Rajat Sharma’s Blog: यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा क्यों हुई?
सजा सुनाए जाने के तुरंत बाद यासीन मलिक को दिल्ली की तिहाड़ जेल भेज दिया गया।
दिल्ली की एक स्पेशल NIA कोर्ट ने बुधवार को JKLF के नेता यासीन मलिक को आतंकी फंडिंग और भारत के खिलाफ युद्ध छेड़ने के आरोप में दो बार उम्र क़ैद की सजा सुनाई। स्पेशल जज प्रवीण सिंह ने यासीन मलिक की इस दलील को खारिज कर दिया कि वह 1994 में आतंकवाद का रास्ता छोड़ने के बाद पिछले 28 सालों से महात्मा गांधी के अहिंसा के रास्ते पर चल रहा था।
स्पेशल जज ने अपने फैसले में कहा, ‘यह सही हो सकता है कि मुजरिम ने 1994 में बंदूक छोड़ दी हो, लेकिन उसने 1994 से पहले की गई हिंसा के लिए कभी अफसोस ज़ाहिर नहीं किया था। मुजरिम ने दावा किया है कि उसने अहिंसा के गांधीवादी सिद्धांत का पालन किया । चौरी-चौरा में हुई हिंसा की एक घटना के बाद महात्मा गांधी ने असहयोग आंदोलन को समाप्त कर दिया था, लेकिन यहां मुजरिम ने घाटी में बड़े पैमाने पर हिंसा होने के बावजूद न तो इसकी मुखालफत की और न ही अपना आन्दोलन वापस लिया, जिसके कारण हिंसा और फैली।’
NIA के इस तर्क पर कि यासीन मलिक घाटी में कश्मीरी पंडितों के नरसंहार और पलायन के लिए मुख्य रूप से जिम्मेदार था, स्पेशल जज ने कहा, 'यह मुद्दा इस वक्त न तो इस अदालत के सामने है, न ही इस पर कोई फैसला सुनाया गया है, इसलिए अदालत खुद को इस तर्क से प्रभावित नहीं होने देगी।'
यह पहला बड़ा मामला है जिसमें केंद्र ने जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ सख्त रुख अपनाया है। यह टेरर फंडिंग का भी पहला ऐसा मामला है जिसमें अदालत ने सजा सुनाई है। अदालत के आदेश के मुताबिक, यासीन मलिक को 5 दफाओं में 10-10 साल की, और 2 दफाओं में 20-20 साल की सजा काटनी होगी, और 10 लाख रुपये का जुर्माना भी भरना होगा।
कुल मिलाकर यासीन मलिक के खिलाफ आतंकवादी वरदात की साजिश रचने, दहशगर्दी के लिए फंड जुटाने, दहशतगर्द तंजीमों के साथ राब्ता रखने, देश के साथ गद्दारी करने यानी राजद्रोह के आरोप साबित हुए हैं। कहा जा सकता है कि अगर यासीन मलिक अदालत के फैसले को ऊपरी अदालत में चुनौती नहीं देता है तो उसे आखिरी सांस तक जेल में रहना पड़ेगा।
सजा सुनाए जाने के तुरंत बाद यासीन मलिक को दिल्ली की तिहाड़ जेल भेज दिया गया और साथ ही घाटी में पथराव की घटनाएं शुरू हो गईं। इसके अलावा घाटी में विरोध प्रदर्शन भी हुए। पाकिस्तान की बात करें तो प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, पूर्व पीएम इमरान खान, पूर्व क्रिकेटर शाहिद अफरीदी और अन्य नेताओं ने फैसले की निंदा की।
सबसे पहले मैं आपको बताता हूं कि पूरा मामला क् था। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने 2017 में यासीन मलिक के खिलाफ आतंकी फंडिंग के आरोपों की जांच शुरू की थी। NIA ने अदालत में साबित किया कि मलिक ने लश्कर-ए-तैयबा के सरगना हाफिज सईद से पैसे लिए थे। यासीन मलिक ने यह पैसा घाटी में सक्रिय दहशतगर्द तंज़ीमों को भेजा था। इस पैसे का इस्तेमाल पत्थरबाजी की घटनाओं को तूल देने, सेना और सुरक्षाबलों पर हमला करने और टारगेट किलिंग्स के लिए किया गया था।
इस मामले में कुल 12 लोग आरोपी थे, जिनमें से 2 अभी भी फरार हैं। NIA ने जनवरी 2018 में इस मामले की चार्जशीट दाखिल की थी। इस मामले में यासीन मलिक के अलावा, शब्बीर शाह, मसर्रत आलम, असिया अंद्राबी और इंजीनियर राशिद को भी आरोपी बनाया गया था। सुनवाई के दौरान NIA ने 3000 पन्नों में सुबूत पेश किए, शब्बीर शाह, यासीन मलिक और अन्य लोगों के ई-मेल कोर्ट के सामने रखे।
कुल मिलाकर 400 से ज्यादा इलेक्ट्रॉनिक एविडेंस भी कोर्ट में पेश किए गए। इसमें गुनहगारों के बीच बातचीत की रिकॉर्डिंग, पाकिस्तानी हाई कमीशन से रिश्तों के सबूत और हुर्रियत का आतंकवादी प्लान भी शामिल हैं। NIA ने यासीन मलिक पर जुर्म साबित करने के लिए 125 गवाह भी कोर्ट में पेश किए। एनआईए ने यासीन मलिक द्वारा जुटाई गई जायदाद के सबूत दिए, जिसके आधार पर अदालत ने उस पर 10 लाख रुपये का जुर्माना लगाया।
पूरी दुनिया जानती है कि यासीन मलिक ने 1990 से पहले बंदूक उठाई थी, और वह आतंकवाद की ट्रेनिंग लेने के लिए पाकिस्तान गया था। पाकिस्तान से लौट कर यासीन मलिक ने कई आतंकवादी घटनाओं को अंजाम दिया। वह देश के पूर्व गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद की बेटी और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती की बहन रूबिया सईद के अपहरण का मास्टरमाइंड था। वह जनवरी 1990 में भारतीय वायु सेना के जवानों पर हुए उस हमले का भी मास्टरमाइंड था जिसमें 4 अफसर शहीद हो गए थे।
उन शहीदों के परिवारों में स्क्वॉड्रन लीडर रवि खन्ना का परिवार भी शामिल है, जो पिछले 32 सालों से इंसाफ का इंतजार कर रहा है। उनकी पत्नी निर्मल खन्ना ने बुधवार को कहा कि इस फैसले से न्याय पाने की उनकी उम्मीदें फिर से जग गई हैं। शहीद की पत्नी ने कहा, ‘इंसाफ का पहिया आखिरकार चलने लगा है। मुझे सौ फीसदी यकीन है कि मुझे इंसाफ दिया जाएगा। लोग कहते हैं कि इंसाफ में देरी का मतलब अन्याय है, मगर मैं उस बात में यकीन नहीं करती।’
निर्मल खन्ना ने कहा, ‘यासीन मलिक ने न सिर्फ मेरे पति की हत्या की, बल्कि मेरी सास, ससुर और मेरी मां की भी हत्या की। मेरे दो नन्हे-मुन्नों का बचपन खो गया और पल भर में मेरी खुशी छिन गई। इस आतंकवादी ने हमारी दुनिया को उलट-पलट कर रख दिया।’ स्क्वाड्रन लीडर रवि खन्ना को एके-47 राइफल से 27 बार गोली मारी गई थी।
अगस्त 1990 में सुरक्षा बलों के साथ एक मुठभेड़ में यासीन मलिक घायल हो गया और उसे गिरफ्तार कर लिया गया। वह 1994 तक जेल में रहा। यासीन मलिक ने अदालत में दावा किया कि 1994 में जेल से छूटने के बाद से उसने कभी हिंसा नहीं की। मौजूदा मामले में यासीन मलिक ने खुद के लिए वकील रखने से इनकार कर दिया था और अदालत ने उसे खुद अपना पक्ष रखने की इजाजत दी थी।
यासीन मलिक को तिहाड़ जेल भेज दिया गया है और उसे सिक्युरिटी बैरक में रखा गया है। हालांकि ये लोअर कोर्ट का फैसला है, अभी यासीन मलिक के पास हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक जाने का रास्ता खुला है। लेकिन यासीन मलिक का जो स्वभाव है, जिस तरह का माइंडसैट है, हो सकता है वह अपील न करे। उसने अदालत में भी कह दिया था कि वह गुनाह कबूल करता है, और अदालत को जो सजा देनी है वह उसे कबूल है।
ये भी सही है कि यासीन मलिक ने 28 साल से किसी तरह की हिंसक गतिविधि में हिस्सा नहीं लिया है। गुजराल से लेकर अटल बिहारी वाजपेयी और मनमोहन सिंह तक, वह सभी प्रधानमंत्रियों से मिला। यह भी सही है कि अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार ने उसे पासपोर्ट दिया। इसका मतलब उस वक्त की सरकारों ने यासीन मलिक पर यकीन किया और उसे पॉलिटिकल मेन स्ट्रीम में लाने की कोशिश की। इसके बाद भी अगर यासीन मलिक ने आतंकवाद के लिए पैसे का इंतजाम किया, तो यह बहुत बड़ा गुनाह है। यह गुनाह अदालत में तो अब साबित हुआ है, लेकिन जनता की अदालत में तो ये गुनाह पहले ही साबित हो चुका है। आम लोगों का जो पर्सेप्शन है, वह यासीन मलिक के खिलाफ है।
जैसे ही श्रीनगर में यासीन मलिक के इलाके मैसूमा में विरोध शुरू हुआ, JKPDP प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने अपने बयान में कहा कि यह ‘कश्मीरियों पर अत्याचार’ का एक उदाहरण है। उसने कहा, ‘सजा देने से कश्मीर मुद्दे को हल करने में मदद नहीं मिलेगी। मुझे लगता है कि भारत की ताकत इस्तेमाल करने की नीति के नतीजे अच्छे नहीं होंगे। स्थिति दिनों दिन खराब होती जा रही है। मामला सुलझने के बजाय उलझता जा रहा है।’
नेशनल कांफ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा, यासीन मलिक को हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाने का पूरा अधिकार है। उन्होंने कहा, ‘अदालत ने अपना फैसला दिया है, और यह यासीन मलिक को तय करना है कि क्या करना है। मैं उस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता।’
यासीन मलिक को मैं अच्छी तरह जानता हूं। मैंने उसे 2 बार ‘आप की अदालत’ के कठघरे में बिठाया है, उससे सख्त सवाल पूछे है। शो के दौरान काफी तकरार हुई थी। ऑडियंस के बीच बैठे कश्मीरी पंडितों ने उसे हत्यारा कहा था, कश्मीरी पंडितों का खून बहाने वाला आतंकवादी कहा था और उसे कश्मीरी पंडितों के नरसंहार के लिए जिम्मेदार बताया था। उसे बार-बार इस बात के लिए कोसा गया कि उसने फौज के लोगों को मारा। हालांकि जिस केस में सजा हुई वह टेरर फंडिंग का केस है।
यासीन मलिक बार-बार कहता था कि जब उसने हथियार उठाए थे तब कश्मीर में माहौल ही ऐसा था। उसने दावा किया था कि 1994 में हथियार छोड़ने के बाद वह गांधीजी के अहिंसा के रास्ते में चल रहा है। यासीन मलिक ने मुझसे यह भी कहा कि उन्होंने कश्मीर के नौजवानों को बंदूक की बजाय बैलट का रास्ता अपनाने को कहा है।
यह बात भी सही है कि भारत में यासीन मलिक ने अलग-अलग सरकारों के साथ मिलकर कश्मीर का मसला हल करने की कोशिश की। लेकिन ये भी सच है कि यासीन मलिक इस मामले में पाकिस्तान को पार्टी बनाना चाहता था, जो कि भारत को मंजूर नहीं था।
यासीन मलिक मानता था कि पाकिस्तान को बातचीत में लाये बगैर कश्मीर का मसला हल नहीं हो सकता। वह पाकिस्तान के नेताओं से मिलता था, पाकिस्तान में मौजूद आतंकवादियों के आकाओं से भी उसके रिश्ते थे। मैंने पाकिस्तान में हाफिज सईद के साथ उसकी तस्वीर दिखाई थी।
यासीन ने मिशाल मलिक नाम की एक पाकिस्तानी लड़की से शादी की है,जो वहीं रहती है। उनकी एक छोटी-सी बेटी भी है। बुधवार को जब दिल्ली में सजा सुनाई गई, तो मिशाल अपनी बेटी के साथ पाकिस्तान की फेडरल इन्फर्मेशन मिनिस्टर मरियम औरंगजेब के साथ इस्लामाबाद में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में दिखाई दीं। मिशाल मलिक ने कहा, ‘मेरे पति को न तो वकील दिया गया और न ही दलील देने की इजाजत दी गई और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुना दी गई।’ मरियम औरंगजेब ने कहा कि यासीन मलिक पिछले 8 साल से अपनी बेटी से नहीं मिल पाए हैं।
बड़े पाकिस्तानी नेताओं में, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने ट्वीट किया, ‘आज का दिन भारतीय लोकतंत्र और उसकी न्याय प्रणाली के लिए एक काला दिन है। भारत यासीन मलिक को शारीरिक रूप से कैद कर सकता है लेकिन वह कभी भी स्वतंत्रता के उस विचार को कैद नहीं कर सकता जिसका वह प्रतिनिधित्व करते हैं। स्वतंत्रता सेनानियों के लिए आजीवन कारावास कश्मीरियों के आत्मनिर्णय के अधिकार को नयी गति प्रदान करेगा।’
पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने ट्वीट किया, ‘मैं कश्मीरी नेता यासीन मलिक के अवैध कारावास से लेकर फर्जी आरोपों में उनकी सजा तक के खिलाफ मोदी सरकार की फासीवादी रणनीति की कड़ी निंदा करता हूं। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को कश्मीर में हिंदुत्व फासीवादी मोदी शासन के स्टेट टेररिज्म के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।’
पाकिस्तान के विदेश मंत्री और PPP सुप्रीमो बिलावल भुट्टो जरदारी ने टिप्पणी की: ‘एक फर्जी मुकदमे में हुर्रियत नेता यासीन मलिक की अन्यायपूर्ण सजा की कड़ी निंदा करता हूं। भारत कभी भी कश्मीरियों की आजादी और आत्मनिर्णय की आवाज को चुप नहीं करा सकता। पाकिस्तान कश्मीरी भाइयों और बहनों के साथ खड़ा है, उनके न्यायपूर्ण संघर्ष में हर संभव मदद करता रहेगा।’
जब मैं यासीन मलिक के बारे में सोचता हूं, जब पिछले 28 साल का उसका ट्रैक रिकॉर्ड देखता हूं, तो लगता है कि यासीन मलिक ने 28 सालों में हथियार नहीं उठाया, पॉलिटिकल सिस्टम में शामिल होने की कोशिश भी की, इसलिए उसके साथ नरमी बरती जानी चाहिए।
लेकिन इसके बाद जब यह ख्याल आता है कि यासीन मलिक के कारण हमारी एयरफोर्स के 4 बहादुर अफसर शहीद हुए, यासीन मलिक ने हाफिद सईद से पैसा लिया और कश्मीर में खूनखराबे को बढ़ावा दिया, तो लगता है कि उसे सजा मिलनी चाहिए। यासीन मलिक ने भले खुद बंदूक न उठाई हो, लेकिन अगर उसने कश्मीरी लड़कों के हाथ में पत्थर या बंदूक थमाने के बदले पैसे दिए, पाकिस्तान से उसे फंड मिले, तो ये गुनाह माफी के काबिल नहीं है।
भारत की आम जनता का परशेप्सन भी यही है कि यासीन मलिक सजा का हकदार है। हो सकता है महबूबा मुफ्ती को जनता का रुख न दिख रहा हो, इसीलिए अभी भले ही वह पाकिस्तान की भाषा बोल रही हों, लेकिन इतना तय है कि अब पाकिस्तान की भाषा हिंदुस्तान में तो नहीं चलेगी, न इसका कुछ असर होगा। अब हिंदुस्तान बदल चुका है। अब आतंकवादियों के साथ रहम नहीं होता। अब पाकिस्तान को उसी की भाषा में जवाब दिया जाता है। (रजत शर्मा)
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