नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने अजीत पवार गुट की एनसीपी को बुधवार को आदेश दिया कि घड़ी चुनाव चिन्ह के साथ डिस्क्लेमर 36 घंटे के अंदर प्रमुख न्यूज पेपर में प्रकाशित किया जाए। विशेषतौर पर मराठी अखबारों में भी प्रकाशित किया जाए। कोर्ट ने अजीत पवार गुट से अनुपालन रिपोर्ट का हलफनामा दाखिल करने को कहा है। मामले की अगली सुनवाई 13 नवंबर को होगी।
अजित पवार गुट ने कोर्ट को दी ये जानकारी
अजित पवार के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि हमने अपना अंडरटेकिंग दाखिल किया है कि हम कोर्ट के पिछले आदेशों का पालन कर रहे हैं। हमने इसकी फोटो भी दाखिल की हैं। इन सबके बावजूद, हम समाचार पत्रों में नए अंडरटेकिंग के साथ विज्ञापन दे रहे हैं। इस पर कोर्ट ने कहा कि न्यूज पेपर में डिस्क्लेमर प्रकाशित करने मे इतना समय क्यों लग रहा है। इसके जवाब में अजीत पवार के वकील ने आरोप लगाया कि शरद पवार गुट ने अदालत झूठे बयान दिए हैं। अदालत के आदेश का पालन न करने की एक भी घटना नहीं हुई है।
शरद पवार गुट ने लगाया ये आरोप
शरद पवार के वकील ने कहा कि अजीत पवार गुट ने वीडियो हटा दिए हैं। लेकिन जमीनी स्तर पर जो हो रहा है वह यह है कि अजित पवार से जुड़े लोग शरद पवार के वीडियो दिखा रहे हैं। इसमें घड़ी लगी हुई है। इनके राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष ने कल कहा है कि कोर्ट में कुछ नहीं होगा। हम घड़ी के निशान पर लड़ेंगे।
सुप्रीम कोर्ट ने अजीत गुट को दिया ये आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने उन्हें (अजीत पवार गुट को) चुनाव चिह्न का उपयोग करने की अनुमति दी, लेकिन ये कुछ शर्तों के अधीन है। 24 घंटे,या अधिकतम 36 घंटे के भीतर, अजीत पवार गुट समाचार पत्रों में डिस्क्लेमर प्रकाशित कराएं। शरद पवार गुट के वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि कोर्ट के पिछले आदेश की रोज अवहेलना की जा रही है। अजीत गुट कहता रहता हैं कि शरद पवार हमारे भगवान हैं। यह बार-बार उल्लंघन हो रहा है। घड़ी के चिह्न के साथ शरद पवार का नाम भ्रम पैदा करता है।
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