Rajat Sharma's Blog: मोदी के हाथों राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का राजनीतिक असर क्या होगा?
अगर नरेंद्र मोदी राम मंदिर के निर्माण में इतनी तत्परता नहीं दिखाते, इस काम की लगातार निगरानी न करते, तो राम मंदिर इतनी जल्दी और इतना शानदार न बन पाता। रामलला को उनका घर दिलाने के अवसर को, प्राण प्रतिष्ठा को भी नरेंद्र मोदी ने व्यक्तिगत रुचि लेकर, भव्य और दिव्य बनाने के लिए पूरी ताकत लगा दी है ।
अयोध्या के राम मंदिर में पहला स्वर्ण द्वार लग गया। ऐसे 13 और स्वर्ण द्वार मंदिर में अगले तीन दिनों के अन्दर लग जाएंगे। 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा की तैयारी की निगरानी योगी आदित्यनाथ की जिम्मेदारी है। योगी आदित्यनाथ ने मंगलवार को अय़ोध्या जाकर सारी तैयारियों का मुआयना किया, ताकि 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम का नज़ारा भव्य, दिव्य और अद्भुत हो। योगी ने कहा कि 22 जनवरी को रामोत्सव के रूप में राष्ट्रीय उत्सव मनाया जाएगा, उस दिन पूरे प्रदेश में स्कूल कॉलेज बंद रहेंगे, सभी सरकारी इमारतों को सजाया जाएगा, उस दिन पूरे प्रदेश में न तो शराब बिकेगी और न ही मांस-मछली की बिक्री होगी। एक तरफ राम मंदिर को लेकर उत्साह है, प्राण प्रतिष्ठा को लेकर तैयारियां तेज हो गई हैं, दूसरी तरफ राम लला की प्राण प्रतिष्ठा के समारोह को लेकर सियासत भी उसी रफ्तार से तेज होती जा रही है। कई हफ्तों के इंतज़ार के बाद बुधवार को कांग्रेस ने ऐलान किया कि पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, सोनिया गांधी और अधीर रंजन चौधरी समारेह में नहीं जाएंगे क्योंकि ‘इस अपूर्ण मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा बीजेपी और आरएसएस के नेता चुनावी फायदे के लिए जल्दबाजी में करा रहे हैं।’
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने कहा कि चाहे कोई किसी का भगवान हो उनके भगवान तो PDA यानी पिछड़े, दलित और अल्पसंख्यक हैं। कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी और योगी आदित्यनाथ राम मंदिर का क्रेडिट लेने की कोशिश कर रहे हैं, और पानी की तरह पैसे बहा रहे हैं। ममता बनर्जी ने कहा कि बीजेपी चुनाव से पहले gimmick (हथकंडा) कर रही है। कांग्रेस नेता कमलनाथ ने कहा, बीजेपी को राम मंदिर का पट्टा नहीं मिला है, ये तो कोर्ट के आदेश के बाद बन रहा है। शरद पवार ने कहा कि उन्हें अभी तक निमंत्रण तो नहीं मिला है लेकिन वो इतनी भीड़ की बजाय अगले दो तीन साल में कभी भी राम मंदिर जा सकते हैं। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राम मंदिर के लिए पत्थर तो राजस्थान से ही गए हैं, पहले गैरकानूनी तरीके से पत्थर ले जाए जा रहे थे लेकिन हमारी सरकार ने उसकी अनुमति दी, पत्थर भेजने में मदद की, लेकिन शुक्रिया कहना तो दूर, कोई नाम भी नहीं ले रहा।
राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से विरोधी दलों के नेताओं ने दूरी बना रखी है। कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने कहा, बीजेपी राम मंदिर के नाम पर राजनीति कर रही है, ये सही बात नहीं है। मंगलवार को सबसे चौंकाने वाली तस्वीरें लखनऊ से आईं। लखनऊ में समाजवादी पार्टी ने अपने मुख्यालय के बाहर बैनर-पोस्टर लगाए हैं। इन पोस्टर्स में लिखा है- ‘आ रहे हैं हमारे आराध्य, प्रभु श्री राम’। अयोध्या में बन रहे राम मंदिर के दो पक्ष हैं। एक पक्ष जो करोड़ों लोगों की आस्था और विश्वास से जुड़ा है, रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के लिए हिंदू समाज ने साढ़े पांच सौ साल प्रतीक्षा की है। अगर नरेंद्र मोदी राम मंदिर के निर्माण में इतनी तत्परता नहीं दिखाते, इस काम की लगातार निगरानी न करते, तो राम मंदिर इतनी जल्दी और इतना शानदार न बन पाता। रामलला को उनका घर दिलाने के अवसर को, प्राण प्रतिष्ठा को भी नरेंद्र मोदी ने व्यक्तिगत रुचि लेकर, भव्य और दिव्य बनाने के लिए पूरी ताकत लगा दी है। विश्व हिदू परिषद ने इसे जन-जन से जोड़ दिया है। बीजेपी ने भी चुनाव से पहले मंदिर के निर्माण और रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को अपने अभियान में शामिल कर लिया है। यहीं से इसका दूसरा पक्ष शुरू होता है। विरोधी दलों के नेता असमंजस में है। रामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में जाएं या न जाएं, खुलकर भव्य राम मंदिर निर्माण की प्रशंसा करें या न करें, अलग अलग नेताओं की अलग-अलग राय है। कई विरोधी दलों को लगता है कि अगर वो खुलकर राम मंदिर के भव्य समारोह में शामिल हुए तो उनका मुस्लिम वोट बैंक उनसे छिटक सकता है। इसलिए वो बेसिर पैर के बयान दे रहे हैं, जैसे कि बिहार में जेडी-यू और आरजेडी के कुछ नेताओं ने दिया है। कुछ को लगता है कि राम मंदिर अगर चुनावों में मुद्दा बना तो बीजेपी को इसका फायदा हो जाएगा। इसलिए वो राम मंदिर के राजनैतिक इस्तेमाल का सवाल उठा रहे हैं। लेकिन उन्हें शायद ये नहीं मालूम कि भगवान श्रीराम से जुड़े समारोहों का सिलसिला सिर्फ 22 जनवरी तक नहीं चलेगा। इसके बाद कई महीनों तक देश भर से हर राज्य से लाखों लोगों को रामलला के दर्शन के लिए अयोध्या लाने का बड़ा अभियान चलाया जाएगा। जब लोकसभा चुनाव की गर्मी शुरू हो चुकी होगी तब अयोध्या में धूमधाम से रामनवमी मनाई जाएगी। ये सब बातें इंडी एलायंस की परेशानियां और बढ़ा सकती हैं। वैसे इस समय इंडी एलायंस की सबसे बड़ी परेशानी सीट हिस्सेदारी को लेकर है। बीजेपी रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को सफल बनाने में जुटी है तो कांग्रेस अपना एलायंस बचाने में लगी है। (रजत शर्मा)
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