पूर्व जेडीयू अध्यक्ष शरद यादव को राजनीतिक गठजोड़ में माहिर खिलाड़ी माना जाता रहा। उन्हें बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का राजनीतिक गुरु भी माना जाता रहा। उनके बताए पदचिह्नों पर नीतीश कुमार चले। हालांकि राजनीति में कब क्या हो जाए, कुछ कहा नहीं जहा सकता। नीतीश कुमार ने अपने राजनीतिक बढ़ते कद के चलते शरद यादव को हाशिए पर ला दिया। जिसके बाद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार खुद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बन बैठे थे।
शरद यादव जेडीयू से बाहर हो गए और नई पार्टी बनाई थी हालांकि वो नहीं चली और अब वो लालू प्रसाद यादव की पार्टी RJD के साथ पिछले कुछ वर्षो से जुड़े हुए थे। वर्ष 2022 में जब नीतीश कुमार एनडीए से अलग होना चाह रहे थे, तब वे शरद यादव से मिले थे और तब शरद यादव ने अपने नीतीश कुमार के बारे में कहा था कि नीतीश कुमार से बड़ा चेहरा कोई नहीं। सभी विपक्षी दलों की एकजुटता की बात कही थी।
शरद यादव राजनीति के आखिरी समय में मीडिया की सुर्खियों से गायब रहे। राजनीतिक रूप से वे हाशिए पर चले गए थे। वे बीमार भी रहते थे। लेकिन कभी यूपी और बिहार की राजनीति में उनका कद काफी बड़ा था। राजनीति में ही आगे बढ़ने की चाह के कारण पहले इन्होंने अपना शहर बदला और फिर प्रदेश बदलकर बड़ा कद हासिल कर लिया। वे राम मनोहर लोहिया के विचारों से प्रभावित थे।
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