नई दिल्लीः देश- विदेश में कोरोना के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन का खतरा मंडराने लगा है। सभी ने इससे जंग के लिए तैयारी तेज कर दी है। कोरोना वैक्सीन की बूस्टर डोज देने की भी तैयारियां तेज हो गईं हैं। सूत्रों के हवाले से आ रही है कि केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन के तहत विषय विशेषज्ञ समित आज COVID-19 बूस्टर खुराक के संबंध में पहली बैठक कर सकती है।
विषय विशेषज्ञ समिति की बैठक शुक्रवार दोपहर 12 बजे शुरू होगी। इस मीटिंग में देश में बूस्टर डोज कब से दी जाएगी और शुरुआत में किन्हें बूस्टर डोज सबसे पहले मिलेगी इस पर चर्चा हो सकती है।
हाल ही में ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) की तरफ से सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की एप्लिकेशन को मंजूरी दी जा चुकी है। सीरम इंस्टीट्यूट ने देश में कोविशील्ड वैक्सीन का पर्याप्त स्टॉक होने के चलते नए वेरिएंट के कारण इसकी बूस्टर डोज दिए जाने का इमरजेंसी अप्रूवल DCGI से मांगा था।
सीरम इंस्टीट्यूट भारत की पहली वैक्सीन निर्माण कंपनी है, जिसने बूस्टर डोज के रूप में कोविशील्ड के अनुमोदन के लिए आवेदन किया है।
इस साल जनवरी से सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया ने कोविशील्ड वैक्सीन की शिपिंग शुरू थी, जिसने नवंबर के अंतिम हफ्ते में एक बिलियन डोज़ लैंडमार्क को पार कर लिया है। देश में अब तक कुल 114.78 करोड़ कोविशील्ड टीके लग चुके हैं। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि भारत का टीकाकरण कवरेज गुरुवार को 131 करोड़ पार कर गया है। आज शाम 7 बजे तक 67 लाख से ज्यादा वैक्सीन डोज दी जा चुकी हैं।
क्या होती है बूस्टर डोज?
कोरोना वायरस वैक्सीन की दो डोज लगने के बाद जो तीसरी डोज लगती है, उसे ही बूस्टर डोज कहा जाता है। हाल ही में केंद्र सरकार ने संसद में जानकारी दी है कि टीकाकरण पर राष्ट्रीय तकनीकी सलाहकार समूह और कोविड वैक्सीन प्रबंधन पर राष्ट्रीय विशेषज्ञ समूह बूस्टर डोज की जरूरत का पता करने के लिए उसके वैज्ञानिक साक्ष्य पर विचार कर रहे हैं। कोरोनावायरस के ओमिक्रॉन वेरिएंट के सामने आने के बाद राजस्थान, कर्नाटक, छत्तीसगढ़ और केरल जैसे राज्यों ने भी केंद्र सरकार से कहा है कि बूस्टर डोज को अनुमति दी जानी चाहिए।
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