महिलाओं को गुमराह कर के रखने का आरोप, अब सद्गुरु के ईशा फाउंडेशन ने जारी किया जवाब
सद्गुरु के ईशा फाउंडेशन उन आरोपों पर जवाब दिया है जिनमें संस्था पर महिलाओं को गुमराह कर के रखने का आरोप लगाया जा रहा था। संस्था ने आरोपों को सिरे से नकार दिया है।
सद्गुरु का ईशा फाउंडेशन आज कल विवादों में हैं। दरअसल, संस्था पर महिलाओं को गुमराह कर के रखने के आरोप लगे हैं। इस मामले में मद्रास हाई कोर्ट के निर्देश के बाद मंगलवार को पुलिस ने आरोपों की जांच की है और फाउंडेशन के लोगों से पूछताछ की भी की है। वहीं, अब इस पूरे विवाद के बीच सद्गुरु के ईशा फाउंडेशन ने भी जवाब जारी किया है। आइए जानते हैं कि सद्गुरु की संस्था ने क्या कहा है।
क्या है पूरा विवाद?
दरअसल, कोयंबटूर के रिटायर्ड प्रोफेसर एस कामराज ने शिकायत की है कि उनकी दो बेटियों को कोयंबटूर के ईशा योग केंद्र में रहने के लिए गुमराह किया गया और फाउंडेशन ने उन्हें अपने परिवार के साथ कोई संपर्क नहीं बनाने दिया। याचिका पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय की पीठ ने तमिलनाडु सरकार को आध्यात्मिक गुरु जग्गी वासुदेव के ईशा फाउंडेशन के खिलाफ दर्ज सभी आपराधिक मामलों का विवरण प्रस्तुत करने का निर्देश दिया था।
ईशा फाउंडेशन ने दिया जवाब
इस पूरे प्रकरण पर ईशा की ओर से जारी एक प्रेस विज्ञप्ति में इन आरोपों का खंडन किया गया है कि ईशा आश्रम में मौजूद लोगों को विवाह करने का सन्यासी बनने के लिए प्रेरित करता है। प्रेस विज्ञप्ति में कहा गया है कि ईशा फाउंडेशन की स्थापना सद्गुरु ने लोगों को योग और आध्यात्मिकता प्रदान करने के लिए की थी। हमारा मानना है कि वयस्क व्यक्ति को अपना मार्ग चुनने की स्वतंत्रता और बुद्धि है। हम लोगों से विवाह करने या संन्यासी बनने के लिए नहीं कहते क्योंकि ये व्यक्तिगत विकल्प हैं।
'अपनी इच्छा से ईशा योग केंद्र में रह रहे'
संस्था ने कहा है कि ईशा योग केंद्र में हजारों ऐसे लोग रहते हैं जो संन्यासी नहीं हैं और कुछ ऐसे भी हैं जिन्होंने ब्रह्मचर्य या संन्यासी का पद ग्रहण कर लिया है। इसके बावजूद याचिकाकर्ता चाहते थे कि संन्यासियों को न्यायालय के समक्ष पेश किया जाए और संन्यासियों ने न्यायालय के समक्ष खुद को पेश किया है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि वे अपनी इच्छा से ईशा योग केंद्र में रह रहे हैं। अब जबकि मामला न्यायालय के संज्ञान में आ गया है, हमें उम्मीद है कि सत्य की जीत होगी और सभी अनावश्यक विवादों का अंत होगा।
ईशा फाउंडेशन ने लगाए आरोप
विज्ञप्ति में ये भी कहा गया है कि इससे पहले, इसी याचिकाकर्ता ने अन्य लोगों के साथ मिलकर ईशा फाउंडेशन द्वारा बनाए जा रहे श्मशान घाट के बारे में तथ्यों की जांच करने के लिए एक तथ्य खोज समिति होने के झूठे बहाने से हमारे परिसर में घुसने की कोशिश की और फिर ईशा योग केंद्र के लोगों के खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज कराई। इसके खिलाफ, मद्रास के माननीय उच्च न्यायालय ने पुलिस द्वारा अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करने पर रोक लगा दी है। इसके अलावा, फाउंडेशन के खिलाफ कोई अन्य आपराधिक मामला नहीं है।
कानून के अनुसार सख्ती से निपटा जाएगा- ईशा
ईशा फाउंडेशन ने कहा है कि जो कोई भी फाउंडेशन के खिलाफ गलत जानकारी फैलाने में लिप्त है, उसके खिलाफ देश के कानून के अनुसार सख्ती से निपटा जाएगा। फिलहाल कोर्ट के आदेशों के अनुरूप पुलिस आश्रम में मौजूद हर व्यक्ति का बयान दर्ज कर रही है, पुलिस उनसे अंडरटेकिंग ले रही है कि क्या उन पर कोई दबाव है या वे स्वेछा से रह रहे हैं, ये प्रक्रिया पूरी होने के बाद अदालत को रिपोर्ट पेश की जाएगी।
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