हिमाचल विधानसभा में भी उछला संजौली मस्जिद का मुद्दा, कांग्रेस के मंत्री और विधायक आमने-सामने
संजौली में मस्जिद के अवैध निर्माण को लेकर सदन में नियम 62 के अंतर्गत मुद्दा उठाया गया। सदन में कांग्रेस के मंत्री अनिरुद्ध सिंह और कांग्रेस विधायक हरीश जनारथा आमने-सामने हुए।
हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला के संजौली में मस्जिद के अवैध निर्माण को लेकर सदन में नियम 62 के अंतर्गत मुद्दा उठाया गया। सदन में कांग्रेस के मंत्री अनिरुद्ध सिंह और कांग्रेस विधायक हरीश जनारथा आमने-सामने हुए। नियम के तहत भाजपा विधायक बलबीर वर्मा और कांग्रेस के विधायक हरीश जनारथा ने मस्जिद के अवैध रूप से बनने के कारण उत्पन्न हुए तनाव को लेकर सदन का ध्यान आकर्षित किया। कांग्रेस विधायक हरीश जनारथा ने कहा 15 साल पहले मस्जिद में निर्माण कार्य किया गया, जमीन बक्फ बोर्ड की है। उन्होंने कहा कि यहां पर रहने वाले अधिकतर लोग ऊपरी शिमला से संबंध रखते हैं।
मिलीभगत होने के आरोप लगाए
वहीं, कैबिनेट मंत्री अनिरुद्ध सिंह ने कहा कि सरकारी जमीन पर यह मस्जिद बनी है। सरकारी जमीन पर एंक्रोचमेंट की गई है। 2019 तक मस्जिद पर अवैध रूप से चार मंजिल बन चुकी थी। कैबिनेट मंत्री ने इस मामले में मिलीभगत होने के भी आरोप लगाए। मस्जिद की जमीन का मालिक का नाम हिमाचल सरकार के पास है। कैबिनेट मंत्री ने टेबल पर सारी कागजात रखी। हिमाचल में तहबाजारी केवल हिमाचल के ही हो ऐसा कानून बनाया जाए। फिलहाल मामला नगर निगम के पास है। गलत नक्शा होने को लेकर नगर निगम कोर्ट में यह मामला चल रहा है।
विक्रमादित्य सिंह ने क्या कहा?
इस मामले में जवाब देते हुए लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि इस पूरे मामले में न्यायपूर्ण तरीके से कार्रवाई की जा रही है। किसी की धार्मिक भावना को ठेस नहीं पहुंचाई जाएगी। यह मामला पहली बार 2010 में संज्ञान में आया था। उसके बाद से नगर निगम शिमला में इस मामले में सुनवाई चल रही है, जिसमें बक्फ बोर्ड को प्रतिवादी बनाया गया था। मस्जिद के निर्माण में नक्शे में गलतियां पाई गई थीं। यहां तक की 2018 से पहले चार मंजिलों का निर्माण किया गया है। 2024 में वर्तमान की कांग्रेस सरकार के समय में यहां पर बने आयुर्वेद शौचालय को भी तुड़वाया गया था। यह पूरा मामला मलयाना में हुई लड़ाई झगड़े के मामले से शुरू हुआ था और इसमें 6 लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिसमें से दो नाबालिग हैं। फिलहाल नगर निगम में इसकी सुनवाई होनी है और तमाम पहलुओं को लेकर इसमें जांच की जाएगी।
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