Rajat Sharma's Blog | सिसोदिया की रिहाई : केजरीवाल को फायदा
मनीष सिसोदिया अरविन्द केजरीवाल और पार्टी के बीच पुल का काम करेंगे। सिसोदिया को जमानत मिलने का असर दिल्ली की सियासत पर पड़ेगा। आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा, बीजेपी के नेता डिफेन्सिव पर होंगे।
17 महीने तक जेल में रहने के बाद, शराब घोटाले के आरोपी और दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया शुक्रवार को तिहाड़ जेल से रिहा हो गए। सुबह उन्हें सुप्रीम कोर्ट ने ज़मानत दे दी थी। जेल से छूटते ही मनीष सिसोदिया ने नारे लगवाए 'जेल के ताले टूटेंगे, अरविन्द केजरीवाल छूटेंगे', 'भ्रष्टाचार का एक ही काल, केजरीवाल केजरीवाल'। मनीष सिसोदिया ने कहा कि वो सुप्रीम कोर्ट के शुक्रगुजार हैं क्योंकि तानाशाही के तहत उन्हें जेल में डाला गया और सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें राहत दी। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई और केवी विश्वनाथन की बैंच ने अपने फैसले में कहा कि चूंकि केस की सुनवाई में देरी हो रही है, जांच एजेंसियां इस केस से जुड़े दस्तावेज जब्त कर चुकी हैं, गवाहों के बयान हो गए हैं, आरोपियों की गिरफ्तारी हो गई है, इसलिए अब इस केस में सबूतों से छेड़छाड़ की गुंजाइश नहीं हैं।
अदालत ने कहा कि मामले में 493 गवाह हैं, एक लाख पन्नों से ज्यादा के दस्तावेज हैं, इसलिए मुकदमा लंबा चलेगा और किसी को अनिश्चिकाल तक जेल में नहीं रखा जा सकता, इसलिए मनीष सिसोदिया जमानत के हकदार हैं। हालांकि कोर्ट ने जमानत के फैसले में केस की मैरिट पर कुछ नहीं कहा लेकिन आम आदमी पार्टी ने मनीष सिसोदिया को मिली जमानत को सच्चाई की जीत बताया। कहा, बीजेपी ने साजिश के तहत झूठे केस में फंसा कर आम आदमी पार्टी के नेताओं को जेल में डाला है, जल्दी ही अरविन्द केजरीवाल भी जेल से बाहर आएंगे।
मनीष सिसोदिया के जेल से बाहर आने से पहले ही आम आदमी पार्टी के भीतर सियासत शुरू हो गई। आम आदमी पार्टी की बागी सांसद स्वाति मालीवाल ने कहा कि वो मनीष सिसोदिया की जमानत से खुश हैं, अब वो दिल्ली सरकार की कमान संभालेंगे, यानि मनीष सिसोदिया को मुख्यमंत्री बनाने की मांग की जबकि मंत्री सौरभ भारद्वाज ने कहा कि सिसोदिया फिर से वही विभाग संभालेंगे, जो उनके पास पहले से थे यानि उन्हें मंत्री बनाया जाएगा। तिहाड़ जेल से निकलकर सिसोदिया सीधे अरविंद केजरीवाल के घर पहुंचे और उनकी पत्नी सुनीता केजरीवाल और उनके माता-पिता से मिले।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सिसोदिया के स्पीडी ट्रायल के अधिकार का हनन हुआ है, वो पिछले 17 महीने से जेल में हैं और मुक़दमे की सुनवाई के जल्द आसार नहीं दिख रहे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ट्रायल कोर्ट और हाई कोर्ट इस बुनियादी नियम को भूल गए हैं कि बेल रूल है, जेल नहीं और किसी की ज़मानत रोककर उसको सज़ा नहीं दी जा सकती। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मनीष सिसोदिया के भागने की कोई आशंका नहीं और सबूतों से छेड़-छाड़ का भी कोई डर नहीं है क्योंकि जांच एजेंसी ने सारे सबूत रिकॉर्ड के तौर पर कोर्ट में जमा करा दिए हैं। इसलिए मनीष सिसोदिया को जेल में रखना ठीक नहीं होगा।।जस्टिस गवई और जस्टिस विश्वनाथन की बेंच ने कहा अगर ट्रायल में देर हो रही है, तो इसके लिए आरोपी ज़िम्मेदार नहीं है और मुक़दमा पूरा होने तक आरोपी को जेल में रखना संविधान के अनुच्छेद 21 के ख़िलाफ़ है। इसलिए सिसोदिया को ज़मानत दी जाती है। कोर्ट ने फैसले में कहा सिसोदिया अपना पासपोर्ट कोर्ट में जमा कराना होगा, और सप्ताह में दो बार थाने में जांच अधिकारी के सामने हाजिरी लगाएं।
शराब घोटाले में मनीष सिसोदिया को पिछले साल 26 फरवरी को CBI ने गिरफ़्तार किया था। इसके बाद 9 मार्च को उसी केस में ED ने भी उन्हें गिरफ्तार किया था। इन 17 महीनों में सिसोदिया ने ट्रायल कोर्ट से लेकर हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक जमानत की अर्जियां लगाई लेकिन जमानत की उनकी सात अर्जियां खारिज हुई। अब जाकर सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी है। इसलिए कार्यकर्ता को खुश होना तो लाजिमी है। अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि सिसोदिया के जेल से बाहर आने के बाद पार्टी और सरकार में उनकी क्या भूमिका होगी? क्या उन्हें पहले की तरह दोबारा उपमुख्यमंत्री बनाया जाएगा? चूंकि केजरीवाल जेल में हैं, इसलिए क्या मनीष सिसोदिया अब फिलहाल पार्टी के सर्वेसर्वा होंगे? इसको लेकर तमाम क़यास लगाए जा रहे हैं।
सिसोदिया को जमानत मिलना, उनका जेल से बाहर आना, ये आम आदमी पार्टी के लिए बहुत बड़ी बात है। अब आम आदमी पार्टी के नेताओं को ये उम्मीद बंधी है कि इसी आधार पर अरविन्द केजरीवाल भी बाहर आ सकते हैं। मनीष सिसोदिया ने जेल से बाहर आने के बाद यही नारा लगवाया कि 'जेल के ताले टूटेंगे, केजरीवाल छूंटेंगे, भ्रष्टाचार का एक ही काल, केजरीवाल केजरीवाल'। ये नारा सिसोदिया ने कार्यकर्ताओं का जोश बढ़ाने के लिए नहीं लगाया, उन्होंने अपनी स्थिति साफ करने के लिए लगाया। असल में राजनीति पर अफवाहों का, चर्चाओं का बड़ा असर होता है। पहले भी ये बात फैलाई गई थी कि केजरीवाल ने ED के सामने कबूल किया है कि उन्होंने मनीष सिसोदिया के कहने पर शराब नीति को मंजूरी दी थी। इसके बाद से ही ये चर्चा शुरू हो गई थी कि केजरीवाल और सिसोदिया के बीच मनमुटाव है, सिसोदिया केजरीवाल के खिलाफ जा सकते हैं। इसीलिए केजरीवाल ने कोर्ट में अपना पक्ष साफ किया था। और अब सिसोदिया ने केजरीवाल के पक्ष में नारा लगवाकर, जेल से निकलकर सीधे केजरीवाल के घर जाकर, अपनी स्थिति साफ की है।
दूसरी बात, जो लोग ये कह रहे हैं कि मनीष सिसोदिया को अरविन्द केजरीवाल दिल्ली का मुख्यमंत्री बना सकते है, मुझे लगता है कि इसकी संभावना न के बराबर है क्योंकि केजरीवाल दिल्ली सरकार और आम आदमी पार्टी पर अपना नियंत्रण रखना चाहेंगे। हां, ये हो सकता है कि केजरीवाल सिसोदिया को फिर से डिप्टी सीएम बनाएं और अपनी जगह कैबिनेट की मीटिंग की अध्यक्षता करने का हक दे दें। इससे कैबिनेट की मीटिंग हो सकेगी। मनीष सिसोदिया अरविन्द केजरीवाल और पार्टी के बीच पुल का काम करेंगे। सिसोदिया को जमानत मिलने का असर दिल्ली की सियासत पर पड़ेगा। आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ेगा, बीजेपी के नेता डिफेन्सिव पर होंगे। जहां तक शराब घोटाले में ED और CBI के केस का सवाल है तो जमानत मिलने से कानूनी तौर पर केस पर कोई असर नहीं पड़ेगा। (रजत शर्मा)
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