Maharashtra News: राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के प्रमुख शरद पवार ने नागपुर में बयान दिया कि मुस्लिम समुदाय को उनका उचित हिस्सा नहीं मिल रहा है। पवार ने कहा कि मुस्लिम समुदाय के ऐसा लोग महसूस कर रहे हैं कि इस देश की जनसंख्या में उनकी एक बड़ी भागीदारी होने के बावजूद उन्हें उचित हिस्सा नहीं मिल पा रहा। विदर्भ मुस्लिम इंटेलेक्चुअल्स फोरम की ओर से यहां आयोजित 'भारतीय मुसलमानों के सामने मुद्दे' विषयक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए पवार ने बात कही।
पवार ने ऊर्दू को लेकर कही ये बात
NCP प्रमुख शरद पवार ने इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ऊर्दू की तरफदारी की लेकिन राज्यों की 'मुख्य भाषा' की अहमियत पर भी जोर दिया। उन्होंने इस संदर्भ में केरल की स्थिति का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा, "मुस्लिम समुदाय के सदस्यों के बीच यह भावना है कि देश की जनसंख्या में बड़ी भागीदारी होने के बावजूद उन्हें उनका उचित हिस्सा नहीं मिल रहा है, जो वाकई एक सच्चाई है और इस विषय पर चर्चा होनी चाहिए कि कैसे उन्हें उनका उचित हिस्सा मिल पाए।"
केरल के अल्पसंख्यकों का दिया उदाहरण
सरकारी भर्ती परीक्षाओं में ऊर्दू के उपयोग की मांग संबंधी एक पूर्व वक्ता के बयान पर पवार ने इस भाषा की तारीफ की और कहा कि कई लोग पीढ़ियों से इससे जुड़े हैं। उन्होंने कहा, "हमें ऊर्दू विद्यालय और शिक्षा पर विचार करना चाहिए, लेकिन ऊर्दू के साथ ही, हमें राज्य की मुख्य भाषा पर विचार करना है।" उन्होंने कहा कि केरल में अल्पसंख्यकों की एक बड़ी आबादी है और व्यक्ति को इस बात के लिए अध्ययन करने की जरूरत है कि सर्वाधिक साक्षरता दर वाले इस राज्य में कैसे अल्पसंख्यक मुख्य भाषा को साथ दे रहे हैं और उन्हें इससे क्या फायदे मिल रहे हैं।
"ऊर्दू के माध्यम से होगा बड़ा योगदान"
पवार ने कहा कि देश में बेरोजगारी सभी समुदायों में एक मुद्दा है, लेकिन इस मोर्चे पर अल्पसंख्यकों की शिकायत वाकई असली है और उसपर गौर करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम समुदाय ऊर्दू के माध्यम से कला, काव्य और लेखन में बड़ा योगदान कर सकता है क्योंकि उनके सदस्यों में 'गुणवत्ता और दक्षता' है लेकिन उन्हें 'सहयोग और समान अवसर' की जरूरत है। पवार ने कहा कि NCP ने हमेशा अल्पसंख्यकों को समुचित प्रतिनिधित्व देने की कोशिश की है और फिलहाल उसके आठ सांसदों में दो मुसलमान हैं।
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