Rajat Sharma’s Blog: मोदी ने गुजरात में शिक्षा के लिए क्या किया?
जैसे ही मोदी के स्कूली बच्चों के साथ ‘स्मार्ट क्लासरूम’ में बैठे होने की तस्वीरें सामने आईं, सियासत शुरू हो गई।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को साफ जाहिर कर दिया कि गुजरात विधानसभा चुनाव विकास के मुद्दे पर लड़ा जाएगा। मोदी ने कहा, जो लोग गुजरात को बदनाम करते हैं, गुजरातियों को गाली देते हैं, गुजरात में जात-पात और मजहब की बात करते हैं, और चुनाव के मौके पर वोट मांगने चले आते हैं, ऐसे लोगों को सबक सिखाने का वक्त है। उन्होंने कहा, 'चुनाव के दौरान गुजराती सबका हिसाब बराबर करेंगे।'
मोदी ने यह साफ कर दिया कि बीजेपी अपने शासनकाल का रिपोर्ट कार्ड भी जनता के सामने रखेगी और स्कूल, अस्पताल, घर, सड़कों, रोजगार और व्यापार जैसे मुद्दों पर जबाव देगी। मोदी ने 10,000 करोड़ रुपये की लागत वाले महत्वाकांक्षी ‘मिशन स्कूल्स ऑफ एक्सीलेंस’ का शुभारंभ किया। उन्होंने भारत के अब तक के सबसे बड़े डिफेंस एक्सपो का उद्घाटन करते हुए रक्षा क्षेत्र के स्वदेशीकरण के बारे में भी बात की। राजकोट में उन्होंने गरीब लोगों को सस्ते लेकिन शानदार घरों की चाबियां भी सौंपीं।
जैसे ही मोदी के स्कूली बच्चों के साथ ‘स्मार्ट क्लासरूम’ में बैठे होने की तस्वीरें सामने आईं, सियासत शुरू हो गई। आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल और दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने तुरंत कहा कि मोदी का स्कूल जाना, बच्चों के बीच बैठना उनकी जीत है। केजरीवाल ने कहा, आम आदमी पार्टी ने शिक्षा को मुद्दा बना दिया, प्रधानमंत्री को स्कूल जाने के लिए मजबूर कर दिया।
‘मिशन स्कूल्स आफ एक्सीलेंस’ के तहत गुजरात के सरकारी स्कूलों में 50,000 नए क्लासरूम बनाए जाएंगे और एक लाख से ज्यादा कक्षाओं को ‘स्मार्ट क्लासरूम’ में तब्दील किया जाएगा। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हाल ही में देश में 5G सर्विस लॉन्च की गई है और अब 5G के जरिए ‘स्मार्ट क्लासरूम और स्मार्ट टीचिंग’ को बेहतर किया जाएगा। मोदी खुद इसका अनुभव लेने पहुंचे थे कि भविष्य में गुजरात के स्कूलों में ‘स्मार्ट क्लासरूम्स’ कैसे होंगे, बच्चे कैसे पढ़ेंगे।
बच्चों के साथ क्लास में बैठे प्रधानमंत्री मोदी की तस्वीरें सोशल मीडिया पर आते ही आम आदमी पार्टी ने उनपर निशाना साधा। केजरीवाल ने कहा कि स्कूल में बच्चों के बीच मोदी की तस्वीर, आम आदमी पार्टी की जीत है। उन्होंने कहा कि मोदी मन से नहीं, मजबूरी में स्कूल गए हैं। केजरीवाल ने कहा कि उन्हें बेहद खुशी है कि आज देश की सभी पार्टियों और नेताओं को शिक्षा और स्कूलों की बात करनी पड़ रही है। उन्होंने कहा, ‘यह हमारी सबसे बड़ी उपलब्धि है।’ इसके बाद केजरीवाल वे कहा कि वह स्कूलों की हालत ठीक करने में एक्सपर्ट हैं, और अगर प्रधानमंत्री चाहें तो सिर्फ गुजरात ही नहीं, पूरे देश के स्कूलों की हालत सुधारने में वह केंद्र सरकार की मदद करने को तैयार हैं।
दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने गुजरात में चुनाव प्रचार करते हुए दावा किया कि दिल्ली के सरकारी स्कूलों की हालत में काफी सुधार हुआ है। उन्होंने गुजरात के सरकारी स्कूलों की स्थिति में भी सुधार का वादा किया। सिसोदिया ने कहा, मोदी स्कूल जाकर, बच्चों के साथ बैठकर हमारी नकल कर रहे हैं। उन्होंने कहा, 'मोदी स्कूल तो पहुंचे लेकिन वहां पहुंचने में उनको देर हो गई है। अगर वह 27 साल पहले स्कूल गए होते तो गुजरात के सरकारी स्कूलों का कायाकल्प हो चुका होता।’
केजरीवाल और सिसोदिया ने बच्चों के साथ बैठे मोदी की सिर्फ एक तस्वीर पर कमेंट किया, लेकिन पूरी बात नहीं बताई। ‘मिशन स्कूल्स ऑफ एक्सीलेंस’ के शुभारंभ के अवसर पर मोदी 7 ‘स्पेशल’ युवाओं से मिलना चाहते थे। मैं इन युवाओं को 'स्पेशल' इसलिए कह रहा हूं क्योंकि जब ये छोटे थे तो बतौर मुख्यमंत्री मोदी खुद इनको अपने 'शाला महोत्सव' कार्यक्रम के तहत स्कूल ले गए थे और इनका ऐडमिशन कराया था।
इस प्रोग्राम की शुरूआत आज से करीब 20 साल पहले यानी जून 2003 में की गई। इस कार्यक्रम के तहत बच्चों के लिए मुफ्त शिक्षा का इंतजाम किया गया था। उस वक्त मोदी खुद गांव-गांव जाते, माता-पिता से अपने बच्चों को, खासकर बेटियों को स्कूल भेजने को कहते। इसी दौरान उन्होंने आदिवासी गांवों में जाकर कई बच्चों का स्कूल में दाखिला करवाया। जिन बच्चों को मोदी अंगुली पकड़कर स्कूल के गेट तक ले गए, वे अब बड़े हो चुके हैं।
मोदी ने कहा, ‘अभी जो बच्चे मुझे मिले, वे वो बच्चे थे, जब 2003 में पहला स्कूल प्रवेशोत्सव किया था और मैं आदिवासी गांव में गया था। 40-45 डिग्री गर्मी थी। 13,14 और 15 जून के वह दिन थे और जिस गांव में बच्चों का सबसे कम शिक्षण था, और लड़कियों की सबसे कम शिक्षा थी, उस गांव में मैं गया था। और मैंने गांव में कहा था कि मैं भिक्षा मांगने आया हूं। और आप मुझे भिक्षा में वचन दीजिए, कि मुझे आपकी बालिका को पढ़ाना है, और आप अपनी लड़कियों को पढ़ायेंगे। और उससे पहले कार्यक्रम में जिन बच्चों की उंगली पकड़कर मैं स्कूल ले गया था, उन बच्चों का आज मुझे दर्शन करने का मौका मिला है। इस मौके पर मैं सबसे पहले उनके माता-पिता को वंदन करता हूं, क्योंकि उन्होंने मेरी बात को स्वीकारा।’
ये सभी 7 पूर्व छात्र नर्मदा जिले के डेढ़ियापाड़ा इलाके के हैं। इनके नाम दिलीप भाई, कल्पना बेन, दिलीप कुमार, अरुणा बेन, कमलेश भाई, कृष्णा बेन और विमला बेन हैं। ये सभी पूर्व छात्र अब अपनी पढ़ाई पूरी करके नौकरी कर रहे हैं। इसमें से कोई पुलिस में है, कोई जूनियर असिस्टेंट है तो कोई बैंक में नौकरी कर रहा है।
प्रधानमंत्री के प्रोग्राम के बाद हमारे संवाददाता निर्णय कपूर ने इन सातों पूर्व छात्रों से बात की। उन्होंने कहा कि गुजरात में अब तो स्कूलों की सूरत काफी बदल चुकी है। जब वे छोटे थे, तब पढ़ाई के लिए न तो अच्छे सरकारी स्कूल थे, न माता-पिता के पास इतना पैसा कि वे प्राइवेट स्कूल में पढ़ा सकें। उनमें से एक ने कहा, ‘उस समय मोदी ने मुफ्त में पढ़ाई का इंतजाम कर दिया, स्कूलों की हालत सुधार दी। इसके चलते गुजरात के लाखों बच्चों का भविष्य सुधर गया।’
मोदी ने 20 साल पहले 2003 में इन बच्चों का दाखिला स्कूल में करवाया था। आम आदमी पार्टी इसके 10 साल बाद 2013 में बनी है। केजरीवाल कह रहे हैं कि मोदी ने बच्चों के लिए बेहतर शिक्षा और बेहतर स्कूल का आइडिया उनसे चुराया है। सिसोदिया दावा कर रहे हैं कि मोदी बुधवार को पहली बार सरकारी स्कूल में गए हैं।
मैं आपको बता दूं कि मोदी बुधवार को किसी स्कूल में नहीं गए थे। उन्होंने तो ‘मिशन स्कूल्स ऑफ एक्सिलेंस’ का उदघाटन किया। इस मिशन के तहत अब गुजरात के सरकारी स्कूलों की कक्षाओं को ‘स्मार्ट क्लासरूम’ में बदला जाएगा। मोदी जहां कुछ छात्रों के साथ बैठे थे, वह कोई स्कूल नहीं बल्कि 'स्मार्ट क्लासरूम' का एक मॉडल था।
गुजरात बीजेपी के नेताओं ने 2003 की कुछ ऐसी तस्वीरें दिखाईं जिनमें मोदी 'शाला उत्सव' के दौरान सरकारी स्कूलों में नजर आ रहे हैं। ‘शाला उत्सव’ मोदी का ही आइडिया था। मोदी के बड़े भाई सोमाभाई मोदी ने कहा, 'बचपन में हमारे गांव में एक स्कूल था। उसके प्रिंसिपल खुद घर-घर जाकर बच्चों को स्कूल लाते थे और उनका दाखिला कराते थे। प्रिंसिपल इन बच्चों और उनके माता-पिता को साथ लेकर जुलूस की शक्ल में सड़क पर निकलते थे और शिक्षा के महत्व के बारे में बताते थे। प्रिंसिपल ने ही नरेंद्र मोदी को स्कूल में भर्ती कराया था। ऐसे में 'शाला उत्सव' का आइडिया मोदी को वहीं से आया था।’
2003 में मुख्यमंत्री रहते हुए नरेंद्र मोदी ने स्कूल में बच्चों का एनरोलमेंट रेट बढ़ाने के लिए ‘शाला प्रवेशोत्सव’ अभियान शुरू किया था। इसका फायदा यह हुआ कि 2020-21 तक सरकारी स्कूलों में छात्रों की भर्ती का रेट 24 फीसदी बढ़ गया। पहली से आठवीं कक्षा के बच्चों के पढ़ाई बीच में छोड़ने में भी करीब 19 फीसदी की कमी आ गई। ‘प्रवेशोत्सव’ के साथ गुजरात में नरेंद्र मोदी ने ‘कन्या केलवणी महोत्सव’ शुरू किया, जिससे कि लड़कियां भी पढ़ाई के मामले में लड़कों की बराबरी कर सकें। इससे लड़कियों के पढ़ाई बीच में छोड़ने की संख्या में काफी कमी आई।
2001 से 2021 के दौरान गुजरात में 1.37 लाख कक्षाओं का निर्माण किया गया। पिछले 20 साल में गुजरात सरकार ने दो लाख से ज्यादा शिक्षकों की भर्ती की है। गुजरात में सरकार हर छात्र की पढ़ाई पर नजर रखती है। इसके लिए ‘विद्या समीक्षा केंद्र’ शुरू किया गया है। यह एक डिजिटल मॉनिटरिंग सेंटर है जिसके जरिए हर छात्र की की शैक्षिक प्रगति पर नजर रहती है। गुजरात 2020 में बनी नई शिक्षा नीति लागू करने के मामले में भी काफ़ी आगे है। गुजरात में सरकारी स्कूल के शिक्षकों ने कोविड महामारी के दौरान 2.5 करोड़ से अधिक ऑनलाइन कक्षाएं लीं।
गुजरात देश का पहला राज्य है, जहां पर सरकार ने अपनी एडूटेक कंपनी (Edutech) खोली है। यह कंपनी जी-शाला ऐप (G-Shala App) के जरिए ऑनलाइन पढ़ाई करवाती है। इस ऐप को 30 लाख से ज्यादा बार डाउनलोड किया गया है। गुजरात में सरकारी शिक्षा में सुधार का इतना असर हुआ है कि पिछले 4 साल में 11 लाख से ज्यादा छात्रों ने प्राइवेट स्कूल छोड़कर सरकारी स्कूलों में दाखिला लिया है।
गुजरात के स्कूलों को लेकर विवाद पैदा करने की कोशिश हुई। गुजरात में शिक्षा के सुधार के लिए, स्कूलों की बेहतरी के लिए मोदी ने कितना काम किया, ये बताने के लिए न तस्वीरों की जरूरत है और न किसी सर्वे की। ये तो गुजरात के छात्र बताते हैं, उनके पैरेन्ट्स बताते हैं। इसलिए केजरीवाल की इस बात में दम नहीं है कि स्कूलों के मामले में मोदी उनकी नकल कर रहे हैं। यह बेकार की बात है कि मोदी बुधवार को इसलिए स्कूल गए क्योंकि केजरीवाल स्कूलों में जाते हैं। सच्चाई यह है कि मोदी तो किसी स्कूल में गए ही नहीं। मोदी ने तो यह बताने के लिए ‘स्कूल ऑफ एक्सीलेंस’ के एक मॉडल का उद्घाटन किया कि गुजरात में भविष्य के स्कूल कैसे होंगे। इसलिए किसी मॉडल की नकल करने का तो कोई सवाल ही पैदा नहीं होता।
मिशन स्कूल ऑफ एक्सीलेंस के अंतर्गत गुजरात के 20,000 स्कूलों को अपग्रेड करके वर्ल्ड क्लास बनाया जाएगा। इनमें 15 हजार सरकारी प्राइमरी स्कूल और 5 हजार सेकेंडरी एवं हायर सेकेंडरी स्कूल शामिल हैं। इन स्कूलों को वर्ल्ड क्लास डिजिटल सुविधाएं मुहैया कराई जाएंगी, स्मार्ट क्लासेज बनाई जाएंगी। इन स्कूलों में हर ग्रेड के लिए अलग से एक टीचर और अलग क्लासरूम की सुविधा दी जाएगी। लेकिन ऐसा नहीं है कि इससे सिर्फ 20,000 स्कूलों को ही फायदा होगा। इस मिशन के तहत उन स्कूलों की भी मदद की जाएगी जहां सुविधाओं की कमी है।
असल में नरेंद्र मोदी ने तो गुजरात के स्कूलों को सुधारने का काम तभी शुरू कर दिया था जब केजरीवाल इनकम टैक्स की नौकरी छोड़कर NGO चला रहे थे। अगर केजरीवाल अपने काम का बखान करते कि दिल्ली में उन्होंने स्कूलों के लिए क्या किया, तो अच्छा होता। गुजरात जाकर यह कहना कि मोदी की स्कूलों को सुधारने की मुहिम केजरीवाल से प्रेरित है, यह किसी भी गुजराती के गले नहीं उतरेगा।
मोदी के बारे में कोई यह नहीं कह सकता कि वह काम नहीं करते। वह 13 साल गुजरात के मुख्यमंत्री रहे और उनका काम बोलता था। काम ने ही मोदी को इतना बड़ा नेता बनाया। वह पिछले 8 साल से देश के प्रधानमंत्री हैं और उन्होंने काम करने में, मेहनत करने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
प्रधानमंत्री मोदी ने बुधवार को राजकोट में एक रेसिडेंशल सोसायटी के 1,144 फ्लैटों की चाबियां लाभार्थियों को सौंपी। 10 एकड़ में फैली इस सोसायटी में 11 ब्लॉक हैं, और हरेक बिल्डिंग 13 मंजिल की हैं। इन 13 मंजिला इमारतों को 26 दिनों में तैयार किया गया था। प्रत्येक बिल्डिंग में 104 2-बीएचके फ्लैट हैं।
इस सोसायटी में एक हेल्थ सेंटर, एक आंगनवाड़ी, एक शॉपिंग सेंटर, बड़ों के लिए एक पार्क और बच्चों के लिए खेल का मैदान है। इसके अलावा एक कॉमन एरिया भी है जहां सोलर लाइट लगाई गई है। राजकोट में मोदी का भव्य स्वागत हुआ। एयरपोर्ट से रेसकोर्स ग्राउंड तक की दूरी महज डेढ़ किलोमीटर है, लेकिन ये फासला तय करने में मोदी को करीब आधे घंटे का वक्त लग गया। मोदी को देखने के लिए जबरदस्त भीड़ जुटी थी।
राजकोट में लाइटहाउस प्रोजेक्ट के तहत 10 लाख रुपये की लागत वाले ये 2 बीएचके फ्लैट सिर्फ निम्न आय वर्ग के उन लोगों को दिए गए हैं जिनकी सालाना आमदनी 3 लाख रुपये से कम है। 10 लाख रुपये के इन फ्लैट्स पर सरकार 6.5 लाख रुपये की सब्सिडी दे रही है, जबकि बाकी के 3.5 लाख रुपये चुकाने के लिए लाभार्थियों को कम ब्याज पर होम लोन की सुविधा भी दी गई है। हर बिल्डिंग के फर्स्ट फ्लोर में 5 फ्लैट दिव्यांगों के लिए आरक्षित किए गए हैं।
गरीबों के लिए सस्ते आवास मुहैया कराकर मोदी ने उन लोगों का मुंह बंद करने की कोशिश की है जो आरोप लगाते रहे हैं कि उनकी सरकार गरीब तबके की भलाई के लिए काम नहीं करती है। मोदी हमेशा अपनी पार्टी के नेताओं से कहते हैं कि जमीन पर आपका काम मायने रखता है, फिर कोई चाहे आपके बारे में कितना भी झूठ फैलाए। इस तरह के झूठ का कोई असर नहीं होगा। काम देखकर जनता तय कर लेगी कि कौन सच बोल रहा है और कौन झूठ। (रजत शर्मा)
देखें: ‘आज की बात, रजत शर्मा के साथ’ 19 अक्टूबर, 2022 का पूरा एपिसोड