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Hindi News भारत राष्ट्रीय India TV Poll: क्या भारत में भी रेप जैसे जघन्य अपराध को लेकर कड़े कानून होने चाहिए? जानें जनता ने क्या दिया जवाब

India TV Poll: क्या भारत में भी रेप जैसे जघन्य अपराध को लेकर कड़े कानून होने चाहिए? जानें जनता ने क्या दिया जवाब

कोलकाता से लेकर कन्नौज तक रेप और यौन उत्पीड़न की घटनाओं ने पब्लिक में आक्रोश भर दिया है और यही वजह है कि लोग इस पैशाचिक अपराध के खिलाफ सड़कों पर उतरने लगे हैं।

Rape, India TV Poll, India TV Poll on Rape, India TV Poll Latest- India TV Hindi Image Source : PTI देश के अलग-अलग हिस्सों से आए रेप के मामलों ने जनता को झिंझोड़कर रख दिया है।

नई दिल्ली: देश के अलग-अलग हिस्सों से रेप की खबरें अक्सर मीडिया में आती रहती हैं। कभी कोई कोलकाता में इसका शिकार होता है तो कोई कन्नौज में, किसी बच्ची के साथ बदलापुर में गलत हरकत होती है तो कोई दिल्ली में इसका शिकार होता है। कई बार तो दरिंदगी का आलम यह होता है कि आम आदमी की रूह तक कांप जाती है। यही वजह है कि रेप जैसे जघन्य अपराध के खिलाफ कड़े कानून की मांग लगातार उठती रही है और इंडिया टीवी ने जनता से इसी विषय पर उनकी राय भी पूछी है।

कड़े कानूनों के पक्ष में दिखी जनता

इंडिया टीवी ने जनता से पूछा था कि क्या भारत में भी रेप जैसे जघन्य अपराध को लेकर कड़े कानून होने चाहिए? जनते का सामने इस सवाल का जवाब देने के लिए 3 विकल्प ‘हां’, ‘नहीं’ या ‘कह नहीं सकते’ रखे गए थे। इंडिया टीवी के इस पोल में कुल मिलाकर 10287 लोगों ने हिस्सा लिया। इनमें से 3 फीसदी लोगों का मानना था कि रेप जैसे जघन्य अपराध को लेकर कड़े कानून नहीं होने चाहिए जबकि 2 प्रतिशत लोग ऐसे थे जिन्होंने इस सवाल पर ‘कह नहीं सकते’ का विकल्प चुना। लेकिन सबसे ज्यादा 95 फीसदी लोग ऐसे थे जिनका मानना था कि रेप जैसे जघन्य अपराध के लिए भारत में भी कड़े कानून होने चाहिए।

Image Source : India TVअधिकांश लोगों ने रेप जैसे अपराध के लिए कड़ी सजा का समर्थन किया है।

कोलकाता केस के बाद उपजा ताजा गुस्सा

जनता में ताजा गुस्सा कोलकाता में एक ट्रेनी डॉक्टर के रेप और हत्या के बाद उपजा है। 31 वर्षीय डॉक्टर की उसके ही अस्पताल में दुष्कर्म कर नृशंस तरीके से हत्या कर दी गई थी। हैरानी की बात यह है कि पहले अस्पताल प्रशासन ने कथित तौर पर इसे आत्महत्या का केस बताया था, और बाद में पीड़िता का शव दिखाने के लिए माता-पिता को लंबा इंतजार कराया था। इस केस में लीपापोती का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मामला CBI को सौंपना पड़ा और बाद में सुप्रीम कोर्ट ने भी इसका स्वत: संज्ञान लेते हुए राज्य प्रशासन को कड़ी फटकार लगाई थी।

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