Rajya Sabha News: दूध, आटा, दही और अनाज जैसी रोजमर्रा इस्तेमाल में आने वाली वस्तुओं पर GST लगाने के बाद विपक्ष लगातार सरकार पर हमलावर था। आम नागरिकों ने भी केंद्र सरकार के इस कदम विरोध जताया था। सोशल मीडिया पर जबरदस्त रोष देखने को मिला था। अब इसी से जुड़े एक सवाल का जवाब केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने राज्यसभा में दिया है।
सरकार ने मंगलवार को राज्यसभा में कहा कि अनाज, दही, लस्सी सहित विभिन्न वस्तुओं पर माल और सेवा कर GST लगाए जाने का फैसला विभिन्न राज्यों के वित्त मंत्रियों के समूह GOM ने सर्वसम्मति से लिया था। वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने राज्यसभा में प्रश्नकाल के दौरान कहा कि, "जीएसटी परिषद की लखनऊ में हुई 45वीं बैठक में विभिन्न राज्यों के मंत्रियों का एक समूह (जीओएम) बनाने का फैसला किया गया था।" उन्होंने कहा कि उस जीओएम में कर्नाटक, बिहार, केरल, गोवा, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के मंत्री शामिल थे। उन्होंने कहा कि यह जीओएम सर्वसम्मति से फैसले लेता है।
राज्यसभा में सुशील मोदी ने पूछा था सवाल
इससे पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता और राज्यसभा सांसद सुशील कुमार मोदी ने सवाल किया था कि हाल ही में जिस बैठक में अनाज, दही, लस्सी आदि पर जीएसटी लगाए जाने का फैसला हुआ, क्या उसमें विपक्षी दलों द्वारा शासित दिल्ली, केरल, राजस्थान और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों के मंत्री मौजूद थे। उन्होंने यह सवाल भी किया कि क्या इन प्रदेशों ने बैठक में इन वस्तुओं पर जीएसटी लगाए जाने का विरोध किया था या असहमति जताई थी? चौधरी ने कहा कि फैसला करने वाले समूह में शामिल लोगों की स्वीकृति से ही फैसला लिया गया।
पेट्रोल-डीजल को GST में लाने पर हो रहा विचार
एक देश, एक मूल्य के सिद्धांत के तहत पेट्रोलियम उत्पादों पर समान जीएसटी लागू किये जाने के सवाल के जवाब में कहा कि इस तरह के फैसले जीएसटी परिषद लेती है और उसमें यह प्रस्ताव आया था। वित्त राज्य मंत्री ने बताया कि पेट्रोलियम उत्पादों को GST के दायरे में लाने के प्रस्ताव को लेकर अभी विचार किया जा रहा है।
गौरतलब है कि GST परिषद् की सिफारिश के बाद केंद्र सरकार ने दही, पनीर, गुड, चीनी, शहद, लस्सी, चावल, आटा, और ब्रेड जैसी आम इस्तेमाल चीजों पर 5% की GST लगा दी। इससे पहले यह सभी उत्पाद GST से बाहर रखे गए थे।
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