Rajat Sharma's Blog | सोनिया, राहुल पर वार: सोरोस बने हथियार
हंगरी में जन्मे अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस अपने आप को किसी एक देश का नागरिक नहीं मानते। वो अपने आप को stateless कहते हैं। वह पिछले कई साल से भारत को अस्थिर बनाने का एजेंडा चला रहे हैं। खास तौर पर नरेंद्र मोदी हमेशा उनके निशाने पर रहते हैं।
9 दिसम्बर को सोनिया गांधी का जन्मदिन था। उसी दिन बीजेपी ने संसद में सोनिया गांधी पर अब तक का सबसे बड़ा हमला किया। बीजेपी अध्यक्ष जे पी नड्डा ने राज्यसभा में आरोप लगाया कि सोनिया गांधी के अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस के संगठन से करीबी रिश्ते हैं। नड्डा ने कहा कि कारोबारी जॉर्ज सोरोस कांग्रेस के साथ मिलकर खुलेआम भारत विरोधी एजेंडा चलाते हैं, सोरोस कश्मीर को भारत का हिस्सा नहीं मानते। वह मोदी सरकार को हटाने और भारत में अस्थिरता पैदा करने का काम करते हैं।
बीजेपी ने आरोप लगाया कि सोनिया गांधी जॉर्ज सोरोस से जुड़े संगठन फोरम ऑफ डेमोक्रेटिक लीडर्स फाउंडेशन एशिया पैसिफिक की सह-अध्यक्ष हैं। बीजेपी ने मांग की कि कांग्रेस के सोरोस के फाउंडेशन के साथ रिश्तों की जांच के लिए JPC का गठन होनी चाहिए और संसद में इस मुद्दे पर चर्चा होनी चाहिए। बीजेपी के नेताओं ने बार बार ये मांग उठाई तो कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे समेत कांग्रेस के सारे नेता उत्तेजित हो गए। सोनिया गांधी पर लगे आरोपों से कांग्रेस के नेता इतने नाराज हो गए कि राज्यसभा के सभापति जगदीप धनकड़ पर पक्षपात का इल्जाम लगा दिया। फिर सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का ऐलान कर दिया।
सवाल ये है कि आखिर जॉर्ज सोरोस के नाम से कांग्रेस के नेता इतने परेशान क्यों हो गए? जॉर्ज सोरोस अरबपति अमेरिकी कारोबारी हैं, दुनिया के सौ से ज्यादा देशों में उनका संगठन काम करता है। फोरम फॉर डेमोक्रेडिट लीडर्स फाउंडेशन को जॉर्ज सोरोस से फंडिग मिलती है। इस संगठन के चार सह-अध्यक्ष हैं जिनमें राजीव गांधी फाउंडेशन की अध्यक्ष के तौर पर सोनिया गांधी भी एक हैं। फोरम फॉर डेमोक्रेटिक लीडर्स फाउंडेशन का एजेंडा भारत विरोधी और पाकिस्तान समर्थक रहा है। बीजेपी प्रवक्ता सुधाशुं त्रिवेदी ने आरोप लगाया कि कि जॉर्ज सोरोस के संगठन से जुड़े लोग राहुल गांधी के साथ भारत जोड़ो यात्रा में भी शामिल थे। अब कांग्रेस को साफ करना पड़ेगा कि क्या सोनिया गांधी और राहुल गांधी भारत में जॉर्ज सोरोस के एजेंडे को आगे बढ़ा रहे हैं।
फोरम फॉर डेमोक्रेटिक लीडर्स की स्थापना तीस साल पहले दिसंबर 1994 में साउथ कोरिया की राजधानी सियोल में की गई। इसका गठन साउथ कोरिया के तत्कालीन राष्ट्रपति किम डेई जंग की पहल पर हुआ, जो अब भी इसके चार सह-अध्यक्षों में से एक हैं। सोनिया गांधी 1994 में राजनीति में नहीं आई थी लेकिन उस वक्त वो राजीव गांधी फाउंडेशन की अध्यक्ष थी, इसीलिए सोनिया गंधी को फोरम फॉर डेमोक्रेटिक लीडर्स का सह-अध्यक्ष बनाया गया। जॉर्ज सोरोस की तरफ से राजीव गांधी फाउंडेशन को फंड भी दिए गए।
जॉर्ज सोरोस कश्मीर में जनमतसंग्रह की मांग का समर्थन करते हैं, वह कश्मीर को भारत का हिस्सा नहीं मानते, नरेन्द्र मोदी को तानाशाह बताते हैं, इसीलिए सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि ऐसे व्यक्ति के संगठन के साथ सोनिया गांधी के रिश्तों पर कांग्रेस को सफाई देनी पड़ेगी क्योंकि ये रिश्ता देशद्रोह जैसा है।
हंगरी में जन्मे अमेरिकी अरबपति जॉर्ज सोरोस अपने आप को किसी एक देश का नागरिक नहीं मानते। वो अपने आप को stateless कहते हैं। वह पिछले कई साल से भारत को अस्थिर बनाने का एजेंडा चला रहे हैं। खास तौर पर नरेंद्र मोदी हमेशा उनके निशाने पर रहते हैं। भारत में चुनाव के मौके पर वह सूचना जगत से जुड़े कई ऐसे बम फोड़ते हैं जिनसे मोदी को नुकसान हो। संसद के सत्र से पहले उनका पूरा सिस्टम ऐसी खबरें रिलीज करता है जिससे सरकार के खिलाफ माहौल बने। सवाल ये है कि इन सारी बातों से सोनिया गांधी का क्या कनेक्शन है? और आज बार बार सोरोस के कनेक्शन में सोनिया गांधी का नाम क्यों आया? असल में सोनिया गांधी भारत विरोधी संगठन फोरम ऑफ डेमोक्रेटिक लीडर्स फाउंडेशन एशिया पैसिफिक की सह-अध्यक्ष हैं। इसीलिए सोनिया गांधी से बार बार पूछा गया कि उनका इस संगठन से क्या कनेक्शन है, लेकिन कांग्रेस की तरफ से इसका कोई जवाब नहीं आया।
दूसरी तरफ राहुल गांधी को लेकर बीजेपी का आरोप है कि वह सोरोस के साथ मिलकर भारत विरोधी साजिश करते हैं। सोरोस राहुल को अग्रिम सूचना देते हैं। उसके आधार पर वो संसद के अंदर और बाहर मोदी के खिलाफ कैंपेन चलाते हैं। इस पृष्ठभूमि में दो बातें साफ है। सोनिया और राहुल का सोरोस से, उसके फाउंडेशन से, उसके सिस्टम से पूरा-पूरा संबंध है और सोरोस मोदी के खिलाफ हैं। खुलकर ये बात कहते हैं और मोदी सरकार को अस्थिर करने की कोशिश में लगे रहते हैं।अब सवाल ये है कि सारे मामले में गौतम अडानी का जिक्र क्यों आया?
राहुल का नया इल्जाम ये है कि सोरोस और उसके संगठनों ने अडानी को एक्सपोज किया और मोदी अडानी का बचाव कर रहे हैं। लेकिन इस पूरे मामले में जॉर्ज सोरोस का रोल बहुत दिलचस्प है। लंदन के आखबार 'फायनेंशियल टाइम्स' से जॉर्ज सोरोस का कनेक्शन है, चार साल पहले 2020 में 'फाइनेंशियल टाइम्स' ने लिखा अगर मोदी को कमजोर करना है तो गौतम अडानी को टारगेट करना होगा। राहुल गांधी बिलकुल इसी राह पर चलते हैं और इसकी कई मिसाल हैं- G20 समिट से पहले राहुल ने अडानी का नाम लेकर मोदी पर हमला किया। उसके बाद चाहे हिंडनबर्ग रिपोर्ट हो या अमेरिका में अडानी के खिलाफ जांच की खबर, सोरोस खबर बनाते हैं और राहुल मोदी के खिलाफ उसका पूरा पूरा इस्तेमाल करते हैं।
कहा तो ये भी जाता है कि राहुल गांधी जब इंग्लैंड या अमेरिका जाते हैं तो उनकी यात्रा की प्लानिंग सोरोस के सिस्टम द्वारा की जाती है। राहुल गांधी ने इस बात पर न कभी जवाब दिया, न कभी सफाई दी। राहुल ये तो कहते हैं कि अडानी मोदी एक हैं। वह ये तो कहते हैं कि मोदी अडानी के लिए काम करते हैं लेकिन राहुल गांधी ने बीजेपी के इस सवाल का जवाब नहीं दिया कि अगर अडानी इतने भ्रष्ट हैं तो कांग्रेस की सरकारों ने अडानी को प्रोजेक्ट्स क्यों दिए? तेलंगाना के सीएम रेवंत रेड्डी ने, राजस्थान में अशोक गहलोत ने बतौर मुख्यमंत्री अडानी को गले क्यों लगाया? अडानी को लेकर राहुल का ये डबल रोल, सोरोस से उनका कनेक्शन शरद पवार, ममता बनर्जी, अखिलेश यादव बखूबी समझते हैं। इसीलिए उन्होंने भी इस मसले को लेकर राहुल से दूरी बनाई। (रजत शर्मा)
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