नयी दिल्ली: एक साल के लंबे प्रदर्शन के बाद शनिवार को प्रदर्शनकारी किसानों के घर लौटने के बाद सिंघू बॉर्डर पर कबाड़ी बांस के खंभे, तिरपाल, प्लास्टिक और लकड़ियां इकट्ठा करने में व्यस्त दिखे। सोनीपत के कुंडली में सिंघू बॉर्डर पर हरियाणा की तरफ करीब 5 किलोमीटर लंबी सड़क किसानों का धरना स्थल थी जिन्होंने वहां अस्थायी ढांचे खड़े कर रखे थे। इनमें टॉयलट और रसोई घर सहित आवास सुविधा भी थी।
‘लंगर में रोज खाना मिलता था’
सुबह से ही झुग्गी झोपड़ियों में रहने वाले लोग और कबाड़ी बांस के खंभे, तिरपाल, लकड़ियां, प्लास्टिक और लोहे की छड़े चुनने में लगे रहे और वे उन्हें वापस अपने घर ले गए। उनमें से कुछ को पंजाब लौट रहे प्रदर्शनकारियों ने कंबल, ऊनी कपड़े, पैसे एवं रोजाना उपयोग के अन्य सामान भी दिए। मूल रूप से असम के रहने वाला जावेद अपनी पत्नी और बच्चों के साथ प्लास्टिक शीट इकट्ठा करता हुआ दिखा। जावेद ने कहा, ‘मैं इन्हें बेच दूंगा। हमें यहां लंगर में भोजन मिलता था लेकिन अब यह खत्म हो गया है।’
‘सरदार जी से मुझे कंबल मिला’
पास में ही बच्चों का समूह बांस के खंभे, प्लास्टिक के टुकड़े और अन्य सामान इकट्ठा करने में व्यस्त था। 14 वर्षीय शमी ने कहा, ‘सरदार जी से मुझे एक कंबल मिला।’ कुंडली में कई कारखाने हैं, बड़े गोदाम और वर्कशॉप हैं जहां बिहार, उत्तर प्रदेश और दूसरे राज्यों के हजारों प्रवासी मजदूर काम करते हैं। केंद्र सरकार द्वारा विवादास्पद कृषि कानूनों को वापस लेने के बाद 40 किसान संगठनों के समूह संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) ने गुरुवार को वर्ष भर से चल रहे आंदोलन को समाप्त करने का निर्णय किया था।
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