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Hindi News भारत राष्ट्रीय 'एक समय तो ऐसा लगा कि घर नहीं लौट पाऊंगी' यूक्रेन से लौटे छात्रों ने कुछ ऐसे बयां किए हालात

'एक समय तो ऐसा लगा कि घर नहीं लौट पाऊंगी' यूक्रेन से लौटे छात्रों ने कुछ ऐसे बयां किए हालात

वह यूक्रेन में इवोना शहर के एक विश्वविद्यालय के छात्रावास में रहती थीं। संस्कृति ने कहा कि रूस के हमले का इनोवा में ज्यादा असर नहीं हुआ था, लेकिन हवाई अड्डा बंद कर दिया गया था और छात्रावास के भोजनालय में खाना बनना बंद हो गया था।

Russia Ukraine News- India TV Hindi Image Source : PTI Russia Ukraine News

Highlights

  • भारत सरकार यूक्रेन से लगातार भारतीयों को बचाने के लिए काम कर रही है
  • प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चार मंत्रियों को भी यूक्रेन के पड़ोसी देशों में भेजा है
  • एक छात्रा ने हाल ही में आप बीती साझा की है

यूक्रेन और रूस बीच जारी तनाव के बीच भारतीय छात्रों को लाने के लिए सरकार लगातार प्रयास कर रही है। युद्धग्रस्त यूक्रेन से भारत लौटी उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर की रहने वाली एक छात्रा ने कहा कि उसे एक समय ऐसा लगा था कि वह कभी घर नहीं लौट पाएगी। ग्रेटर नोएडा में रहने वाली संस्कृति सिंह बुधवार को रोमानिया की राजधानी बुखारेस्ट से भारत पहुंची। 

वह यूक्रेन में इवोना शहर के एक विश्वविद्यालय के छात्रावास में रहती थीं। संस्कृति ने कहा कि रूस के हमले का इनोवा में ज्यादा असर नहीं हुआ था, लेकिन हवाई अड्डा बंद कर दिया गया था और छात्रावास के भोजनालय में खाना बनना बंद हो गया था। उसने कहा कि दुकानों और एटीएम पर लंबी-लंबी कतारें लगी थीं। संस्कृति ने कहा, ‘इसे देखते हुए विद्यार्थियों ने अलग-अलग समूह बनाए और हर समूह को अलग-अलग काम की जिम्मेदारी सौंपी गई। किसी को खाना बनाने, तो किसी को बाजार से सामान लाने की जिम्मेदारी दी गई। पानी महंगा हो गया था। सामान्य तौर पर पांच लीटर पानी की बोतल 40 से 45 रुपये में मिलती थी, लेकिन वह 100 रुपये से अधिक की हो गई थी।’

सीमा भारतीय छात्रों के लिए बंद कर दी गई थी-

संस्कृति ने बताया कि वह 26 फरवरी की सुबह रोमानिया और यूक्रेन की सीमा पर पहुंच गई थी, जहां पहले से ही बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे। उसने कहा कि उस समय सीमा भारतीय छात्रों के लिए बंद थी और उसे बताया गया कि सीमा को अगले दिन खोला जाएगा। संस्कृति ने कहा, ‘तब मुझे ऐसा लगने लगा था कि मैं घर वापस नहीं पहुंच पाऊंगी।’ उसने कहा कि अगले दिन सुबह सीमा पार करने के बाद उसकी जान में जान आई। उसने कहा कि रोमानिया में तापमान शून्य से छह डिग्री सेल्सियस नीचे था, ऐसे में वहां के लोग भारतीय छात्रों को कंबल दे रहे थे और उनके खान-पान का प्रबंध कर रहे थे।

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