बिलकिस बानो की याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया है। इस याचिका में बिलकिस बानो ने 2002 में उसके साथ सामूहिक बलात्कार और उसके परिवार के सदस्यों की हत्या के लिए दोषी ठहराए गए 11 लोगों की जल्द रिहाई को चुनौती दी गई थी। बिलकिस बानो के द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में दाखिल की गई याचिका में कहा गया था कि इस मामले का पूरा ट्रायल महाराष्ट्र में चला है और वहां की रिहाई नीति के तहत ऐसे घृणित अपराधों में 28 सालों से पहले रिहाई नही हो सकती है। वहीं मई 2022 में जस्टिस अजय रस्तोगी ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि गुजरात सरकार 1992 की रिहाई नीति के तहत दोषियों की रिहाई पर विचार कर सकती है।
11 दोषियों को 15 अगस्त को कर दिया गया था रिहा
बता दें कि मामले में 2008 में दोषी ठहराए गए 11 लोगों को 15 अगस्त 2022 को गोधरा उप-जेल से रिहा कर दिया गया था। गुजरात सरकार ने अपनी छूट नीति के तहत उनकी रिहाई की अनुमति दी थी। दोषियों की रिहाई के बाद काफी बवाल मचा था, जिसके बाद कोर्ट में उनकी रिहाई के खिलाफ याचिका दाखिल की गई थी।
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गैंगरेप-हत्या मामले में उम्र कैद की सजा थी
मुंबई की एक स्पेशल सीबीआई कोर्ट ने 21 जनवरी 2008 को सभी 11 दोषियों को गैंगरेप और बिलकिस बानो के परिवार के सात सदस्यों की हत्या के आरोप में उम्र कैद की सजा सुनाई थी। इस फैसले को बंबई हाई कोर्ट ने भी बरकरार रखा था।
गौरतलब है कि गुजरात में 2002 के दंगों के दौरान बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप किया गया था, उस वक्त वह 21 वर्ष की थीं और वह पांच महीने की गर्भवती थीं। परिवार के मारे गए सात सदस्यों में उनकी तीन साल की बेटी भी शामिल थी।
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