Rajat Sharma's Blog: हेमंत सोरेन गिरफ्तार हुए तो सीएम कौन बनेगा ?
अब हेमंत सोरेन सहयोगी दलों को इस बात के लिए तैयार कर रहे हैं कि अगर उनको गिरफ्तार किया जाता है, तो उनकी पत्नी को मुख्यमंत्री के तौर पर स्वीकार करें। लेकिन ये इतना आसान नहीं होगा क्योंकि इस मामले में गठबंधन तो दूर की बात, परिवार में भी एक राय नहीं हैं।
बिहार के बाद अब झारखंड में बदलाव की बयार है। 40 घंटे तक गायब रहने के बाद झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन मंगलवार को सबके सामने आए। दिल्ली से अन्तर्ध्यान हुए थे, रांची में प्रकट हो गए। ED की टीम दिल्ली के घर में खड़ी गाड़ी की तलाशी लेती रही और हेमंत सोरेन दूसरी गाड़ी में बैठकर हंसते-मुस्कुराते रांची में अपने घर में घुसे। लोगों ने पूछा, कहां थे, तो जवाब दिया, आपके दिल में थे। इसके बाद हेमंत सोरेन ने सरकार में शामिल सभी पार्टियों के विधायकों को घर पर बुलाया, बात हुई, बैठक में उनकी पत्नी कल्पना सोरेन भी मौजूद थीं। इसलिए चर्चा शुरू हो गई कि हेमंत सोरेन गिरफ्तारी के डर से कुर्सी छोंडे़ंगे और कल्पना सोरेन को मुख्यमंत्री बनाएंगे। शाम को फिर सभी विधायकों की मीटिंग हुई, जिसमें हेमंत सोरेन के पक्ष में एक समर्थन प्रस्ताव पास हुआ। हेमंत सोरेन से मुख्यमंत्री निवास पर ईडी के अधिकारियों ने पूछताछ की। चूंकि झारखंड में तेजी से घटनाक्रम हो रहे थे, तो राज्यपाल सी. पी. राधाकृष्णन ने मुख्य सचिव, गृह सचिव, पुलिस महानिदेशक को तलब किया। मुख्यमंत्री आवास और राजभवन के सौ मीटर के दायरे में दफा 144 लागू कर दी गई। ईडी दफ्तर के बाहर केन्द्रीय सुरक्षा बल तैनात कर दिए गए। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 3 फरवरी को रांची पहुंचने वाले थे, रात में राजभवन में रुक कर अगले दिन धनबाद और फिर बिहार के बेतिया में रैली होनी थी, लेकिन ये दौरा रद्द कर दिया गया।
चूंकि एक साथ इतने राजनीतिक घटनाक्रम हुए और सबको जोड़कर देखा जाए तो समझ में आता है कि कुछ तो होने वाला है। इसीलिए हेमंत सोरेन फ्यूचर प्लानिंग में लगे हैं। चूंकि हेमंत सोरेन 40 घंटे तक गायब रहे, इसलिए बहुत सारे सवाल पैदा हुए। सबसे बड़ा सवाल तो ये है कि अगर हेमंत सोरेन को गिरफ्तारी का डर था तो वो रांची से दिल्ली आए क्यों? अगर आए थे, तो भागे क्यों? भागे, तो छुपकर क्यों भागे? उनका चार्टर्ड प्लेन दिल्ली एयरपोर्ट पर खड़ा रहा, तो वो रांची पहुंचे कैसे? अगर हेमंत सोरेन कल्पना सोरेन को सीएम बनाना चाहते हैं। तो पहले भी बना सकते थे। क्या वो किसी डील का इंतजार कर रहे थे, जो नहीं बनी? या फिर उनके परिवार में इसको लेकर फूट है? ऐसे मौके पर हेमंत सोरेन के विधायक भाई बसंत सोरेन खामोश क्यों हैं? और उनकी विधायक भाभी सीता सोरेन दिल्ली में क्यों हैं? वो रांची क्यों नहीं गईं? क्या JMM के कुछ विधायक बीजेपी के टच में हैं? क्या बीजेपी ने तुरूप का इक्का छुपा रखा है? क्या झारखंड में भी बिहार की तरह कोई खेल हो सकता है?
हकीकत ये है कि हेमंत सोरेन को समझ में आ गया है कि उनकी गिरफ्तारी तय है। उनके पास ED के सवालों के जबाव नहीं हैं। वो पूरी प्लानिंग के साथ ED से बच रहे थे। वह अपनी रणनीति को अमली जामा पहनाने की कोशिश कर रहे थे। गिरफ्तारी के डर से झारखंड से बाहर नहीं जा रहे थे। लेकिन अचानक दिल्ली पहुंचे, इसलिए हलचल हुई। पता ये लगा है कि हेमंत सोरेन गिरफ्तारी से बचने के लिए अपनी आखिरी कोशिश के तहत बीजेपी के बड़े नेताओं से मुलाकात करने दिल्ली आए थे। उन्हें लग रहा था कि अगर वो पाला बदल लें, बीजेपी के साथ चले जाएं, तो शायद जेल जाने से बच सकते हैं। लेकिन दिल्ली में बीजेपी के नेताओं ने मुलाकात तो क्या, बात करने से इंकार कर दिया। इसके बाद हेमंत सोरेन समझ गए कि दिल्ली में घर लौटे तो ED दबोच लेगी। इसीलिए वो घर लौटने के बजाए चुपके से बिना किसी को बताए रांची निकल गए। लेकिन हैरानी की बात ये है कि एक राज्य का मुख्यमंत्री, जिसे जैड प्लस सिक्युरिटी कवर मिला हो, वह इस तरह निकल जाए, किसी को कानों कान खबर न लगे, सुरक्षाकर्मी खड़े रह जाएं, ये कैसे संभव है? लेकिन हेमंत सोरेन ने ये कर दिखाया और मंगलवार को जिस अंदाज़ में रांची पहुंचे, उससे लगा कि वो दिखा रहे हों कि उनको पकड़ना आसान नहीं हैं। अब हेमंत सोरेन सहयोगी दलों को इस बात के लिए तैयार कर रहे हैं कि अगर उनको गिरफ्तार किया जाता है, तो उनकी पत्नी को मुख्यमंत्री के तौर पर स्वीकार करें। लेकिन ये इतना आसान नहीं होगा क्योंकि इस मामले में गठबंधन तो दूर की बात, परिवार में भी एक राय नहीं हैं। पता ये लगा है कि हेमंत सोरेन के भाई बसंत सोरेन खुद सीएम बनना चाहते हैं। वह दुमका से विधायक हैं। हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन भी जामा से विधायक हैं। पार्टी के कुछ विधायक उनके साथ हैं। अगर हेमंत सोरेन ने अपनी पत्नी कल्पना सोरेन को अपनी जगह कुर्सी पर बैठाने की कोशिश की तो ऐसी चर्चा है कि बसंत सोरेन ही खेल खराब कर सकते हैं। बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना सकते हैं। इस वक्त झारखंड विधानसभा की तस्वीर कुछ ऐसी है - कुल सीटें 81, सत्ता पक्ष - JMM – 29, कांग्रेस – 17 , आरजेडी – 1, सीपीआई-माले 1। विपक्ष – बीजेपी 26, AJSU 3, एनसीपी(एपी) 1, निर्दलीय 1। अभी पिक्चर बाकी है। (रजत शर्मा)
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