नयी दिल्ली: बीते 19 नवंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि संबंधी तीनों कानून को वापस लेने का ऐलान किया था, जिसके बाद ये माना जा रहा था कि एक साल से अधिक समय से किसानों का चल रहा आंदोलन खत्म हो जाएगा। लेकिन, ये अभी भी जारी है। अब आज मंगलवार 7 दिसंबर को संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) की बैठक होने जा रही है। जिसमें ये फैसला होगा कि आंदोलन खत्म होगा या जारी रहेगा। संगठन ने अपने बयान में कहा है कि आगे की कार्रवाई पर आज की बैठक में फैसला लिया जाएगा। वहीं, किसान नेता राकेश टिकैत का कहना है कि हम कहीं नहीं जा रहे हैं। आंदोलन जारी रहेगा।
किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल, डॉ. दर्शन पाल, गुरनाम सिंह चढूनी, हन्नान मोल्ला, जगजीत सिंह डल्लेवाल, जोगिंदर सिंह उगराहां, शिवकुमार शर्मा (कक्का जी), युद्धवीर सिंह और योगेंद्र यादव की तरफ से आज की बैठक पर जानकारी दी गई है।
दरअसल, अब सदन से कृषि कानून को वापस भी लिया जा चुका है। लेकिन, किसान एमएसपी पर कानूनी गारंटी, किसानों पर लगाए गए फर्जी मुकदमों को वापस लेने और आंदोलन के दौरान जिन किसानों की मौत हुई है उनके परिवार को मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं।
हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज पर भी संगठन ने आपत्ति जताई है। एसकेएम ने कहा है कि ऐसे समय में जब खट्टर सरकार और किसान संगठनों के बीच बातचीत चल रही है, वैसे में राज्य के गृह मंत्री का बयान उनकी गैर-जिम्मेदार और किसान विरोधी मानसिकता को दर्शाता है।
किसान संगठन ने कहा है कि एमएसपी पर कानून, बिजली संशोधन बिल की वापसी, केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा टेनी की गिरफ्तारी और बर्खास्तगी आदि जैसे मुद्दे अनसुलझे हैं। ये मुद्दे मिशन यूपी और उत्तराखंड को प्रभावित करेंगे। वहीं, भाजपा के कई नेताओं का कहना है कि किसान आंदोलन अब प्रभावी नहीं रहा।
संयुक्त किसान मोर्चा के मुताबिक 5 सदस्यीय समिति को अभी तक केंद्र सरकार से 21 नवंबर को पीएम मोदी को लिखे अपने पत्र में उल्लिखित मुद्दों पर चर्चा के लिए कोई संदेश नहीं मिला है।
वहीं, केंद्र का कहना है कि सरकार और किसानों के बीच अभी बातचीत का कोई प्रस्ताव नहीं है । सरकार ने कहा है कि आंदोलन करनेवाले किसानों की मांग के अनुसार केंद सरकार पहले ही कृषि कानून वापस ले चुकी है। अब कोई मुद्दा बचा नहीं है।
केंद्र ने कहा है कि एमएसपी की उचित व्यवस्था के बारे में कमिटी बनाने को लेकर सरकार पहले ही फैसला कर चुकी है। कमेटी में आंदोलनकारी किसानों के प्रतिनिधि भी होंगे ,जो नाम वो देंगे। जहां तक मुकदमा वापस लेने का सवाल है तो ये राज्य का अधिकार है।
वहीं, आंदोलन के दौरान मरे किसानों को मुआवजा देने की मांग पर केंद्र का कहना है कि पुलिस की गोली या लाठीचार्ज जैसी चीजें तो नहीं हुई है। किसान जो दलील दे रहे हैं उससे तो देश में जितने लोग मरे ,सबको मुआवजा देना होगा। राज्य सरकारें यदि कुछ करना चाहे तो कर सकती हैं।
गौरतलब है कि इस आंदोलन के दौरान किसान संगठनों का दावा है कि 600 से अधिक किसानों की मौत हुई है।
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