Suicide pod: हम ऐसी दुनिया में जी रहे हैं, जहां हमें पता नहीं होता है कि हमारी मौत कब होगी। हमारी मौत की कोई तारीख फिक्स नहीं है कि आज हमें मरना है या कल, कोई कभी मर सकता है। हमारे ही देश में कई ऐसे भी लोग होते हैं जो अपनी परेशानियों से परेशान होकर सुसाइड कर लेते हैं। इसके लिए वो फांसी लगा लेते हैं या ट्रेन के आगे आ जाते हैं। इसमें उनकी इच्छा होती हैं लेकिन कानूनी रूप से देखा जाए तो ये गलत है। अगर कोई व्यक्ति सुसाइड करने में सफल नहीं होता है और पुलिस पकड़ ले तो उसके ऊपर एक्शन भी ले सकती है। यानी भारत में आप इच्छानुसार सुसाइड नहीं कर सकते हैं लेकिन एक देश है जहां आप अपनी मर्जी से सुसाइड कर सकते हैं। आपको बता दें कि पिछले हफ्ते एक महिला ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर अपने एक दोस्त को 'बीमारी के कारण इच्छामृत्यु' के लिए स्विट्जरलैंड जाने से रोकने की मांग की थी। गुरुवार को महिला ने अपनी याचिका वापस ले ली। उसके वकील का कहना है कि याचिकाकर्ता की सहेली इसके बारे में सुनकर काफी दुखी हो गई। अब आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि ये सुसाइड करने के लिए स्विट्जरलैंड क्यों जा रही थी और वहां ऐसा क्या है। आइए जानते हैं स्विट्जरलैंड में इच्छामृत्यु को लेकर क्या कानून हैं और यहां कैसे लोगों को सुसाइड करने के लिए प्रेरित किया जाता है।
इच्छामृत्यु क्या है?
जब कोई व्यक्ति स्वेच्छा से अपनी मौत को स्वीकार करता है, तो इसे इच्छामृत्यु कहते हैं। यह आत्महत्या से अलग है क्योंकि इसमें व्यक्ति डॉक्टर की मदद से किसी चिकित्सा पद्धति से अपना जीवन समाप्त कर लेता है। आमतौर पर इच्छामृत्यु अपनाने वाले लोग या तो भयानक दर्द से पीड़ित होते हैं या फिर किसी लाइलाज बीमारी की चपेट में आ जाते हैं। स्विट्जरलैंड सहित नीदरलैंड, बेल्जियम, कोलंबिया, लक्ज़मबर्ग, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया, कनाडा और स्पेन में सक्रिय मानव इच्छामृत्यु कानून है।
स्विट्जरलैंड में इच्छामृत्यु कानून
1942 से स्विट्जरलैंड में इच्छामृत्यु को कानूनी रूप से मान्यता दी गई है। वर्ष 2020 में विभिन्न संगठनों की मदद से लगभग 1300 लोगों ने इच्छामृत्यु स्वीकार की। पिछले साल दिसंबर में स्विट्जरलैंड सरकार ने इच्छामृत्यु के लिए एक मशीन को कानूनी मंजूरी दी थी, जिसका नाम 'सुसाइड पॉड' था। मशीन को 'डॉक्टर डेथ' के नाम से मशहूर एनजीओ एग्जिट इंटरनेशनल के निदेशक डॉ. फिलिप निश्के की मदद से बनाया गया था। इस मशीन की काफी आलोचना भी हुई थी।
सिर्फ 1 मिनट में मौत पक्की
आलोचकों ने कहा कि मशीन आत्महत्या की ओर ले जाएगी, जबकि इसका बचाव करते हुए कहा कि यह लोगों को असहनीय दर्द से मुक्त करेगी। इस मशीन का आकार एक ताबूत जैसा है जिसे अंदर बैठकर भी चलाया जा सकता है। खबरों के मुताबिक यह मशीन सिर्फ 1 मिनट में लोगों को बिना दर्द के चैन की नींद दिला सकती है। इसके भीतर ऑक्सीजन का स्तर बहुत कम हो जाता है, जिससे हाइपोक्सिया और हाइपोकेनिया के कारण व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है।
भारतीय मरीज को दर्द से राहत चाहिए
हालांकि यह मशीन सभी के लिए नहीं है। यह मशीन ऐसे मरीजों के लिए मददगार है जो बीमारी के कारण बोलने या चलने-फिरने में असमर्थ हैं। इच्छामृत्यु के लिए स्विटजरलैंड जाने का इच्छुक एक भारतीय मरीज 'मायालजिक इन्सेफैलोमाइलाइटिस' से पीड़ित है। मरीज की उम्र 45 से 49 के बीच है और वह डॉक्टरों की मदद से मौत के मुंह में सोना चाहता है।
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