Rajat Sharma’s Blog : हिंदुओं और मुसलमानों के बीच कौन बो रहा है नफरत के बीज ?
ओवैसी, महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला जैसे नेता मुसलमानों के मन में डर पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं।
शुक्रवार को देशभर में लाखों मुसलमानों ने शांति से मस्जिदों के अंदर और बाहर जमात-उल- विदा की नमाज (अलविदा नमाज) अदा की। लेकिन इस दौरान देश के दो अनुभवी राजनेताओं की ऐसी आवाजें सुनाई दीं जो माहौल को खराब करने वाली और लोगों को भड़काने वाली हैं। एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने हैदराबाद के चारमीनार के पास मक्का मस्जिद से जुमे की नमाज के बाद अपनी तकरीर दी। इस दौरान ओवैसी भावुक हो गए। उन्होंने यह आरोप लगाया कि मुसलमानों को डराया और धमकाया जा रहा है लेकिन वे झुकेंगे नहीं बल्कि लड़ेंगे।
ओवैसी ने कहा, 'मोदी और अमित शाह सुन लें, हम आपके सामने नहीं झुकेंगे। हम वो लोग है जो अल्लाह के आगे झुकते हैं और अल्लाह ही हमारे लिए सबकुछ हैं।' उन्होंने मध्य प्रदेश के खरगोन में हाल में हुए दंगों का जिक्र करते हुए कहा कि मुसलमान मौत से नहीं डरते। उन्होंने कहा, 'आपने हरियाणा का वह वीडियो देखा होगा जहां एक गोरक्षक ने बुजुर्ग मुस्लिम की दाढ़ी पकड़ ली थी... अगर अल्लाह हमारी जान लेता है तो हम मर जाएंगे, लेकिन अगर वह ऐसा नहीं करता है तो हम जीवित रहेंगे। हम इंतजार करेंगे। तुमने हमारे घर उजाड़ दिए, लेकिन अल्लाह रुकेगा नहीं।'
ओवैसी ने कहा, 'दिल्ली और खरगोन में जो कुछ भी हुआ, हम अपने भाइयों की मदद करेंगे, उनका साथ देंगे ... बीजेपी ने मुसलमानों के खिलाफ नफरत की एक लहर शुरू कर दी है लेकिन आप सब धैर्य रखिए। हमें एकजुट और मजबूती के साथ रहना है। हमें इस अन्याय को संवैधानिक रूप से लड़ना चाहिए ... बीजेपी हमें हथियार उठाने के लिए मजबूर करना चाहती है लेकिन हम ऐसा नहीं करेंगे। क्या आप जानते हैं कि हमारा हथियार क्या है? ये हमारे दो हाथ हैं जिन्हें हम दुआ के लिए उठाएंगे। हमें उम्मीद नहीं खोनी चाहिए। मुझे हमारे भाइयों के फोन आते हैं जो यह बताते हैं कि उनके घरों और दुकानों को तोड़ा जा रहा है। हमें इन सबका सामना धैर्य से करना होगा ताकि वे एक भी घर को नहीं गिरा सकें।'
उधर, जम्मू-कश्मीर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की चीफ महबूबा मुफ्ती ने शुक्रवार को आरोप लगाया कि लोगों को धर्म के नाम पर बंदूकें दी जा रही हैं और मस्जिदों से जबरन लाउडस्पीकर हटाए जा रहे हैं। पत्रकारों से बात करते हुए जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा- 'सरकार नौकरियां नहीं दे सकती, बढ़ती कीमतों को नियंत्रित नहीं कर सकती, लोगों को बिजली और पानी की किल्लतों का सामना करना पड़ रहा, इसलिए ऐसे हालात में उनके लिए सबसे आसान काम है हिंदुओं को मुसलमानों के खिलाफ खड़ा करना। अजान, लाउडस्पीकर, हिजाब और हलाल मीट जैसे मुद्दे उठाना।' महबूबा मुफ्ती ने आरोप लगाया कि बीजेपी इस देश के धर्मनिरपेक्ष ताने-बाने को नष्ट कर रही है और समाज को नष्ट करने के लिए धर्म का दुरुपयोग कर रही है।
देश भर के लाखों मुसलमानों ने रमजान के आखिरी शुक्रवार को शांति से नमाज अदा करके इन भड़काऊ आवाजों को एक अच्छा जवाब दिया। जयपुर, भोपाल, मुंबई, दिल्ली, लखनऊ, हैदराबाद समेत देश के अन्य शहरों में जिस तरह शांतिपूर्ण तरीके से नमाज अदा की गई उससे निश्चित तौर पर ओवैसी और महबूबा मुफ्ती जैसे नेताओं के मंसूबों को चोट पहुंची होगी। उनका मनोबल गिरा होगा। कुछ इलाकों को छोड़कर कहीं किसी तरह का तनाव या कोई हिंसा नहीं हुई। लेकिन हां, इस दौरान लाउडस्पीकर पर राजनीति जरूर हुई।
जहां ज्यादातर लोगों ने मस्जिदों के अंदर नमाज अदा की वहीं कुछ बड़े महानगरों में हजारों लोग नमाज अदा करने के लिए मस्जिदों के बाहर सड़कों पर लाइन में खड़े थे। जयपुर में राजस्थान सरकार ने नमाजियों के लिए सड़कों पर लाउडस्पीकर भी लगवाए। ये सभी लाउडस्पीकर सुप्रीम कोर्ट की तरफ से निर्धारित आवाज की क्षमता ( डेसिबल) से ज्यादा तेज आवाज में बज रहे थे।
जयपुर के मुख्य व्यवसायिक केंद्र के पास एक किलोमीटर से ज्यादा की दूरी तक हर बिजली के खंभे पर दो लाउडस्पीकर लगाए गए थे। करीब ढाई घंटे तक मुख्य मार्ग जाम रहा। पुलिस ने सुबह 11.30 बजे से दोपहर दो बजे तक मुख्य सड़कों पर बैरिकेडिंग की थी। जयपुर के शहर काजी खालिद उस्मानी ने कहा कि जुमे की नमाज में मुश्किल से 15 मिनट लगते हैं और इतने कम समय के लिए लाउडस्पीकर का उपयोग करने में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है।
मुस्लिम वोट बैंक को ध्यान में रखते हुए राजस्थान सरकार ने मुख्य सड़कों की सफाई कराई, पानी के टैंकर भेजे, बैरिकेडिंग की और लाउस्पीकर लगवाए ताकि नमाजियों को किसी तरह की परेशानी न हो। यह केवल कांग्रेस शासित राजस्थान तक ही सीमित नहीं था। बीजेपी शासित मध्य प्रदेश के भोपाल में चौक बाजार पर जामा-मस्जिद के बाहर हजारों मुसलमानों ने नमाज अदा की। इस दौरान लोगों ने सड़कों पर दरी बिछा कर भी नमाज अदा की।
ओवैसी ये कह सकते हैं कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मुसलमानों के प्रति उदार है लेकिन योगी आदित्यनाथ कट्टर हैं। शुक्रवार की रात अपने प्राइम टाइम शो 'आज की बात' में हमने आपको अलीगढ़, मेरठ, लखनऊ और यूपी के अन्य शहरों के दृश्य दिखाए जहां हजारों की संख्या में मुसलमानों ने शांतिपूर्वक नमाज अदा की। ओवैसी भले ही ये कहें कि योगी आदित्यनाथ की सरकार मस्जिदों से जबरन लाउडस्पीकर हटा रही है लेकिन सच्चाई यही कि यह सब मस्जिद की देखरेख करने वाली प्रबंधन कमेटी की सहमति से किया गया। ओवैसी योगी पर निशाना साधने के लिए अखलाक की हत्या और कुछ अन्य छिटपुट घटनाओं के मुद्दे उठा सकते हैं लेकिन वे अपनी तकरीर में इस बात का जिक्र करने से बचेंगे कि कैसे पूरे उत्तर प्रदेश में लाखों मुसलमानों ने शांति के साथ नमाज अदा की।
मैंने मुंबई, दिल्ली, अलीगढ़, भोपाल, लखनऊ और अन्य शहरों में नमाज के दृश्य क्यों दिखाए, इसका कारण यह है कि एक भी जगह पर किसी नमाजी ने हमारे रिपोर्टर्स को यह नहीं बताया कि उन्हें परेशान किया जा रहा है या उनके साथ दोयम दर्जे के नागरिकों जैसा व्यवहार किया जा रहा है। नमाजियों के चेहरे पर कहीं भी डर या तनाव नजर नहीं आया। हालांकि उनमें से ज्यादातर ने बीजेपी के खिलाफ खुलकर अपनी बात रखी। लेकिन अगर हम मान लें कि वे डर के माहौल में जी रहे हैं तो ऐसी स्थिति में कैमरे पर बीजेपी के विरोध में अपनी बात नहीं रखते। लेकिन ओवैसी, महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला जैसे नेता मुसलमानों के मन में डर पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। वे मुसलमानों के सामने बीजेपी-आरएसएस-योगी का हौआ खड़ा कर रहे हैं जबकि जमीनी हकीकत बिल्कुल अलग है।
हैदराबाद की मक्का मस्जिद से ओवैसी अपनी तकरीर के दौरान एक अनुभवी राजनेता की तरह नहीं बोल रहे थे। वे एक मौलवी की तरह बोल रहे थे। वे नमाजियों को उकसा रहे थे। ओवैसी यह साबित करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं कि भारत में मुसलमानों को सताया जा रहा है। महबूबा आरोप लगा रही हैं कि मुसलमानों को उनके पारंपरिक रिवाजों को आजादी के साथ करने की इजाजत नहीं दी जा रही है और केवल ‘लाउडस्पीकर एजेंडे’ पर काम चल रहा है। इनलोगों को यह भी सुनना चाहिए कि दारुल उलूम के बड़े मुफ्ती नज़ीर अहमद कासमी ने क्या कहा है। कासमी एक जाने-माने इस्लामी विद्वान हैं। वह एक कश्मीरी सुन्नी मौलवी हैं। उनका कहना है कि इस्लाम में मस्जिद के बाहर सड़क पर नमाज पढ़ना मना है। उनका यह भी कहना है कि इस्लाम में मस्जिद में नमाज के लिए लाउडस्पीकर के इस्तेमाल पर पाबंदी है।
चूंकि यह रमजान का पवित्र महीना है और अब से कुछ दिन बाद ईद-उल-फितर का त्योहार मनाया जाएगा इसलिए शांति और भाईचारे को भंग करने की कोई कोशिश नहीं होनी चाहिए। (रजत शर्मा)
देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 29 अप्रैल, 2022 का पूरा एपिसोड