हिमाचल प्रदेश में भीषण ठंड का अटैक, मंडी समेत इन चार जिलों के लिए अलर्ट जारी
हिमाचल प्रदेश के चार जिलों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी हुआ है। मौसम विभाग ने इन इलाकों में तापमान में और गिरावट का अनुमान जताया है।
हिमाचल प्रदेश के निचले पहाड़ी इलाकों में कड़ाके की ठंड का कहर जारी है। स्थानीय मौसम विभाग ने बिलासपुर, ऊना, हमीरपुर और मंडी जिलों के लिए सोमवार से चार दिनों के लिए ऑरेंज अलर्ट जारी किया है। इस दौरान इन इलाकों में तापमान में और गिरावट की संभावना जताई गई है।
मौसम विभाग के अनुसार, गुरुवार तक राज्य के मध्य और ऊंचाई वाले पहाड़ी इलाकों में हल्की बारिश और बर्फबारी की संभावना है। वहीं, न्यूनतम तापमान सामान्य से नीचे रहने की संभावना बनी हुई है। हालांकि, मौसम शुष्क रहने के कारण दिन के समय तापमान में दो से तीन डिग्री की गिरावट दर्ज की गई है।
राज्य में तापमान की स्थिति
राज्य के विभिन्न हिस्सों में कड़ाके की ठंड महसूस की जा रही है। राज्य में ताबो सबसे ठंडा स्थान रहा, जहां न्यूनतम तापमान शून्य से 11.6 डिग्री नीचे दर्ज किया गया। इसके अलावा सुमदो (शून्य से 5.3 डिग्री नीचे), कुसुमसेरी (शून्य से 4.8 डिग्री नीचे) और कल्पा (शून्य से 1.8 डिग्री नीचे) में भी तापमान में गिरावट आई है। वहीं, राज्य के निचले इलाकों में ऊना का न्यूनतम तापमान 1.0 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया, जबकि भुंतर में यह 1.5 डिग्री सेल्सियस रहा। उच्चतम तापमान के मामले में ऊना राज्य का सबसे गर्म स्थान रहा, जहां अधिकतम तापमान 23.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। हालांकि, यह तापमान शनिवार के मुकाबले (24.5 डिग्री) कम रहा।
कोहरे का अलर्ट
मौसम केंद्र ने 24 से 26 दिसंबर तक मंडी, भाखड़ा बांध जलाशय क्षेत्र और बल्ह घाटी के कुछ हिस्सों में घने कोहरे का येलो अलर्ट जारी किया है। इसके साथ ही 27 दिसंबर से पश्चिमी हिमालय क्षेत्र और आस-पास के मैदानी इलाकों में एक सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ के प्रभाव में आने की संभावना जताई गई है, जिससे हल्की बारिश और बर्फबारी हो सकती है। 23-24 दिसंबर को कुछ स्थानों पर और 27-28 दिसंबर को कई स्थानों पर हल्की बारिश और बर्फबारी की संभावना जताई जा रही है।
राज्य में किसानों के लिए यह मौसम स्थिति चिंता का कारण बन चुकी है। शुष्क मौसम और पाले की स्थिति रबी फसलों के लिए हानिकारक साबित हो सकती है, विशेष रूप से उन फसलों के लिए जो नवंबर और दिसंबर में बोई गई हैं। किसान इन मौसमी परिस्थितियों को लेकर चिंतित हैं, क्योंकि इससे उनकी फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है। (भाषा)
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