Russia Ukraine News: रूस-यूक्रेन संकट और गहराता जा रहा है। यूक्रेन का माहौल अभी तक कुछ ऐसा बना हुआ है कि वहां क्या होनेवाला है, यह कोई भी निश्चित रुप से नहीं कह सकता। रूसी नेता व्लादिमीर पुतिन ने यह घोषणा तो कर दी है कि वे अपनी कुछ फौजों को यूक्रेन की सीमा से हटा रहे हैं, वहीं दूसरी तरहफ यह खबर आती है कि रूस ने यूक्रेन सीमा पर 7 हजार अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती कर दी है। यही नहीं, वह इससे पहले भी युद्धाभ्यास के बहाने अपने फाइटर जेट की उड़ानें भर चुका है। भारत के लिहाज से देखा जाए तो सबसे अहम सवाल यह है कि भारत का रूख इस पर क्या होगा। क्योंकि रूस भी भारत का परंपरागत मित्र है और अमेरिका से भी उसके अच्छे संबंध हैं। जानिए इस बारे में विदेश मामलों के शीर्ष जानकारों की क्या राय है।
भारतीय विदेश नीति परिषद के अध्यक्ष डॉ. वेदप्रताप वैदिक ने बताया-
हाल ही में अमेरिका, आॅस्ट्रेलिया, जापान और भारत के बीच क्वाड की बैठक आयोजित हुई थी। इसमें लग रहा था कि बैठक में भारत को भी रूस विरोधी रवैया अपनाने के लिए मजबूर किया जाएगा। लेकिन मेलबर्न में हुई बैठक में ऐसा कुछ नहीं हुआ। उस बैठक के बाद जो जॉइंट स्टेटमेंट जारी हुआ है, उसमें यूक्रेन का कहीं नाम नहीं है। जबकि भारत के अलावा क्वाड के बाकी तीनों देश रूस विरोधी और यूक्रेन के समर्थन में अपना रवैया अपनाए हुए हैं। संभवत: भारत के तटस्थ रूख की वजह से क्वाड की बैठ इस मसले पर मौन रही। इससे भारत की साख और भारत के स्टैंड या रूख, दोनों का पता चलता है।
विदेश मामलों के जानकार रहीस सिंह ने बताया-
1. अमेरिका के कूटनीतिक प्रेशर पर भी भारत तटस्थ रहेगा
जियो पोलिटिकल एंगल से देखा जाए तो भारत का इस मुदृदे से कोई लेना-देना नहीं है। क्योंकि पहली बात तो यह कोई बड़ा युद्ध नहीं है। दूसरा, भारत से दूसर यह यूक्रेन रूस-नाटो-अमेरिका के इर्द-गिर्द यह धुरी घूम रही है। अमेरिका जरूर वॉशिंगटन से भारत पर दोनों देशों की दोस्ती की दुहाई देकर यह यह दबाव डाल रहा है कि भारत उसका साथ दे। हालांकि खुद अमेरिका भी यह जानता है कि रूस और भारत भी परंपरागत साझेदार हैं। इसलिए भारत इस मसले पर किसी भी एक का साथ नहीं देगा।
2. कोरोना के दौर में कोई देश खतरा मोल नहीं लेना चाहेगा
वैसे तो कोरोनाकाल में दुनिया की सभी अर्थव्यवस्थाएं चरमरा गई हैं। ऐसे में चाहे अमेरिका हो, रूस या फिर नाटो के कोई देश, कोई भी युद्ध का खतरा मोल नहीं लेना चाहेगा। फिर भी यदि हालात और गरमा गए तो भारत अपनी ओर से पूरी कोशिश करेगा कि लड़ाई न हो। लड़ाई की स्थति में भारत किसी भी पक्ष का साथ नहीं देगा, क्योंकि भारत पॉलिसी ही यही है कि वह युद्ध की नीति पर नहीं चलता।
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