Rajat Sharma’s Blog | पंजाब हिंसा: भगवंत मान समय रहते कट्टरपंथ को जड़ से खत्म करें
पुलिस अधिकारियों ने भले ही अजनाला थाने में हालात को शांत करने में अपनी परिपक्वता दिखाई लेकिन मुख्यमंत्री भगवंत मान और उनकी सरकार को यह समझना चाहिए कि कट्टरपंथियों के खिलाफ नरमी बरतने से काम नहीं चलेगा।
गुरुवार को पंजाब से चिंता में डालने वाली तस्वीरें आईं। अमृतसर में हिंसक भीड़ ने बंदूक और तलवारें लहराते हुए खालिस्तान के समर्थन में नारे लगाए और अजनाला थाने का घेराव किया। ये लोग अपने एक सहयोगी लवप्रीत सिंह तूफ़ान की रिहाई की मांग कर रहे थे। इस भीड़ का नेतृत्व कट्टरपंथी अमृतपाल सिंह ने किया। वहां के एसपी ने जब 24 घंटे के अंदर लवप्रीत तूफान को रिहा करने का वादा किया तब थाने पर घेराव को खत्म किया गया। शुक्रवार को अजनाला की अदालत ने तूफान को रिहा कर दिया।
ये कट्टरपंथी दिवंगत पंजाबी अभिनेता दीप सिंह सिद्धू द्वारा स्थापित संगठन 'वारिस पंजाब दे' से जुड़े हुए थे। दीप सिद्धू खालिस्तान के समर्थक थे और कनाडा में छिपकर रह रहे अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू के संगठन 'सिख फॉर जस्टिस' के प्रति निष्ठा रखते थे।
लवप्रीत सिंह ऊर्फ तूफान अपहरण के एक मामले में आरोपी है, लेकिन गुरुवार को एसएसपी सतिंदर सिंह ने कट्टरपंथियों के दबाव में आकर ऐलान किया कि 'अमृतपाल सिंह और उसके समर्थकों द्वारा दिए गए सबूतों के आधार पर हम लवप्रीत को रिहा कर देंगे। एसपी तेजबीर सिंह के नेतृत्व वाली एसआईटी अमृतपाल सिंह के खिलाफ दर्ज अपहरण और मारपीट के मामले की जांच करेगी।'
गुरुवार की रात प्रसारित अपने 'आज की बात' शो में हमने सैकड़ों की तादाद में हथियारबंद खालिस्तान समर्थकों का वीडियो दिखाया जो बंदूक और तलवार लेकर बैरिकेड्स तोड़ते हुए अजनाला थाने पर हमला बोल रहे थे। इससे घंटों पहले भीड़ ने कपूरथला जिले में ढिलवां टोल प्लाजा के पास दिल्ली-अमृतसर हाईवे को जाम कर दिया। अमृतपाल सिंह ने खुले तौर पर खालिस्तान की मांग की और गुरुवार को हिंसक भीड़ का नेतृत्व करते हुए उन्होंने अपने समर्थकों से कहा कि वह गुरु को धन्यवाद देने के लिए तूफ़ान की रिहाई के बाद दरबार साहिब (स्वर्ण मंदिर) जाएंगे।
अमृतसर में खालिस्तान के समर्थन में नारे लगाने वाली भीड़ के दृश्य वास्तव में परेशान करने वाले हैं। कट्टरपंथियों और पुलिस के बीच हुई झड़प में एक दर्जन से ज्यादा पुलिसकर्मी घायल हो गये। सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि पंजाब पुलिस के सीनियर अधिकारियों ने अमृतपाल सिंह की धमकी के आगे घुटने टेक दिए। अमृतपाल सिंह ने धमकी दी थी कि अगर उनके सहयोगी तूफान को रिहा नहीं किया गया तो वे घेराव जारी रखेंगे। हिंसक भीड़ के आगे सैकड़ों पुलिसकर्मियों को अपनी जान बचाने के लिए भागना पड़ा।
अमृतपाल सिंह जून, 1984 में भारतीय सेना के ऑपरेशन ब्लूस्टार के दौरान मारे गए आतंकवादी और मास्टरमाइंड जरनैल सिंह भिंडरावाले का कट्टर अनुयायी होने का दावा करता है। अमृतपाल सिंह और उसके समर्थकों द्वारा एक शख्स वरिंदर सिंह की पिटाई का वीडियो वायरल हुआ था। आरोपों के मुताबिक 15 फरवरी को अमृतपाल के समर्थकों ने उसका अपहरण कर लिया था। पुलिस ने वरिंदर सिंह की शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज की थी। इस मामले में पुलिस ने अमृतपाल सिंह के क़रीबी लवप्रीत सिंह तूफान को गिरफ्तार किया था। जिसके बाद अमृतपाल ने समर्थकों के साथ गुरुवार को थाने का घेराव किया था।
सवाल यह उठता है कि जब पुलिस ने एफआईआर वापस लेने का फैसला किया तो घटना की जांच के लिए एसआईटी क्यों गठित की गई? शिरोमणि अकाली दल के नेता हरपाल सिंह बलेर (सिमरनजीत सिंह मान) ने मामले को सुलझाने के लिए अमृतपाल सिंह की ओर से सीनियर पुलिस अधिकारियों से बात की।
अमृतपाल सिंह खालिस्तान का कट्टर समर्थक है और उसका जन्म अमृतसर में ही हुआ था। 2012 में वह दुबई चला गया था। दुबई में वह क़रीब दस साल रहा। ट्रांसपोर्ट का बिज़नेस किया। दुबई में ही वह खालिस्तानियों के संपर्क में आया। 2022 में जब वह भारत लौटा तो 'वारिस पंजाब दे' संगठन का प्रमुख बन गया है। कहने को 'वारिस पंजाब दे' सामाजिक संगठन है लेकिन हकीकत में यह अलगाव की आग लगाने का काम कर रहा है।
यह संगठन दीप सिंद सिद्धू ने बनाया था। आपको बता दें कि ये दीप सिंह सिद्धू वही है जिस पर किसान आंदोलन के दौरान 26 जनवरी 2021 को लाल क़िले पर हिंसा करने का आरोप था। पिछले साल 15 फ़रवरी को एक सड़क हादसे में दीप सिंह सिद्धू की मौत हो गई थी। उसके बाद, पिछले साल सितंबर में अमृतपाल सिंह 'वारिस पंजाब दे' का चीफ बन गया। अमृतपाल सिंह की ताजपोशी का प्रोग्राम, मोगा ज़िले में जरनैल सिंह भिंडरावाले के गांव रोड़े में हुआ था। संगठन की कमान संभालते ही अमृतपाल सिंह काफ़ी एक्टिव हो गया। वह अपने समर्थकों के साथ गांवों में घूम-घूम कर कट्टरपंथियों को अपने साथ जोड़ रहा है।
अमृतपाल सिंह ने खालिस्तान को लेकर गृह मंत्री अमित शाह को भी चेतावनी दी थी। अपने एक भाषण में उसने कहा कि अमित शाह खालिस्तान की बात करने वालों को कुचलने की बात करते हैं तो उन्हें याद रखना चाहिए कि इंदिरा गांधी का हाल क्या हुआ था। लेकिन बाद में अमृतपाल ने कहा कि उसने अमित शाह को धमकी नहीं दी थी बल्कि उसके बयान को गलत तरीके से पेश किया गया।
अहम बात ये है कि हिंसक भीड़ द्वारा थाने को घेरकर बंदूक, तलवार और लाठियों से पुलिस पर हमला करना , ये कोई छोटी बात नहीं हैं। इस मामले में सख्ती होनी चाहिए। हिंसक भीड़ अलगाववादी नारे भी लगा रही थी। हैरानी की बात ये है कि पंजाब की भगवंत मान की सरकार इस तरह के देशद्रोहियों को सख्ती से कुचलने की जगह उनके सामने हाथ बांधे खड़ी है। दबाव में आकर खालिस्तान के नारे लगाने वालों को रिहा कर रही है। ये ठीक नहीं हैं।
अमृतपाल सिंह अकेला नहीं है। उसे कनाडा में बैठे और भारत के कट्टर भारत विरोधी अलगाववादी गुरपतवंत सिंह पन्नू का समर्थन मिल रहा है। पन्नू नियमित रूप से भारतीय तिरंगे का अपमान करने वाले वीडियो पोस्ट करता है और उसके समर्थक कनाडा और ब्रिटेन में विरोध प्रदर्शन करते रहते हैं।
अमृतपाल सिंह पन्नू को अपना आदर्श बताता है। अमृतपाल सिंह ने गृह मंत्री अमित शाह को धमकी दी थी और इंदिरा गांधी जैसा हाल करने की बात कही थी। उसके खिलाफ पंजाब सरकार ने कुछ नहीं किया। फिर अमृतपाल सिंह ने जालंधर के गुरुद्वारों में तोड़फोड़ की, बुजुर्गों और विकलांगों के लिए लगाई गई कुर्सियों को सड़क पर लाकर जलाया। उसके बाद भी अमृतपाल के खिलाफ एक्शन नहीं हुआ तो उसकी हिम्मत बढ़ गई, पंजाब में खालिस्तानी कट्टरपंथियों के हौसले बुलंद हो गए।
थाने को इस तरह से घेर लेना गंभीर घटना है। ये कट्टरपंथी सिख बिरादरी को भड़का कर सांप्रदायिक वैमनस्य फैलाने की कोशिश कर रहे हैं। पुलिस अधिकारियों ने भले ही अजनाला थाने में हालात को शांत करने में अपनी परिपक्वता दिखाई लेकिन मुख्यमंत्री भगवंत मान और उनकी सरकार को यह समझना चाहिए कि कट्टरपंथियों के खिलाफ नरमी बरतने से काम नहीं चलेगा।
मुझे याद है कि एक साल पहले कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने यह बात कही थी कि पाकिस्तान की शह पर पंजाब में एक बार फिर माहौल को खराब करने की कोशिश हो रही है। पाकिस्तान से नशे की खेप और हथियार भेजे जा रहे हैं और लोगों को भड़काया जा रहा है।
कैप्टन अमरिंदर की उस बात पर पंजाब सरकार को गौर करना चाहिए और वक्त रहते अमृतपाल सिंह जैसे लोगों को सबक सिखाना चाहिए। इस वक्त राज्य की आम आदमी पार्टी सरकार को केंद्र सरकार के साथ मिलकर बड़ी सावधानी से हालात से निपटना चाहिए। सबसे जरुरी बात यह है कि इस मामले को लेकर कोई पॉलिटिकल प्वाइंट स्कोर करने की कोशिश ना करे। (रजत शर्मा)
देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 23 फरवरी, 2023 का पूरा एपिसोड