Rajat Sharma’s Blog : G-20 अध्यक्ष बनने के बाद क्या भारत रूस-यूक्रेन युद्ध को खत्म करा सकता है ?
पहले भारत मदद के लिए दुनिया की ओर देखता था, अब दुनिया भारत की ओर मदद के लिए देखती है। नरेन्द्र मोदी ने अच्छा किया कि उन्होंने इंडोनेशिया की धरती पर खड़े होकर पूरी दुनिया को बताया कि भारत कहां-कहां और किस-किस क्षेत्र में नंबर वन है।
इंडोनेशिया के बाली में बुधवार को G-20 शिखर सम्मेलन के समापन समारोह में भारत को दुनिया के इस ताकतवर समूह की अध्यक्षता सौंपी गई। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने वहां मौजूद तमाम राजनेताओं की मौजूदगी में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को G-20 ग्रुप की अध्यक्षता सौंपी।
G-20 समूह में दुनिया की प्रमुख और उभरती अर्थव्यवस्थाएं शामिल हैं और यह दुनिया के कुल घरेलू सकल उत्पाद (जीडीपी) का लगभग 85 प्रतिशत, विश्व व्यापार का करीब 75 प्रतिशत और दुनिया की आबादी का लगभग दो-तिहाई हिस्सा है।
G-20 में भारत के अलावा अमेरिका, ब्रिटेन, यूरोपीय संघ, चीन, रूस, फ्रांस, जर्मनी, कनाडा, ब्राजील, ऑस्ट्रेलिया, अर्जेंटीना, इंडोनेशिया, इटली, जापान, दक्षिण कोरिया, मैक्सिको, सऊदी अरब, तुर्की और दक्षिण अफ्रीका शामिल हैं।
G-20 की अध्यक्षता संभालने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शिखर सम्मेलन में कहा, ' भारत ऐसे समय में G-20 का कार्यभार संभाल रहा है जब दुनिया एक साथ भू-राजनीतिक तनावों, आर्थिक मंदी, बढ़ती खाद्य एवं ऊर्जा कीमतों के साथ ही महामारी के दीर्घकालिक दुष्प्रभावों से जूझ रही है। ऐसे समय में दुनिया G-20 ग्रुप को बड़ी उम्मीद के साथ देख रही है। आज मैं यह आश्वासन देना चाहता हूं कि भारत की G-20 की अध्यक्षता समावेशी, महत्वकांक्षी, निर्णायक और कार्योन्मुखी होगी।'
भारत को 'लोकतंत्र की जननी' बताते हुए मोदी ने कहा, 'G-20 के लिए भारत की अध्यक्षता प्रत्येक भारतीय के लिए गौरव का अवसर है। हम देश के अलग-अलग शहरों तथा राज्यों में G-20 की बैठकें आयोजित करेगे। हमारे मेहमानों को भारत की अद्भुत विविधता, समावेशी परंपराओं और सांस्कृतिक समृद्धि का पूरा अनुभव मिलेगा....हम साथ मिलकर G-20 को वैश्विक बदलाव का उत्प्रेरक बनाएंगे।'
समापन समारोह से पहले बुधवार सुबह पीएम मोदी ने G-20 के अन्य नेताओं के साथ बाली के प्रसिद्ध मैंग्रोव वन का निरीक्षण किया। विश्व पर्यावरण में संतुलन बनाये रखने में मैंग्रोव वनों का योगदान सबसे महत्वपूर्ण है। भारत में मैंग्रोव की 55 से ज्यादा प्रजातियां हैं जो 5 हजार वर्ग किलोमीटर में फैली हुई हैं। दुनिया भर में ये मैंग्रोव वन अपनी समृद्ध जैव विविधता के सिये प्रसिद्ध हैं, और ये जलवायु परिवर्तन परअंकुश रखने में अहम भूमिका निभाते हैं। ये मैन्ग्रोव वन कार्बन सिंक ( यानि बड़ी मात्रा में कार्बन डायऑक्साइड को सोखने ) का काम करते हैं।
बाली में दो दिन तक चले G-20 शिखर सम्मेलन पर यूक्रेन युद्ध के बादल मंडराते रहे। जब सम्मेलन चल रहा था तभी ये खबर आई कि पूर्वी पोलैंड में एक मिसाइल हमला हुआ है जिसमें दो लोगों की जान चली गई है। हालांकि रूस ने इस बात से इनकार किया कि उसने पोलैंड पर मिसाइल अटैक किया है। उधर, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने बदले हुए हालात पर चर्चा के लिए G-7 और नाटों देशों के तत्काल मीटिंग बुलाई। बाद में पोलैंड ने माना कि ये गलती से हुआ हमला था।
बाली शिखर सम्मेलन के पहले दिन पीएम नरेंद्र मोदी ने यूक्रेन के मुद्दे को उठाया। उन्होंने कहा, ' मैंने बार-बार यह कहा है कि हमें यूक्रेन में युद्ध-विराम और कूटनीति के रास्ते पर लौटने का तरीका तलाशना होगा। पिछली शताब्दी में दूसरे विश्व युद्ध ने पूरी दुनिया में कहर बरपाया था। बाद में उस दौर के नेताओं ने गंभीरता से शांति की राह पर चलने का प्रयास किया। अब हमारी बारी है।'
मोदी ने कहा कि कोविड-19 वैश्विक महामारी के बाद एक नयी विश्व व्यवस्था बनाने की जिम्मेदारी हमारे कंधों पर है। दुनिया में शांति, सद्भाव और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए ठोस और सामूहिक संकल्प समय की मांग है। मुझे विश्वास है कि जब बुद्ध और गांधी की धरती पर G-20 की मीटिंग होगी तब हम सभी एक साथ दुनिया को शांति का ठोस संदेश देंगे।
मोदी ने कहा, 'जलवायु परिवर्तन, कोविड महामारी, यूक्रेन के हालात और उससे पैदा हुई वैश्विक चुनौतियों ने दुनिया में तबाही मचा दी है और वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला चरमरा गई है। पूरी दुनिया में आवश्यक वस्तुओं का संकट है और हर देश के गरीब नागरिकों के लिए चुनौतियां ज्यादा बढ़ गई हैं।'
दूसरे शब्दों में कहें तो इस शिखर सम्मेलन में मौजूद पश्चिमी देशों के साथ चीन और रूस के नेताओं को पीएम मोदी साफ तौर पर यह कह रहे थे कि इस युद्ध से किसी का भला नहीं होनेवाला है। अगर हम सभी को मानवता की मदद करने और धरती को स्वर्ग बनाने की जरूरत है तो शांति और भाईचारा जरूरी है। मोदी ने इन नेताओं से यह भी कहा कि यूक्रेन युद्ध जल्द खत्म होना चाहिए और सभी प्रमुख शक्तियों को कोई रास्ता निकालना चाहिए। उन्होंने कहा, भारत इस युद्ध को समाप्त करने में मुख्य भूमिका निभाने के लिए तैयार है।
नरेंद्र मोदी ने शिखर सम्मेलन में कहा कि वह भारत था जिसने कोविड जैसी वैश्विक महामारी के दौरान अपने 1.3 अरब नागरिकों की खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित की। साथ ही उन्होंने कहा, 'भारत ने कई जरूरतमंद देशों को भी खाद्यान्न की आपूर्ति की। खाद्य सुरक्षा के मामले में उर्वरकों की मौजूदा कमी एक बहुत बड़ा संकट पैदा कर सकती है। आज की उर्वरक कमी कल के खाद्य संकट का कारण बन सकती है। हम सभी को उवर्रक और खाद्यान्न दोनों की आपूर्ति श्रृंखला को स्थिर और सुनिश्चित बनाए रखने पर सहमत होना चाहिए।'
मोदी ने G-20 नेताओं से यह भी बताया कि कैसे भारत ने उन देशों को कोराना वैक्सीन की आपूर्ति की जिन्हें उसकी सख्त जरूरत थी। उन्होंने कहा कि आज जब दुनिया की अर्थव्यवस्था संकट का सामना कर रही है, भारत बड़ी शक्तियों के लिए एक उज्जवल उदाहरण के तौर पर उभरा है।
मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन, चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन, जर्मन चांसलर ओलाफ शोल्ज़, ब्रिटिश प्रधान मंत्री ऋषि सुनक, जापानी पीएम फुमियो किशिदा, कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो और इंडोनेशियाई राष्ट्रपति जोको विडोडो के साथ द्विपक्षीय वार्ता की।
शिखर सम्मेलन के पहले दिन रात्रिभोज के समय पीएम मोदी अमेरिकी विदेश मंत्री एंथनी ब्लिंकेन से बात कर रहे थे, तभी तीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग वहां पहुंचे। मोदी ने शी जिनपिंग का अभिवादन किया और उनसे हाथ मिलाया। लद्दाख की गलवान घाटी में दोनों देशों की सेनाओं के बीच संघर्ष के बाद मोदी और शी पहली बार आमने-सामने थे । दोनों नेताओं ने कुछ देर तक एक-दूसरे से बातचीत की। इससे पहले मोदी और शी जिनपिंग ने इसी साल समरकंद में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एसएसीओ) शिखर सम्मेलन में शिरकत की थी, लेकिन उस वक्त दोनों नेताओं की मुलाकात नहीं हुई थी।
मोदी ने मंगलवार को शिखर सम्मलेन से इतर बाली में भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित भी किया। मोदी को सुनने के लिए बड़ी संख्या में लोग जुटे थे जिनमें ज्यादातर मुसलमान थे। उनके हाथों में तिरंगा और मोदी की तस्वीर थी। इन लोगों ने मोदी-मोदी के नारे भी लगाए। मोदी ने अपने भाषण में भारत और इंडोनेशिया के बीच हजारों साल पुराने सांस्कृतिक संबंधों और समुद्र के रास्ते होनेवाले व्यापार का जिक्र किया।
उन्होंने कहा, भारत में गंगा नदी है तो इंडोनेशिया के पास तीर्थ गंगा है (यह बाली में पूर्व शाही महल के अंदर भव्य तौर पर सजाया गया वाटर गार्डेन है)। अगर भारत में हिमालय है तो इंडोनेशिया में अगुंग पर्वत है। अगर भारत में हम हर शुभ कार्य का श्रीगणेश करते हैं तो इंडोनेशिया की मुद्रा पर गणेश का चित्र है। मोदी ने कहा दुनिया में सबसे ज्यादा मुस्लिम आबादी का देश होने के बावजूद इंडोनेशिया की परंपराएं और रीति-रिवाज भारत जैसे ही हैं। उन्होंने कहा कि इंडोनेशिया के लोग भी भारतीयों की तरह पूर्णिमा और एकादशी का उपवास रखते हैं।
पीएम मोदी ने भारतीय समुदाय के लोगों से कहा कि भारत में बड़ा बदलाव आया है। उन्होंने कहा, 'आज का भारत छोटा नहीं सोचता। नए भारत ने अब बड़े लक्ष्य निर्धारित किए हैं और उन्हें प्राप्त किया है। पिछले आठ वर्षों में हमने 55 हजार किलोमीटर राजमार्ग बनाए, ऑस्ट्रेलिया के बराबर आबादी के लिए घर बनाए, करीब इतनी ही आबादी के लिए बैंक खाते खोले। अमेरिका और यूरोपीय संघ के बराबर आबादी को आयुष्मान भारत के तहत स्वास्थ्य सेवा प्रदान की। पहले भारत मदद के लिए दुनिया की ओर देखता था, अब दुनिया भारत की ओर मदद के लिए देखती है।'
मोदी ने कहा, 'भारत की प्रगति की गति और स्केल ने एक लंबी छलांग लगाई है, लेकिन हम अपने अतीत पर गर्व करना नहीं भूले हैं। इंडोनेशिया के लोगों ने इस्लामिक देश होने के बावजूद अपनी परंपराओं को बचाकर रखा है, हम भारत में भी वही कर रहे हैं।'
इंडोनेशिया में करीब डेढ़ लाख भारतीय रहते हैं। दोनों देशों के बीच करीब 20 अरब डॉलर का व्यापार होता है। इंडोनेशिया दक्षिण पूर्व एशिया में भारत का दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है। इंडोनेशिया ने भारत से तेजस लड़ाकू विमान और ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल खरीदने में रुचि दिखाई है। बाली में मोदी ने कहा, एक समय था जब भारत अपने सभी रक्षा उपकरण विदेशों से खरीदता था, लेकिन अब अन्य देश भारत से तेजस विमान और ब्रह्मोस मिसाइल खरीदने के लिए आगे आए हैं।
नरेन्द्र मोदी ने अच्छा किया कि उन्होंने इंडोनेशिया की धरती पर खड़े होकर पूरी दुनिया को बताया कि भारत कहां-कहां और किस-किस क्षेत्र में नंबर वन है। मोदी ने याद दिलाया कि भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था है। लेकिन साथ-साथ मोदी ये भी नहीं भूले कि भारत भी उसी दुनिया का हिस्सा है जो आर्थिक संकट से जूझ रही है।
मोदी जानते हैं कि आज भारत में महंगाई यूरोप के देशों के मुकाबले कम है लेकिन अगर विश्व आर्थिक संकट बना रहता है तो आने वाले दिन भारत के लिए भी मुश्किल भरे हो सकते हैं। अब G-20 की अध्यक्षता मिलने के बाद भारत की और भारत के प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी और भी ज्यादा है।
G-20 सम्मेलन में जितने भी बड़े-बड़े देशों के नेता मौजूद थे उनके हाथ में दुनिया की अर्थव्यवस्था है। उनके हाथ में पूरे विश्व का व्यापार है। लेकिन सबके सामने दो बड़े संकट हैं। एक रूस-यूक्रेन का युद्ध और दूसरा इस युद्ध से पैदा आर्थिक दबाव। प्रधानमंत्री मोदी ने इन दोनों संकट से निपटने का तरीका दुनिया के सामने रखा।
दोनों संकट से निपटने का रास्ता एक ही है। मोदी ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध को तुरंत खत्म करने की जरूरत है। G-20 के नए अध्यक्ष के तौर पर भारत इसमें लीड लेने को तैयार है। अगर वाकई में आने वाले दिनों में मोदी इस जंग को रोकने का रास्ता निकाल पाए तो दुनिया का भला होगा और भारत का मान बढ़ेगा। (रजत शर्मा)
देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 15 नवंबर, 2022 का पूरा एपिसोड