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Hindi News भारत राष्ट्रीय Rajat Sharma's Blog : क्या इमरान खान गिरफ्तार होंगे?

Rajat Sharma's Blog : क्या इमरान खान गिरफ्तार होंगे?

इमरान खान जानते हैं कि पाकिस्तान में कोई सिस्टम नहीं है। लोगों को अपने हुक्मरां पर भरोसा नहीं है और सियासत करने वालों को अदालतों पर भरोसा नहीं रहा। सबको लगता है कि सारी ताकत फौज के हाथ में है और आजकल फौज इमरान खान के खिलाफ है।

इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।- India TV Hindi Image Source : INDIA TV इंडिया टीवी के चेयरमैन एवं एडिटर-इन-चीफ रजत शर्मा।

लाहौर में पिछले दो दिनों से ज़मां पार्क के पास इमरान खान को लेकर हाईवोल्टेज ड्रामा जारी है।  इमरान खान के समर्थकों के साथ पाकिस्तानी रेंजर्स और पुलिस की कई बार हिंसक झड़पें हो चुकी है। ज़मां पार्क में इमरान खान के घर के बाहर जमा कई हज़ार समर्थकों की भीड़ कल से डेरा डाले हुए है और पुलिस अफसरों को घर के अन्दर नहीं जाने दे रही है। भीड़ ने पुलिस पर कई बार पथराव किया और पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे। कम से कम 54 पुलिसवाले और 8 नागरिक घायल हुए हैं। मंगलवार रात और बुधवार सुबह फिर झड़पें हुई। इमरान खान अपने घर में ही छिपे रहे। पुलिस तोशखाना मामले में कोर्ट के गिरफ्तारी वारंट को तामील करने के लिए इमरान खान को गिरफ्तार करना चाहती है। इमरान खान के वकीलों ने गिरफ्तारी वारंट को रद्द कराने के लिए  इस्लामाबाद हाई कोर्ट में अर्ज़ी दी है।

इमरान खान जानते हैं कि पाकिस्तान में कोई सिस्टम नहीं है। लोगों को अपने हुक्मरां पर भरोसा नहीं है और सियासत करने वालों को अदालतों पर भरोसा नहीं रहा। सबको लगता है कि सारी ताकत फौज के हाथ में है और आजकल फौज इमरान खान के खिलाफ है। जिस फौज ने इमरान को प्रधानमंत्री बनाया, उसी  ने इमरान को कुर्सी से उतारा। अब इमरान और फौज आमने-सामने हैं। और ये कोई छुपी हुई बात नहीं है। पाकिस्तान में सब कुछ खुले आम होता है । इसीलिए इमरान अदालत में हाज़िर नहीं हुए और कोर्ट को  उनके खिलाफ वारंट जारी करना पड़ा । इमरान ने अपने समर्थकों से कहा है कि अगर उन्हें जेल में डाला गया तो वे  सड़कों पर जंग के लिए तैयार रहें। अब शहबाज़ शरीफ की सरकार है तो इमरान को जेल भेजने की तैयारी हो रही है और समर्थक सड़कों पर लड़ेंगे। जब इमरान प्रधानमंत्री थे तो नवाज शरीफ जेल में थे और उनके समर्थक सड़कों पर उतरे थे । कुल मिलाकर  यही पाकिस्तान की सियासत है। पाकिस्तान इस वक्त बड़े आर्थिक संकट से गुजर रहा है। जनता महंगाई से त्रस्त है, लेकिन जनता की फिक्र न पहले किसी को थी और न अब किसी को है।

बिहार विधानसभा में माइक भंग

बिहार विधानसभा में एक बीजेपी विधायक लखेंद्र कुमार रौशन ने मंगलवार को प्रश्नकाल के दौरान अपने माइक को तोड़ दिया। उन्होंने आंगनवाड़ी में काम करने वाली महिलाओं के बारे में तीन पूरक सवाल पूछे और वह चौथा सवाल पूछना चाहते थे। लेकिन स्पीकर ने उन्हें इसकी इजाजत नहीं दी और उनका माइक म्यूट कर दिया गया । गुस्से में विधायक ने माइक तोड़ दिया ।  इस आचरण के लिए उन्हें सदन से दो दिन के लिए निलंबित कर दिया गया । तस्वीरों में साफ दिखाई दिया कि बीजेपी के विधायक गुस्से में आकर माइक तोड़ रहे थे। अगर वे अपनी गलती मान लेते तो बात इतनी न बढ़ती। उन्होंने पहले माइक तोड़ा फिर अपनी गलती पर पर्दा डालने की कोशिश की। एक झूठ को छुपाने के लिए सौ झूठ बोलने पड़ते हैं । उनके चक्कर में बीजेपी ने भी स्टैंड ले लिया और सदन से वॉकआउट किया । बीजेपी विधायकों ने जमकर नारेबाज़ी की । इसकी जरूरत नहीं थी । पार्टी के सीनियर नेताओं को अपने विधायक को समझाना चाहिए था और मामले को खत्म करने की कोशिश करनी चाहिए थी ।

ऑस्कर : उत्तर बनाम दक्षिण ?

भारतीय फिल्म ‘आरआरआर’ के गाने ‘नाटू-नाटू’ और शॉर्ट डॉक्यूमेंट्री 'द एलिफेंट व्हिस्परर्स' को ऑस्कर अवॉर्ड मिलने पर राज्य सभा में खुशी जताई गई और सदस्यों ने बधाई दी । दो दर्जन से ज्यादा नेताओं ने अपनी बात रखी । सदन के नेता पीयूष गोयल ने सबसे पहले बात शुरू की। उन्होंने 'नाटू-नाटू' और 'द एलिफेंट विस्पर्स' की टीम को बधाई दी। पीयूष गोयल के बाद विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि 'नाटू-नाटू' और 'द एलीफेंट व्हिस्परर्स' को ऑस्कर मिलना वाकई में बहुत बड़ी उपलब्धि है लेकिन उन्होने ये भी कहा कि अब ऐसा न हो कि इसका क्रेडिट बीजेपी के लोग प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को देने लगें । खरगे ने कहा कि ये ध्यान रखना भी जरूरी है कि ऑस्कर जीतने वाले दक्षिण भारत के हैं । खरगे के इस बयान पर जया बच्चन ने गुस्से में आकर कहा- ‘इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि वे कहां से हैं, उत्तर से हैं या दक्षिण से हैं, पूरब से हैं या पश्चिम से हैं । वे भारतीय हैं । मैं यहां अपनी फिल्म बिरादरी के लिए गर्व और सम्मान के साथ खड़ी हूं, जिन्होंने कई बार देश का प्रतिनिधित्व किया और कई पुरस्कार जीते । सिनेमा का बाजार यहां है, अमेरिका में नहीं है। यह तो एक शुरूआत है।' जया बच्चन की बात सही है कि फिल्म के अवॉर्ड को उत्तर या दक्षिण में नहीं बांटा जाना चाहिए और न ही इसे बीजेपी-कांग्रेस का सवाल बनाना चाहिए। ये अच्छी बात है कि एक दिन के बाद ही सही लेकिन कम से कम 94 साल में पहली बार ऑस्कर जीतने वालों को राज्यसभा में बधाई तो दी गई।

बंटा हुआ विपक्ष

बुधवार को 18 विपक्षी दलों के सांसदों ने दिल्ली में प्रवर्तन निदेशालय दफ्तर की ओर मार्च किया लेकिन पुलिस ने बैरिकेड्स लगाकर उन्हें रास्ते में ही रोक दिया । तृणमूल कांग्रेस के सांसद इस मार्च में शामिल नहीं हुए । इसी तरह मंगलवार को जब विपक्षी सांसदों ने अडानी विवाद की जेपीसी जांच की मांग को लेकर प्रदर्शन किया, तो वे बंटे हुए नजर आए । कांग्रेस की तमाम कोशिशों के बावजूद, विपक्षी खेमे में एकजुटता नहीं दिखी। कांग्रेस सांसदों ने पार्लियामेंट गेट के बाहर अलग प्रदर्शन किया तो तृणमूल कांग्रेस ने महात्मा गांधी की मूर्ति के बाहर अलग से प्रदर्शन किया। वहीं आम आदमी पार्टी और भारत राष्ट्र समिति के सांसदों ने ईडी के छापों और दिल्ली शराब घोटाले को लेकर प्रदर्शन किया। 

सभी विपक्षी नेता यह मानते हैं कि अलग-अलग रहकर मोदी का मुकाबला करना नामुमकिन है । फिर भी एक ही मुद्दे पर एक ही जगह पर कांग्रेस., तृणमूल कांग्रेस,  बीआरएस और आम आदमी पार्टी ने तीन अलग-अलग जगहों पर प्रदर्शन किया । स्पष्ट है कि  विपक्षी एकता में कमी नजर आ रही है । इसकी वजह भी साफ है । मोदी के डर से सब एक साथ आने की बात तो कहते हैं लेकिन जैसे ही यह सवाल आता है कि मोदी की जगह प्रधानमंत्री पद का दावेदार किसे बनाया जाय,  तो आपस में झग़ड़ा शुरू हो जाता है । कांग्रेस राहुल गांधी को नेता बनाना चाहती है जबकि तृणमूल कांग्रेस चाहती है कि मोदी विरोधी मोर्चे की अगुआई ममता बनर्जी करें। के. चन्द्रशेखर राव भी अपनी दावेदारी पेश कर चुके हैं और अरविंद केजरीवाल तो खुद को मोदी का सबसे बेहतर विकल्प मानते हैं । स्वाभाविक रूप से झगड़ा कुर्सी का है और ये बार-बार दिखाई दे रहा है। (रजत शर्मा)

देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 14 मार्च, 2023 का पूरा एपिसोड

 

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