Rajat Sharma's Blog | क्या है पीएम मोदी के खिलाफ 'वोट जिहाद' ?
लोकसभा चुनाव के तीसरे चरण की वोटिंग मंगलवार को संपन्न हो गई। अभी अगले चार चरणों में मतदान होना बाकी है। इस बीच, वोट जिहाद का प्रचार प्रसार खूब तेजी से हो रहा है। जानिए क्या है पीएम मोदी के खिलाफ वोट जिहाद?
मंगलवार को तीसरे चरण की वोटिंग के बाद अब लोक सभा की आधी सीटों के लिए लड़ाई बाकी रह गई है। इन बाकी आधी सीटों के लिए लड़ाई तेज हो गई है। उत्तर प्रदेश के बाद महाराष्ट्र में भी वोट जिहाद की बात हुई। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड और कुल जमाती संगठन ने वोटिंग से पहले महाराष्ट्र में मोदी को हराने की कॉल दी। साफ साफ एलान किया कि मुसलमान पार्टी न देखें, उम्मीदवार न देखें, उस उम्मीदवार को वोट दें, जो बीजेपी के उम्मीदवारों को हराने की स्थिति में हो। मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की तरफ से मुसलमानों को सीटों और उम्मीदवारों के नाम बताकर कहा गया कि किसे वोट देना है, किसको हराना है? प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि अब देश के लोगों को तय करना है कि वोट जिहाद चलेगा या रामराज्य। मोदी ने कहा कि वो इसीलिए चार सौ सीटों की मांग कर रहे है जिससे कांग्रेस और उसके चट्टे बट्टों के मंसूबों को पूरा होने से रोक सकें। महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने खुलासा किया है कि राज्य की मस्जिदों से कॉल दी जा रही है कि सभी मुस्लिम वोटर मोदी और बीजेपी को हराने के लिए एकजुट होकर वोट डालें। फडनवीस ने कहा कि महाराष्ट्र में मस्जिदों से कॉल दी जा रही है, जलसों में मुसलमानों से कहा जा रहा है कि उनका सिर्फ एक ही टारगेट है - बीजेपी को हराना, सिर्फ एक ही लक्ष्य है - मोदी को हटाना।
फडणवीस ने कहा कि चुनाव से पहले मज़हब के नाम पर जिस तरह से वोटर्स को प्रभावित करने की कोशिश की जा रही है, ये चुनाव आयोग को देखना चाहिए। देवेन्द्र फडणवीस ने जब इंडिया के साथ एक्सक्लूसिव बातचीत में ये खुलासा किया कि मस्जिदों से बीजेपी को हराने की कॉल दी जा रही है, महाविकास अघाड़ी के उम्मीदवारों के जिताने की अपील की जा रही है, तो इंडिया टीवी के संवाददाताओं ने इस दावे की जांच की और देवेन्द्र फडणवीस की बात बिल्कुल सही निकली। महाराष्ट्र में ऐसा हो रहा है। हमें पुणे में हुए एक जलसे का वीडियो मिला जिसमें मुसलमानों से बीजेपी के खिलाफ एकजुट होने की अपील की गई। इसका आयोजन कुल जमाती तंज़ीम ने किया। पूरे महाराष्ट्र से लोग बुलाए गए थे, जलसे का मुद्दा था - मौजूदा हालात में हमारी जिम्मेदारियां. इसमें तमाम मुस्लिम तंजीमों के लोग पहुंचे और मुसलमानों को सबसे बड़ी जिम्मेदारी ये बताई गई कि किसी भी सूरत में केन्द्र में फिर बीजेपी की सरकार बनने से रोकना, किसी भी कीमत पर नरेन्द्र मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने से रोकना। मजे की बात ये है कि सैकड़ों लोगों की भीड़ के सामने वक्ताओं ने ये बात साफ-साफ लफ्ज़ों में खुलकर कही।
मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता सज्जाद नोमानी ने कहा कि वो जो समझा सकते हैं, समझा दिया, जो कह सकते थे, कह दिया, अब इससे ज्यादा कुछ नहीं कह सकते कि देश का संविधान बदल जाए, आरक्षण खत्म हो जाए, मुसलमानों को और मुश्किलात का सामना करना पड़े, इससे पहले सतर्क हो जाओ, ये आखिरी मौका है। इसलिए अब उम्मीदवार और पार्टी छोड़ो, सिर्फ उसे एकजुट होकर वोट दो, जो बीजेपी को रोक सके। हमारा निशाना ये भी नहीं कि कौन मुस्लिम उम्मीदवार है, कौन गैर मुस्लिम उम्मीदवार है? हमको ये देखना है कि कौन सा उम्मीदवार दिल्ली की मौजूदा सरकार को बदलकर थोड़ी गनीमत सरकार वहां ला सकता है, ये हमारी गुजारिश है, मुझे उम्मीद है साफ़ लफ्जो में मैंने आप तक अपना पैगाम पहुंचा दिया, खुदा करे आपके दिल में भी ये उतर जाए। मौलाना सज्जाद नोमानी ने अपनी बात खत्म की। उन्होंने ये बताया कि किसे हराना है?
इसके बाद कुल जमाती तंज़ीम के मेंबर उस्मान हिरोली ने उन उम्मीदवारों के नाम बताए जिन्हें जिताना है, जिन्हें महाराष्ट्र में जमात ने सपोर्ट करने का फैसला किया है। अब चूंकि सैयद सज्जाद नोमनी बड़े इस्लामी स्कॉलर हैं। ऑल इंडिया पर्सनल लॉ बोर्ड के प्रवक्ता हैं, इसलिए वो जानते थे कि अगर उन्होंने उम्मीदवारों का नाम अपनी ज़ुबान से लिया तो फिर ये बड़ा मुद्दा बन सकता है। यही वजह है कि इन उम्मीदवारों के नाम उस कुल जमाती तंज़ीम से जुड़े लोगों के मुंह से कहलवाए गए, जिन्होंने सज्जाद नोमानी को यहां बुलाया था। समाजवादी पार्टी के नेता अबु आज़मी कह रहे हैं कि चुनाव के वक्त हर धर्म, हर समाज के लोग अपनी पसंदीदा पार्टी या उम्मीदवार को वोट देने की अपील करते हैं, इसमें क्या गलत है? इससे पहले चुनावों के वक्त मस्जिदों के इमाम फतवे जारी करते थे, मौलाना और मुस्लिम जमात के नेता अपने समर्थकों के लिए वोटिंग से पहले अपील जारी करते थे लेकिन ऐसा पहली बार दिख रहा है कि मुस्लिम संगठन जलसों का आयोजन करके वोट जिहाद की बात कर रहे हों।
जिन चार सीटों पर महाविकास अघाड़ी के उम्मीदवारों को जिताने की अपील की गई, उनमें बारामती से शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले उम्मीदवार हैं। बारामती में मंगलवार को ही वोटिंग हुई। बाकी पुणे सीट से कांग्रेस के रविंद्र धंगेकर चुनाव लड़ रहे हैं। मावल सीट पर उद्धव ठाकरे की शिवसेना के संजय वाघोरे मैदान में हैं.. जबकि शिरुर सीट पर NCP शरद पवार गुट के अमोल कोल्हे चुनाव लड़ रहे हैं। इन तीनों सीटों पर 13 मई को पोलिंग होनी है। वोटिंग से पहले मुस्लिम संगठनों ने अपना प्लान जाहिर कर दिया है। मुसलमानों से एकजुट होकर टैक्टिकल वोटिंग करने की अपील की गई है। इससे पहले फर्रुख़ाबाद में कांग्रेस के नेता सलमान खुर्शीद की भतीजी ने मुसलमानों से वोट जिहाद की अपील की थी, बीजेपी को सपोर्ट करने वाले मुसलमानों को क़ौम का गद्दार बताया था। इस तरह के संदेश का असर पूरे देश के मुसलमानों पर होता है। इसीलिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने तुरंत जवाब दिया और रैलियों में कहा कि अब जनता को तय करना है कि उसे वोट जिहाद चाहिए या रामराज्य। जो लोग ये पूछते हैं कि मोदी वोट जिहाद की बात क्यों करते है, उनको आज जवाब मिल गया होगा।
वैसे तो मुसलमानो से हर चुनाव में बीजेपी के खिलाफ एकमुश्त वोट देने को कहा जाता हैं। इस बार भी मोदी को हटाने के लिए वोट देने की अपील की गई। अब तक ये काम चुपचाप होता था, लेकिन आज सबने देखा मौलाना सज्जाद नोमानी जैसे मशहूर मुस्लिम लीडर खुले आम साफ-साफ लफ्जों में कह रहे हैं कि मुसलमानों को हर उस उम्मीदवार को वोट देना है जो मोदी को हरा सके। मौलाना सज्जाद नोमानी कोई साधारण शख्सियत नहीं है। उनकी बात का मुसलमानों पर काफी असर पड़ता है। उनकी काफी इज्ज़त है और जब वो ये कहते हैं कि बीजेपी को रोकने के लिए वोट देना है, तो शक की कोई गुंजाइश नहीं रह जाती। लेकिन मोदी को इससे कोई खास फर्क नहीं पड़ता, बल्कि मोदी को तो मौका मिल गया एक बार फिर लोगों को ये बताने का कि वोट जिहाद क्या होता है।
दूसरी बात मोदी ये कहते हैं कि कांग्रेस और उसके साथी दल, दलितों का हक़ काटकर मुसलमानों को आरक्षण देना चाहते हैं, कांग्रेस इस बात से इंकार करती है, पर आज ये बात भी साबित हो गई। आज ये बात भी खुल कर सामने आ गई कि मुसलमानों को आरक्षण देने का इरादा तो है। RJD के अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव से जब रिपोर्टर्स ने पूछा कि बीजेपी इल्ज़ाम लगा रही है कि कांग्रेस और उसके साथी सत्ता में आए, तो पिछड़ों और दलितों का आरक्षण मुसलमानों को दे देंगे, तो उन्होने कहा कि मुसलमानों को तो आरक्षण मिलना चाहिए, वो भी पूरा. बाद में जब इस बयान को लेकर बवाल मचा तो लालू यादव ने शाम को सफाई दी कि उन्होंने धर्म के आधार पर मुसलमानों को आरक्षण देने की बात नहीं कही, आरक्षण का आधार तो सामाजिक होता है, धार्मिक नहीं। इसके बाद इस चुनाव में पहली बार सोनिया गांधी का बयान आया। सोनिय़ा गांधी ने अपना एक रिकॉर्डेड बयान जारी किया जिसमें उन्होंने कहा कि नरेन्द्र मोदी के राज में दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों पर ज़ुल्म बढ़े हैं, बीजेपी की नीतियों से पूरे देश में हाहाकार मच गया है। संविधान के लिए ख़तरा पैदा हो गया है, इसलिए देश में कांग्रेस की सरकार जरूरी है।
मोदी अपनी हर पब्लिक मीटिंग में ये कहते हैं कि वो गरीबों के लिए जीते हैं, वो कहते हैं जब तक वो जिंदा हैं, दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों के आरक्षण पर आंच नहीं आने देंगे लेकिन दूसरी तरफ राहुल गांधी भी हर रोज ये कहते हैं कि मोदी आरक्षण खत्म कर देंगे। आज सोनिया गांधी ने भी ये बात कही। अब ये 'मेरी बात तेरी बात' वाला खेल है। मोदी दूसरी बात कहते हैं कि कांग्रेस और उसके साथी दल मुस्लिम तुष्टिकरण की राजनीति कर रहे हैं, वो दलितों का हक़ काटकर मुस्लिमों को देना चाहते हैं। कांग्रेस वाले भी बार बार कहते हैं कि उनका कोई मंसूबा नहीं है लेकिन जब लालू यादव ने कह दिया कि वो मुसलमानों को पूरा आरक्षण देना चाहते हैं, तो मोदी को पूरा मौका मिल गया। (रजत शर्मा)
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