A
Hindi News भारत राष्ट्रीय Rajat Sharma’s Blog : पीएम मोदी ने क्यों कहा- विकास विरोधी हैं 'अर्बन नक्सल'

Rajat Sharma’s Blog : पीएम मोदी ने क्यों कहा- विकास विरोधी हैं 'अर्बन नक्सल'

यह अभियान तो 2002 से चल रहा है जब वो गुजरात के मुख्यमंत्री थे। लेकिन मोदी ने कभी इसकी परवाह नहीं की। मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद देश-विदेश की कई ताकतें इस अभियान में शामिल हो गईं।

India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.- India TV Hindi Image Source : INDIA TV India TV Chairman and Editor-in-Chief Rajat Sharma.

गुजरात के एकता नगर में शुक्रवार को राज्य के पर्यावरण मंत्रियों के एक सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस बात का जिक्र किया कि कैसे 'अर्बन नक्सलियों' ने देश में विकास की धारा को रोकने की कोशिश की थी। 

पीएम मोदी ने मंत्रियों से कहा, 'आप जिस जगह पर बैठे हैं ना ये एकता नगर में, ये हमारे लिए आंखें खोलने वाला उदाहरण है। कैसे 'अर्बन नक्सलियों' ने, विकास विरोधियों ने, इस इतने बड़े प्रकल्‍प को, सरदार सरोवर डैम को रोक के रखा था। आपको जानकर हैरानी होगी साथियों, ये जो सरदार सरोवर डैम एकता नगर में आप बैठे हैं ना, इतना बड़ा जलाशय देखा होगा आपने, इसका शिलान्यास देश आजाद होने के तुरंत बाद किया था।'

पीएम मोदी ने कहा, 'सरदार वल्लभ भाई पटेल ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई थी। पंडित नेहरू ने शिलान्यास किया था लेकिन सारे अर्बन नक्सल मैदान में आ गए, दुनिया के लोग आ गए। काफी प्रचार किया ऐसा ये पर्यावरण विरोधी है, यही अभियान चलाया और बार-बार उसको रोका गया। जिस काम की शुरुआत नेहरू जी ने की थी, वो काम पूरा हुआ मेरे आने के बाद। बताइए, कितना देश का पैसा बर्बाद हो गया।' 

पीएम मोदी ने कहा,  'आज वही एकता नगर पर्यावरण का तीर्थ क्षेत्र बन गया। मतलब कितना झूठ चलाया था, और ये अर्बन नक्सल, आज भी चुप नहीं है, आज भी उनके खेल खेल रहे हैं। उनके झूठ पकड़े गए, वो भी स्‍वीकार करने को तैयार नहीं हैं और उनको अब कुछ लोगों का राजनीतिक समर्थन भी मिल जाता है ।'

उन्होंने कहा, 'भारत में विकास को रोकने के लिए कई ग्लोबल इंस्टिट्यूशन भी, कई फाउंडेशंस भी ऐसे बड़े पसंद आने वाले विषय पकड़ करके तूफान खड़ा कर देते हैं और ये हमारे अर्बन नक्‍सल उसको माथे पर लेकर के नाचते रहते हैं और हमारे यहां रुकावट आ जाती है। पर्यावरण की रक्षा के संबंध में कोई समझौता न करते हुए भी संतुलित रूप से विचार करके हमें ऐसे लोगों की साजिशों को जो वर्ल्‍ड बैंक तक को प्रभावित कर देते हैं, बड़ी-बड़ी न्यायपालिका को प्रभावित कर देते हैं। इतना आप प्रचार कर देते हैं, चीजें अटक जाती हैं। मैं चाहता हूं कि हमें इन सारे विषयों में एक Holistic approach (समग्र दृष्टिकोण) अपना कर आगे बढ़ना चाहिए।'

प्रधानमंत्री मोदी की यह बात सही है कि कुछ लोगों ने कभी पर्यावरण के नाम पर, कभी स्थानीय लोगों के अधिकार के नाम पर, कभी आंदोलन करके तो कभी कोर्ट में जाकर बहुत सारी परियोजनाओं को रोका। वक्त के साथ इन परियोजनाओं की लागत बढ़ती गई और कई जगह ये परियोजनाएं बहुत लाभदायक और उपयोगी साबित नहीं हुईं और देरी हुई सो अलग। लेकिन कोई ऐसे एक्टिविस्ट से लड़ना नहीं चाहता था।

नरेंद्र मोदी ने इस परंपरा को बदला। पहले गुजरात में और फिर दिल्ली आकर ऐसे अर्बन नक्सलियों से लड़ने की हिम्मत दिखाई। योजनाओं को पूरा करवाया। हालांकि, अर्बन नक्सलियों ने भी हिम्मत नहीं हारी है। वो आज भी मोदी के खिलाफ पूरी ताकत से लड़ रहे हैं। वे न केवल भारत के भीतर बल्कि विदेशों में भी नरेंद्र मोदी के खिलाफ लड़ रहे हैं। 

इसका एक सबूत गुरुवार को लंदन में दिखा। लंदन में भारतीय उच्चायोग के बाहर, 'साउथ एशिया सॉलिडेरिटी ग्रुप' के सदस्यों ने भारत-विरोधी, मोदी विरोधी और आरएसएस विरोधी नारे लगाते हुए विरोध प्रदर्शन किया। साउथ एशिया सॉलिडेरिटी ग्रुप साम्राज्यवाद-विरोधी और नस्लवाद-विरोधी संगठन होने का दावा करता है। मुट्ठीभर प्रदर्शनकारी यह आरोप लगा रहे थे कि आरएसएस समर्थक संगठनों ने इस सप्ताह के शुरुआत में  ब्रिटेन के लीसेस्टर और स्मेथविक शहरों में हिंसा की थी। लेकिन इसके विजुअल्स और तथ्य घटना की अलग तस्वीर बयां करते हैं। दरअसल, मास्क पहने जिहादी मुसलमानों ने हिंदू मंदिरों और हिंदुओं के दुकानों पर हमला किया था और इसके विरोध में हिंदुओं ने प्रदर्शन किया थाा। लेकिन अचानक इस मामले में मोदी का नाम जोड़ दिया गया। ब्रिटेन में एंटी इंडिया प्रोपेगैंडा शुरू हो गया है और इसके पीछे ग्लोबल आउटरेज की पुरानी टूलकिट है, जो फिर से एक्टिव हो गई। सोशल मीडिया के माध्यम से पूरे ब्रिटेन में भारत विरोधी प्रचार शुरू किया गया। साउथ एशिया सॉलिडेरिटी ग्रुप के प्रदर्शन की तस्वीरें, प्रदर्शनकारियों के हाथों में  बैनर और पोस्टर देखकर ही आप समझ जाएंगे कि आख़िर मामला क्या है। 

दरअसल, यह विदेश में नरेंद्र मोदी, बीजेपी और आरएसएस के विरोध में एक प्रचार अभियान है। ये वही टूलकिट है जो हमने किसान आंदोलन के दौरान भी देखी थी। भारत से नफरत करनेवाले इन लोगों ने गायिका रिहाना जैसे कुछ प्रभावशाली लोगों के ट्वीट्स का इस्तेमाल यह दिखाने के लिए किया था कि उनके आंदोलन को दुनिया भर में समर्थन मिल रहा है। इसका उद्देश्य मोदी को निशाना बनाना और आरएसएस को एक फासीवादी संगठन के रूप में दिखलाना था। ब्रिटेन में हिंदू-मुस्लिम तनाव के दौरान वही 'टूल किट' एक्टिव हो गया था, और जेएनयू कैंपस में 'टुकड़े-टुकड़े' गैंग से जो नारे हम सुनते थे, वही अब लंदन में सुनने को मिल रहे हैं। बड़ा सवाल ये है कि ब्रिटेन में विरोध-प्रदर्शन कर रहे ये लोग हैं कौन और किससे आज़ादी मांग रहे हैं ? असल में ये वही अर्बन नक्सलियों का गैंग है जो ग्लोबल लेवल पर एक्टिव है। लंदन में यह विरोध प्रदर्शन इंडिया हाउस के सामने किया गया। वैसे तो यह प्रदर्शन हिंदू-मुस्लिम समुदाय की एकता के लिए था लेकिन प्रदर्शनकारियों की बात सुनकर आप सब समझ जाएंगे। एक प्रदर्शनकारी ने कहा-'हम यहां शांति चाहते हैं। हम यहां रहने वाले दक्षिण एशियाई समुदाय (हिंदुओं और मुसलमानों) की एकजुटता चाहते हैं और हम यहां इसलिए इकट्ठे हुए हैं ताकि मोदी को संदेश दे सकें कि आप हमारे समुदाय को बांटना बंद करें। आप अपने फ़ासीवादी लोगों को हमारे देश में हिंसा फैलाने के लिए भेजना बंद कीजिए। क्योंकि हमें पता है कि ये नफरत वहीं से भेजी जा रही है। इसीलिए हम यहां इकट्ठे हुए हैं।'

पता चला कि ब्रिटेन में मोदी विरोधी अभियान साउथ एशिया सॉलिडेरिटी ग्रुप चला रहा है। यह ग्रुप पूरे ब्रिटेन में बीजेपी-आरएसएस के विरोध के प्रोग्राम करता है। कश्मीर हो या मुसलमानों पर ज़ुल्म के आरोप, गुजरात के दंगे या फिर किसान आंदोलन, साउथ एशिया सॉलिडेरिटी ग्रुप की वेबसाइट इन सारे विषयों से भरी पड़ी है। भीमा कोरेगांव की हिंसा हो, शाहीन बाग़ का धरना हो या फिर कानपुर और दिल्ली में हुए दंगे हों, हर मौके पर यह ग्रुप लंदन में इंडिया हाउस के सामने इकट्ठा होता है और मोदी सरकार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन करता है। जुलाई में भी इस ग्रुप ने लंदन में प्रदर्शन किया था। इस दौरान दक्षिण एशिया सॉलिडेरिटी ग्रुप की कल्पना विल्सन ने भाषण दिया था और कहा था- 'भारत में आज जो कुछ भी हो रहा है उसमें ब्रिटिश सरकार भी शामिल है। ब्रिटिश सरकार, भारत में जल्द ही होने वाले मुसलमानों के नरसंहार में शामिल है। क्योंकि, इस नरसंहार की भविष्यवाणी उन लोगों ने की है जिन्होंने रवांडा में नरसंहार की भविष्यवाणी की थी और वो कह रहे हैं कि भारत में भी मुस्लिम समुदाय का वैसा ही नरसंहार होने वाला है। हम इस बात को कैसे भूल सकते हैं कि मोदी की सरकार, मुसलमानों के घर गिराने के लिए जेसीबी बुलडोज़र भेज रही है। फिर चाहे वो दिल्ली हो या यूपी। और जैसा कि हम सबने देखा अभी कुछ दिनों पहले उन्होंने एक बहादुर कार्यकर्ता फ़ातिमा का घर इलाहाबाद में बुलडोज़र चलाकर गिरा दिया था।

मोदी के खिलाफ इस तरह का विरोध-प्रदर्शन कोई नई बात नहीं है। यह अभियान तो 2002 से चल रहा है जब वो गुजरात के मुख्यमंत्री थे। लेकिन, मोदी ने कभी इसकी परवाह नहीं की। मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद देश-विदेश की कई ताकतें इस अभियान में शामिल हो गई। लेकिन पिछले आठ साल में जितने विरोधी जमा हुए उससे कई गुना ज्यादा मोदी के प्रशंसक एक्टिव हो गए। विदेशों में रहने वाले भारतीयों को जब यह लगा कि मोदी की वजह से अपने-अपने देशों में उनका मान बढ़ा है तो वो मोदी के एक्टिव सपोर्टर बन गए।  (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 23 सितंबर, 2022 का पूरा एपिसोड

Latest India News