किसान अपनी मांगो को लेकर अभी भी सरकार के सामने डट कर खड़े हैं। साल 2020 में जो आंदोलन शुरू हुआ और 1 साल से अधिक समय तक दिल्ली के बॉर्डरों पर चला, वो एक बार फिर से शुरू हो सकता है। दरअसल संयुक्त किसान मोर्चा ने अपनी एक जनरल बॉडी मीटिंग में आंदोलन से जुड़ा एक फैसला लिया है। मीटिंग में कई राज्यों के किसान शामिल हुए और उस मीटिंग में आंदोलन और किसानों की मांग को लेकर कुछ फैसले लिए गए हैं। आइए आपको विस्तार से बताते हैं कि किसानों की मांग और आंदोलन को लेकर संयुक्त किसान मोर्चा ने क्या कुछ कहा है?
संयुक्त किसान मोर्चा ने की मीटिंग
कल यानी 10 जुलाई को संयुक्त किसान मोर्चा ने अपनी एक जनरल बॉडी मीटिंग बुलाई जिसमें 17 राज्यों के किसान शामिल हुए। इस मीटिंग में किसानों की मांग को लेकर चर्चा हुई और यह फैसला लिया गया है कि, 16 से 18 जुलाई तक प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और सभी सांसदों को किसानों की मांग का एक मेमोरेंडम सौंपा जाएगा। इस मेमोरेंडम में MSP कानून, कर्ज माफी, फसल की बीमा, किसानों के पेंशन, बिजली के निजीकरण को बंद करने के साथ ही साथ सिंधु और टिकरी बॉर्डर पर शहीद किसानों का स्मारक बनाने की मांग रखी जाएगी। इतना ही नहीं किसानों की एक मांग यह भी है कि भारत पाकिस्तान रोड ट्रेड को फिर से खोला जाए।
मांग पूरी नहीं हुई तो...
किसान नेता हनन मुल्ला ने कहा कि, मोदी सरकार ने हमारी सभी मांगें नहीं मानी थी। आंदोलन के दौरान जब हमारी उनसे बातचीत हुई तब उन्होंने हमारी मांगों को मानने की बात कही थी मगर अब तक उन्हें पूरा नहीं किया गया है। उन्होंने आगे कहा, 'हमने बहुत पत्र भी लिए लेकिन सरकार की तरफ से कोई जवाब नहीं आया। अब हम अगले 2 महीने में संयुक्त किसान मोर्चा को और मजबूत करेंगे और अगर हमारी मांगों को पूरा नहीं किया गया तो पूरे देश में आदोंलन करने की योजना है।'
(अविनाश तिवारी की रिपोर्ट)
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