Dollar Vs Indian Rupee: अमेरिकन डॉलर के सामने लगातार भारतीय रुपया कमजोर होते जा रहा है। देश के लिए ये एक चिंता का विषय बन गया है। हाल में आपने वृत्त मंत्री निर्मला सीतारमण का बयान भी देखा होगा, जो सोशल मीडिया पर काफी तेजी से वायरल हुआ था। इसे लेकर सोशल मीडिया पर कई तरह के मीम्स बनाए गए और काफी बहस-बाजी भी हुई। ऐसा पहली बार हुआ कि रुपया इतने निचले स्तर पर गया है। अब आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि डॉलर करेंसी तो अमेरिका की है तो इसका असर हमारे ऊपर क्या होगा। तो परेशान होने की जरुरत नहीं है, आपके हर सवाल का जवाब देने का प्रयास करते हैं।
बेचते कम खरीदते ज्यादा
अगर डॉलर जितना मजबूत होगा और रुपया कमजोर होगा तो इसका डायरेक्ट असर देश के नगारिकों के ऊपर देखने को मिलेगा। अब आसान भाषा में समझते हैं कि कैसे आम नगारिकों पर इसका प्रभाव पड़ेगा। हमारा देश अन्य देशों में निवेश करता है लेकिन हम आयात ज्यादा करते हैं और निवेश कम यानी इससे ऐसा समझा जाए कि हम बाहर के देशों में सामान कम बेचते हैं और अन्य देशों से सामान बहुत ही खरीदते हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि इसका डॉलर से क्या लेना-देना। आपको बता दें कि हम जब भी बाहरी देशों से सामान कोई खरीदते हैं तो उसके लिए डॉलर में ही पेमेंट करते हैं यानी ज्यादा सामान खरीदेंगे तो ज्यादा डॉलर चुकाना होगा। वही सामान कम खरीदते हैं तो इसलिए डॉलर देश में कम आता है। यहां तक आप समझ गए होंगे कि अब जितनी ज्यादा डॉलर की कीमत होगी, उतनी ही ज्यादा वैल्यू भारत को सामान खरीदने के लिए भुगतान करनी होगी।
आंकेड़े से समझते हैं आयात-निर्यात
पिछले महीने सितंबर की बात करे तो भारत ने निर्यात कम और आयात काफी अधिक किया था। इतने आयात होने के कारण भारत को व्यापार घाटा 1 लाख 24 हजार 740 करोड़ रुपये का हुआ। इसे सरल में समझे तो भारत को जितने रुपये बेचने से आए, उससे कई गुना अधिक पैसे दूसरे सामान खरीदने में लग गए। यानी जैसे-जैसे डॉलर बढ़ेगा तो व्यापार घाटा भी तेजी से आगे की ओर भागेगा। जिसका असर सीधे तौर पर आम इंसानों के ऊपर होगा। आपके जानकारी के लिए बता दें कि दुनिया में 80 फीसदी व्यापार डॉलर में होता है। यानी भारत में जो भी सामान आ रहा है उसके लिए डॉलर दिया गया है।
कैसे आपके ऊपर असर करता है
हमने आपको बता दिया कि अगर डॉलर मजबूत होगा तो आम भारतीय के ऊपर इसका सीधा अटैक होगा। अब कैसे होगा इसके बारे में हम आपको उदाहरण के तौर पर समझाते हैं। मान लीजिए कि आपके हाथ में जो फोन है उसका निर्माण भारत में होता है लेकिन कुछ उसमें लगने वाले पार्टस अमेरिका से खरीदे जाते हैं। एक छोटे पार्टस का दाम एक डॉलर है यानी भारतीय रुपये के मुताबिक बात करें तो 83.03 चुकाना पड़ेगा। अगर रुपये अगले महीने या दिन रुपया हमारा कमजोर हो गया और एक डॉलर बराबर 84 रुपया हो गया तो
हमे एक रुपया और अधिक पहले के अपेक्षा में चुकाना होगा। अब जाहिर सी बात है कि जब हमने एक रुपया अधिक भुगतान किया है तो मोबाइल का दाम भी बढ़ जाएगा। जो फोन आपको पहले दस हजार में मिलने वाला था लेकिन अब उसी फोन की कीमत बढ़ गई क्योंकि उसमें लगने वाले पार्टस के लिए देश ने एक रुपया ज्यादा चुकाया था। तो इसी प्रकार से हर सामान के दाम बढ़ते हैं जो भी बाहरी देशों से खरीदे जाते हैं।
Latest India News