राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत रविवार को मुंबई पहुंचे। यहां आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि अगर भारत चीन या अमेरिका जैसा बनने की कोशिश करेगा तो यह उसका विकास नहीं होगा। उन्होंने कहा कि भारत का विकास इसकी दृष्टि, इसके लोगों की स्थितियों और आकांक्षाओं, परंपरा और संस्कृति, दुनिया और जीवन के बारे में विचारों के आधार पर होगा।
'भारत अपने लिए नहीं जीता'
उन्होंने आगे कहा कि अगर दुनिया से हमारे देश को सीखने की जरुरत है, हम जरूर सिखेंगे, लेकिन हम अपने मौलिक सिद्धांतों और विचारों पर टिके रहेंगे। भागवत ने कहा, "मनुष्य को दूसरों के लिए जीना चाहिए। भारत अपने लिए नहीं जीता है, भारत दूसरों के लिए जीता है। भारत का विकास दुनिया की आवश्यकता है। हम सबको साथ लेकर चलते हैं।"
'भारत नकलची नहीं बनेगा'
भागवत ने आगे कहा, "विकास धर्म, संस्कृति के अनुसार भारतीय सोच से विकास करे। भारत नकलची नहीं बनेगा। भारत की आत्मा धर्म है। सबका विकास हो ऐसी सोच रखनी चाहिए। हम विकसित होंगे, तो दुनिया का विकास होगा, दुनिया के देश लड़ेंगे नहीं। यह सब करना है तो हम सबको सक्रिय होकर काम करना होगा। जैसे-जैसे भारत मजबूत हो रहा, दुनिया भर में भारतीय लोगों की गर्दन अपने आप ऊपर हो रही है।"
'रूस भी भारत की बात मानता है'
मोहन भागवत ने कहा, "रूस भी भारत की बात मानता है और हमारे देश की तारीफ करता है। दुनिया भर में भारतीय लोगों की गर्दन अपने आप ऊपर हो रही है। आज भारत कह रहा है कि युद्ध बंद करो तो रूस कह रहा भारत बहुत अच्छा देश है, यही बात पहले कहता तो रूस झाड़ देता। हम बलशाली बनेंगे तो चीन, अमेरिका और रूस जैसा डंडा नहीं चलाएंगे। हमारे कारण डंडा चलाने वालों के डंडे बंद हो जाएंगे।"
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