Smriti Irani: कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने मंगलवार को कहा कि स्मृति ईरानी की याचिका के संदर्भ में दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश सोमवार रात प्राप्त हुआ और वह इस मामले से संबंधित अन्य नेता अदालत के सामने तथ्यात्मक विवरण रखेंगे। रमेश ने मामले को लेकर ट्वीट किया है
जयराम रमेश ने किया ट्वीट
रमेश ने ट्वीट किया, ‘‘स्मृति ईरानी के मामले में कल रात हमें दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश प्राप्त हुआ है। कोर्ट ने हमें 4 सप्ताह में जवाब देने को कहा है। हम निश्चित तौर पर हाईकोर्ट के आदेश की हर एक टिप्पणी का जवाब देंगे।’’ उन्होंने कहा, ‘‘हम इस मामले में सही और तथ्यात्मक विवरण कोर्ट में पेश करेंगे। सत्यमेव जयते!’
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी और उनकी बेटी गोवा में रेस्तरां-सह-बार की न तो मालिक हैं और न ही उन्होंने कभी वहां भोजन एवं पेय पदार्थों के लाइसेंस के लिए आवेदन किया था। साथ ही, कोर्ट ने कहा था कि उनके प्रति कांग्रेस के नेता ‘‘दुर्भावनापूर्ण इरादा’’ रखे हुए प्रतीत होते हैं। हाईकोर्ट ने कहा था कि यहां तक कि गोवा सरकार द्वारा जारी किया गया कारण बताओ नोटिस ईरानी या उनके परिवार के सदस्यों को संबोधित नहीं था। कोर्ट ने कहा कि कांग्रेस के नेताओं-जयराम रमेश, पवन खेड़ा, नेट्टा डिसूजा- के साथ अन्य ने उनके खिलाफ झूठे, तल्ख और आक्रामक व्यक्तिगत हमले करने की साजिश रची।
जानिए क्या है पूरा मामला
गौरतलब है कि कांग्रेस ने आरोप लगाया था कि ईरानी की बेटी गोवा में अवैध बार चलाती हैं। कांग्रेस ने केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी की बेटी पर गोवा में अवैध बार चलाने का आरोप लगाते हुए कहा था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपने मंत्रिमंडल से ईरानी को बर्खास्त करना चाहिए। स्मृति ईरानी ने कांग्रेस के इस आरोप को दुर्भावनापूर्ण करार देते हुए दावा किया कि नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया और राहुल गांधी की 5,000 करोड़ रुपये की लूट पर उनके मुखर रुख के कारण उनकी बेटी को निशाना बनाया गया है।
कांग्रेस के मीडिया एंड पब्लिसिटी हेड पवन खेड़ा ने मीडिया से कहा था कि केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के परिवार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं। गोवा में उनकी बेटी द्वारा चलाए जा रहे रेस्टोरेटं पर शराब परोसने के लिए फ़र्ज़ी लाइसेंस जारी करवाने का आरोप लगा है और यह कोई ‘सूत्रों के हवाले से’ या एजेंसियों द्वारा राजनीतिक प्रतिशोध लेने के लिए लगाया गया आरोप नहीं है, बल्कि सूचना का अधिकार (RTI) के तहत प्राप्त जानकारी में खुलासा हुआ है।"
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