Rajasthan Politics: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (Asho Gehlot) ने रविवार को सीएम चेहरे पर बने सस्पेंस के बीच चौंकाने वाला बयान देते हुए कहा कि अब नई पीढ़ी को नेतृत्व करने का मौका मिलना चाहिए। जैसलमेर में तनोट माता मंदिर में पूजा-अर्चना करने पहुंचे गहलोत ने मीडिया से बात करते हुए यह बयान दिया। दरअसल अशोक गहलोत फिलहाल जैसलमेर में हैं और उनके खेमे के कुछ विधायक कथित तौर पर राज्य मंत्री शांति धारीवाल द्वारा बुलाई गई बैठक में भाग ले रहे हैं। सूत्रों की मानें तो यह बैठक तय करने के लिए बुलाई गई है कि पायलट के मुख्यमंत्री बनने पर गहलोत खेमे की क्या राय है।
धारीवाल के आवास पर मौजूद लोगों में राज्य के मंत्री महेश जोशी, शकुंतला रावत और विधायक दानिश अबरार, महेंद्र चौधरी, आलोक बेनीवाल शामिल हैं। हालांकि, गहलोत ने अपने बयान से साबित कर दिया है कि वह युवा नेतृत्व को बढ़ावा देना चाहते हैं। अशोक गहलोत रविवार शाम को जयपुर लौटेंगे। जहां वो अपने आवास पर शाम 7 बजे सीएलपी की बैठक करेंगे।
युवा नेतृत्व का मतलब?
राजस्थान में युवा नेतृत्व का मतलब इस वक्त सचिन पायलट का सीएम बनना ही दिख रहा है। दरअसल, 2018 में जब राजस्थान में विधानसभा चुनाव हुआ और कांग्रेस को बहुमत मिला तो इस बात पर काफी विवाद हुआ कि राज्य का सीएम कौन होगा। उस वक्त सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच सीएम बनने को लेकर खींच-तान मची थी, लेकिन अंत में कांग्रेस आलाकमान ने भरोषा अनुभवी कंधों पर दिखाया और अशोक गहलोत को सीएम बना दिया।
हालांकि, इसके कुछ समय बाद ही पायलट ने बगावत कर दी और अपने खेमे के कुछ विधायकों के साथ अलग होने की राह पर आगए, लेकिन कांग्रेस आलाकमान ने उन्हें फिर मना लिया और राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बची रही गई। अब गहलोत ने जिस तरह से युवा नेतृत्व को मौका देने की बात की है उससे साफ जाहिर है कि सचिन पायलट को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कांग्रेस आला कमान बिठा सकती है।
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