Sardar Patel Jayanti 2022: पीएम मोदी ने 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' पर सरदार वल्लभ भाई पटेल को दी श्रद्धांजलि, जानें कैसे मिली थी लौह पुरुष की उपाधि
Sardar Vallabhbhai Patel jayanti: लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की आज 147वीं जयंती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें गुजरात में श्रद्धांजलि दी है। लौह पुरुष सरदार पटेल का देश के एकीकरण में अहम योगदान था। साथ ही वह भारत के पहले गृह मंत्री थे।
Sardar Vallabhbhai Patel jayanti 2022: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुजरात के केवड़िया में सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती पर स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर उन्हें श्रद्धांजलि दी है। देशभर में हर साल 31 अक्टूबर को लौह पुरुष पटेल की जयंती मनाई जाती है। इस साल उनकी 147वीं जयंती मनाई जा रही है। सरदार पटेल का जन्म 31 अक्टूबर 1875 में हुआ था। वह भारत के पहले उप प्रधानमंत्री और पहले गृह मंत्री थे। उनकी जयंती को भारत में राष्ट्रीय एकता दिवस यानी नेशनल यूनिटी डे के तौर पर मनाया जाता है। उनकी जयंती के मौके पर जानते हैं उनसे जुड़े रोचक तथ्य और उनके लौह पुरुष बनने तक का सफर-
- सरदार वल्लभभाई पटेल की शादी 1891 में झवेरबा पटेल से हुई थी। तब वह 16 साल के थे। शादी के बाद 22 साल की उम्र में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा पास की। उनका बचपन से बैरिस्टर बनने और इंग्लैंड में पढ़ने का सपना था।
- सरदार पटेल ने पहले गुजरात में वकालत की पढ़ाई की और बार की परीक्षा पास की। फिर यहीं रहकर उन्होंने गोधरा, बोरसाड और आणंद में प्रैक्टिस की। वह इसके बाद पढ़ाई करने के लिए इंग्लैंड चले गए।
- वह भारत के पहले उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री थे। साल 1946 में जब कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के लिए चुनाव हुए, तो 15 में से 12 क्षेत्रीय कांग्रेस ने पटेल के प्रति अपना समर्थन जताया था। लेकिन महात्मा गांधी ने जवाहरलाल नेहरू को समर्थन दिया था। यही वजह है कि उन्होंने गांधी जी की इच्छा के लिए इस पद को छोड़ दिया, और यही पद नेहरू को मिला।
- वहीं अगर प्रधानमंत्री पद की बात करें, तो इसके लिए भी महात्मा गांधी की पहली पसंद नेहरू ही थे, जबकि पटेल को लोगों की पसंद कहा जाता है। ऐसे में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी चाहते थे कि देश के पहले प्रधानमंत्री नेहरू बनें, इसी वजह से उन्हें ही ये पद मिला।
- स्वतंत्रता आंदोलन में सरदार पटेल का पहला और बड़ा योगदान 1918 के खेड़ा संघर्ष को बताया जाता है। इसके अलावा उन्होंने 1928 में भी बारदोली सत्याग्रह में किसान आंदोलन का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया था। इस आंदोलन के सफल होने के बाद वहां की महिलाओं ने उन्हें सरदार की उपाधि दी थी।
- पीएम मोदी ने आज जिस स्टैच्यू ऑफ यूनिटी पर सरदार वल्लभभाई पटेल को श्रद्धांजलि दी है, वह गुजरात के नर्मदा के सरदार सरोवर बांध के सामने बनी एक 182 मीटर ऊंची लौह प्रतिमा है। यह देश की सबसे ऊंची प्रतिमा है और इसे 31 अक्टूबर, साल 2018 को देश को समर्पित किया गया था। आप इस प्रतिमा की ऊंचाई का अंदाजा इसी बात से लगा सकते हैं कि इसके मुकाबले अमेरिका के स्टैच्यू ऑफ लिबर्टी की ऊंचाई महज 93 मीटर है।
- सरदार पटेल का ही विजन था कि भारतीय प्रशासनिक सेवाएं देश को एक रखने में अहम भूमिका निभाएंगी। उन्होंने इन प्रशासनिक सेवाओं को मजबूत करने के लिए भी काफी जोर दिया था।
- अब बात करते हैं, उन्हें मिली लौह पुरुष की उपाधि की। जिसे अंग्रेजी में आयरन मैन ऑफ इंडिया भी कहा जाता है। दरअसल भारत के एकीकरण में सरदार पटेल का काफी बड़ा योगदान था। इसलिए उन्हें लौह पुरुष के रूप में जाना जाता है। ऐसा भी कहते हैं कि महात्मा गांधी ने नीतिगत दृढ़ता के लिए उन्हें सरदार और लौह पुरुष की उपाधि से नवाजा था। उन्होंने ही आजाद भारत को एक विशाल राष्ट्र बनाने के लिए महत्वपूर्ण योगदान दिया था।
राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है
लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती को भारत में राष्टीय एकता दिवस यानी नेशनल यूनिटी डे के तौर पर मनाया जाता है। इससे एकता के महत्व को रेखांकित किया गया है। राष्ट्रीय एकता दिवस पर सरदार पटेल को सम्मानित किया जाता है और उनके देश के प्रति योगदान को याद किया जाता है।