियम के अनुसार, मुख्‍य न्‍यायाधीश सबसे अधिक वरिष्‍ठ जज का नाम अपने उत्‍तराधिकारी के तौर पर आगे बढ़ाते हैं। इस समय रमण के बाद सबसे वरिष्‍ठ जज उदय उमेश ललित हैं। मैमोरंडम ऑफ प्रोसीजर (MoP) के तहत ही हायर जुडिशरी में जजों की नियुक्ति तय की जाती है। इस MoP के अनुसार कार्यकाल पूरा करने वाला मुख्‍य न्‍यायाधीश कानून मंत्रालय से इस संबंध में संवाद होने पर अपना उत्तराधिकारी चुनने की प्रक्रिया शुरू करता है।

कौन हैं जस्टिस उदय उमेश ललित?

जिन जस्टिस ललित को मुख्य न्यायधीश चुनने के लिए वर्तमान चीफ जस्टिस ने उनके नाम की अनुशंसा कानून मंत्रालय को की है। उनका नाम नियमानुसार भी उपयुक्त ही है, क्योंकि वे ही चीफ जस्टिस रमण के बाद वरिष्ठतम हैं। अब उनके बारे में जान लिया जाए। ललित का जन्म 9 नवंबर 1957 को हुआ था। 1983 से उन्होंने वकालात शुरू की। दिसंबर में 1985 तक उन्होंने बॉम्बे हाईकोर्ट में वकालात की प्रैक्टिस की। फिर दिल्ली आ गए। 2004 में वे सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील के रूप में नामित हुए। वे 2जी मामलों की भी सुनवाई कर चुके हैं। उन्हें 13 अगस्त 2014 को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया था। वे इस साल 8 नवंबर को रिटायर हो जाएंगे। भारत के अगले प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) बनने की कतार में शामिल उच्चतम न्यायालय के दूसरे वरिष्ठतम न्यायाधीश न्यायमूर्ति ललित मुसलमानों में ‘तीन तलाक’ की प्रथा को अवैध ठहराने समेत कई ऐतिहासिक फैसलों का हिस्सा रहे हैं। अगर वह अगले प्रधान न्यायाधीश नियुक्त होते हैं तो वह ऐसे दूसरे प्रधान न्यायाधीश होंगे, जिन्हें बार से सीधे शीर्ष अदालत की पीठ में पदोन्नत किया गया। उनसे पहले न्यायमूर्ति एसएम सीकरी मार्च 1964 में शीर्ष अदालत की पीठ में सीधे पदोन्नत होने वाले पहले वकील थे। वह जनवरी 1971 में 13वें सीजेआई बने थे।

जानिए क्या रहे जस्टिस ललित के कुछ अहम निर्णय?

  1. न्यायमूर्ति ललित मौजूदा प्रधान न्यायाधीश एनवी रमण के सेवानिवृत्त होने के एक दिन बाद 27 अगस्त को भारत के 49वें सीजेआई बनने के लिए कतार में हैं। न्यायमूर्ति ललित तब से शीर्ष अदालत के कई ऐतिहासिक निर्णयों का हिस्सा रहे हैं। पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने अगस्त 2017 में 3-2 के बहुमत से ‘तीन तलाक’ को असंवैधानिक घोषित कर दिया था। उन तीन न्यायाधीशों में न्यायमूर्ति ललित भी थे। 
  2. न्यायमूर्ति ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून के तहत एक मामले में बंबई उच्च न्यायालय के ‘त्वचा से त्वचा के संपर्क’ संबंधी विवादित फैसले को खारिज कर दिया था। शीर्ष अदालत ने कहा था कि यौन हमले का सबसे महत्वपूर्ण घटक यौन मंशा है, बच्चों की त्वचा से त्वचा का संपर्क नहीं।
  3. एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले में न्यायमूर्ति ललित की अगुवाई वाली पीठ ने कहा था कि त्रावणकोर के पूर्व शाही परिवार के पास केरल में ऐतिहासिक श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रबंधन का अधिकार है। नौ नवंबर, 1957 को जन्मे न्यायमूर्ति ललित ने जून 1983 में एक वकील के रूप में पंजीकरण कराया था और दिसंबर 1985 तक बम्बई उच्च न्यायालय में वकालत की थी। वह जनवरी 1986 में दिल्ली आकर वकालत करने लगे और अप्रैल 2004 में उन्हें शीर्ष अदालत द्वारा एक वरिष्ठ अधिवक्ता के रूप में नामित किया गया। 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में सुनवाई के लिए उन्हें केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) का विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किया गया था।

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