A
Hindi News भारत राष्ट्रीय सरकारी कंपनियों के पेट्रोल-डीजल की कीमतों को ना बढ़ने देने से निजी क्षेत्र की कंपनियों में हड़कंप

सरकारी कंपनियों के पेट्रोल-डीजल की कीमतों को ना बढ़ने देने से निजी क्षेत्र की कंपनियों में हड़कंप

सरकार ने 120 दिनों से कीमत बढ़ने नहीं दी। आज भी पेट्रोल पंप पर कीमत वही है जो क्रूड के 80 रुपए प्रति डॉलर पर आधारित थी। सरकारी कंपनियां चुपचाप घाटा सह रही हैं। निजी क्षेत्र की कंपनियों में हड़कंप

Private companies angry with the government?- India TV Hindi Image Source : ANI FILE PHOTO Private companies angry with the government?

Highlights

  • 120 दिनों से नहीं बढ़े पेट्रोल-डीजल के दाम
  • चुपचाप घाटा सह रही हैं सरकारी कंपनियां
  • निजी क्षेत्र की कंपनियों में मचा हड़कंप

बीते कई हफ्तों में अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में क्रूड ऑयल की कीमत बढ़कर 140 डॉलर प्रति बैरल हो गई थी। पिछले सप्ताह फिर से 110 डॉलर पर आ गई, फिर भी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों का बुरा हाल रहा है। इंटरनेशनल क्रूड ऑइल एक्सपर्ट डॉ. सुधीर बिष्ट के मुताबिक इसकी वजह यह है कि सरकार ने 120 दिनों से कीमत बढ़ने नहीं दी। आज भी पेट्रोल पंप पर कीमत वही है जो क्रूड के 80 रुपए प्रति डॉलर पर आधारित थी। तेल कंपनियां IOC, BPC, HPC को प्रति लीटर 15 रुपए का घाटा हो रहा है, इसे तकनीकी भाषा में अंडर रिकवरी कहते हैं। लेकन सरकारी कंपनियां चुपचाप घाटा सह रही हैं। सरकारी कंपनियों को अध्यक्ष चुप्पी साधे हुए हैं। वहीं निजी क्षेत्र की कंपनियों में हड़कंप मचा हुआ है। 
 

सरकार से नाराज़ हैं निजी कंपनियां?

डॉ.बिष्ट बताते हैं कि निजी क्षेत्र की कंपनियों का गुस्सा अब बाज़ार में नज़र आ रहा है। रिलायंस ने अपने डीलरों को कहा है कि उनको अपनी नॉरमल बिक्री में केवल 50% सप्लाई मिलेगी। कंपनी मानती है कि फिलहाल रिलायंस ने कोटा नहीं बांधा है, क्योंकिं पेट्रोल की सेल डीजल के मुकाबले 15% ही है। रिलायंस पेट्रोल अब JIO-BP ब्रांड के नाम से चलता है। ब्रिटिश पेट्रोलियम (BP) दुनिया की जानी-मानी कंपनी है।

सरकार कीमत ना बढ़ाने के लिए करती है मजबूर

रिलायंस अपना डीजल घाटे में क्यों बेचे, जबकि उसके पास कई एक्सपोर्ट ऑर्डर हैं? डॉ.बिष्ट बताते हैं कि अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में भी ये संकेत जा रहा है कि भारत यद्यपि पेट्रोल-डीजल को फ्री मार्केट प्राइसिंग के अंतर्गत बताता है, लेकिन अंदर ही अंदर से सरकारी तेन कंपनियों को मजबूर भी करता है कि वे कीमतें ना बढ़ाएं। इसलिए निजी कंपनियों को भी मजबूरन कीमतें नीचे रखनी पड़ रही है। क्योंकि अगर रिलायंस अपने डीजल क दाम 15 रुपए से ज्यादा कर दे तो कोई ट्रांसपोर्टर उनके पंप से तेल नहीं लेगा। भारत सरकार के इस प्रकार के मार्केट इंटरवेंशन से बीपीसीएल (BPCL) के विनिमेश (Disinvestment) की सफलता पर गलत असर पड़ेगा। 

Latest India News