नयी दिल्ली: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के सरसंघचालक मोहन भागवत ने महान गायिक लता मंगेशकर के निधन पर रविवार को शोक प्रकट करते हुए कहा कि उनका जीवन एवं व्यवहार सभी के लिये अनुकरणीय है और स्वरों के रूप में उनकी पवित्र स्मृति सभी के मन में हमेशा बनी रहेगी। आरएसएस प्रमुख भागवत ने वीडियो के माध्यम से जारी अपने शोक संदेश में कहा, ‘‘भारत रत्न लता मंगेशकर जी के जाने से केवल मैं ही नहीं, बल्कि प्रत्येक भारतीय के मन में जो वेदना और रिक्तता उत्पन्न हुई है, उसको शब्दों में वर्णन करना कठिन है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘आठ दशक के ऊपर अपनी स्वर वर्षा से भारतीयों को तृप्त करने वाला आनंद धन हमने खो दिया।’’
मोहन भागवत ने कहा, ‘‘शुचिता और साधना की प्रतिमूर्ति लता दीदी के बारे में तो बहुत सारे लोग जानते हैं, लेकिन इतनी स्वर सिद्ध गायिका होने के बाद भी, अगर किसी गीत को गाना है तो उसकी तैयारी वह उतना ही करती थीं, जितना 13 साल की आयु में गायन की शुरुआत के समय किया करती थीं। भागवत ने कहा, ‘‘अपने व्यक्तिगत जीवन में, सामाजिक जीवन में और अपनी आजीविका के क्षेत्र सहित सभी क्षेत्रों में उनका व्यवहार सभी के लिये अनुकरणीय था।’’
आरएसएस प्रमुख ने कहा कि उनका जीवन शुचिता, तपस्या और साधना के आदर्श का अनुकरणीय उदाहरण था। उन्होंने कहा, ‘‘ईश्वर हमको इस दुख को सहन करने का धैर्य तथा मंगेशकर परिवार को भी इस आघात को सहन करने की शक्ति प्रदान करें। स्वरों के रूप में उनकी पवित्र स्मृति हम सभी के मन में बनी रहेगी।’’ लता मंगेशकर का रविवार को मुंबई स्थित एक अस्पताल में निधन हो गया। वह 92 वर्ष की थीं। उनका पिछले कुछ समय से ब्रीच कैंडी अस्पताल में उपचार चल रहा था। वह कोरोना वायरस से संक्रमित पाई गई थीं।
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