प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार में बदलाव पिछले कई दिनों से चर्चा में बना हुआ है। प्रधानमंत्री अब मर्सिडीज-मेबैक एस 650 से सवारी करेंगे। उनके काफिले में शामिल होने वाली इस कार की खासियत है कि इसके आगे गोली और धमाके बेअसर होंगे। पिछले कई दिनों से कार की कीमत चर्चा का विषय बनी हुई है। कई मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि इस कार की कीमत 12 करोड़ रुपए है। न्यूज़ एजेंसी ANI को सूत्रों ने बताया कि मीडिया रिपोर्ट्स में चल रही खबरों से इस कार की कीमत बहुत कम है।
ANI के सूत्रों ने बताया कि मीडिया में चल रही कीमत से असल में इस कार की कमत एक तिहाई है। जब उनसे इस कार को बदलने के पीछे के कारण के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि ये किसी का निजी फैसला नहीं होता है। VVIP की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए ऐसा पहले भी कई बार किया गया है। स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप की सिक्योरिटी डिटेल को मानें तो प्रधानमंत्री की कार को हर 6 साल बाद बदला जाता है। जबकि पिछले कार को प्रधानमंत्री आठ साल से इस्तेमाल कर रहे थे। उनका कहना था कि अगर ऐसा नहीं किया जाता तो ये सुरक्षा के साथ खिलवाड़ करने जैसा होता है।
पिछली कार पर सवाल पूछने के बाद उन्होंने बताया, 'इसमें कुछ भी ऐसा अपग्रेड नहीं किया गया है जो पहले की कार में नहीं था। ऐसा पहले की कारों में भी रहा है। BMW ने पहले से चला आ रहा मॉडल बनाना बंद कर दिया है। अब की तरह नहीं, जो कार को वरीयता नहीं देते हैं कि कौन सी कार का इस्तेमाल किया जा रहा है। UPA चेयरपर्सन सोनिया गांधी पहले रेंज रोवर का इस्तेमाल करती थीं, जिसे मुख्य रूप से पूर्व पीएम मनमोहन सिंह की सुरक्षा के लिए लिया गया था।
कब से मिल रही है सुरक्षा-
ऐसे फैसले सुरक्षा मिलने वाले व्यक्ति को ध्यान में रखकर लिए जाते हैं और ऐसे सभी फैसले लेने का अधिकार SPG के पास है। इसके लिए किसी भी व्यक्ति से चर्चा नहीं जाती है। जैसे अभी प्रधानमंत्री के लिए कार ली गई है तो जरूरी नहीं कि पीएम से पहले इस पर बात की ही जाए। ऐसे फैसले स्वतंत्र रूप से SPG ही लेती है। बता दें, SPG का गठन साल 1985 में किया गया था। एसपीजी की काम सुरक्षा मिलने वाले शख्स के घर और ऑफिस की सुरक्षा करना होता है। इसके अलावा सुरक्षा मिलने वाले VIP के आंतरिक और बाहरी यात्रा पर भी सुरक्षा देना इसी ग्रुप का काम होता है।
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