Rajat Sharma’s Blog | पाकिस्तान : इमरान को लेकर सियासी पेंच
इमरान खान भी सरकार की रणनीति समझ रहे हैं, इसीलिए वो पूरी कोशिश करेंगे कि मुल्क में ऐसे हालात बना दिए जाएं, आवाम को इतना भड़का दिया जाए, जिससे सरकार तुरंत चुनाव कराने पर मजबूर हो जाए
आखिरकार शुक्रवार देर रात पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को इस्लामाबाद हाई कोर्ट परिसर से रिहा किया गया. वे कारों के एक काफिले के साथ लाहौर रवाना हुए. रास्ते में हजारों पार्टी कार्यकर्ताओं ने टॉल प्लाज़ा पर उनका स्वागत किया. अपनी रिहाई से पहले, इमरान खान ने एक वीडियो में आरोप लगाया कि इस्लामाबाद के आई जी पुलिस अकबर नासिर ने देर रात तक उन्हें अदालत परिसर में रोक कर रखने की कोशिश की, लेकिन जब उन्होंने धमकी दी कि वो अपने कार्यकर्ताओं से प्रोटैस्ट करने के लिए कहेंगे, तो पुलिस अधिकारी ढीले पड़ गये और उन्हें जाने दिया. हाई कोर्ट की चार अलग अलग बेंचों ने एक दर्जन से ज्यादा मामलों में इमरान खान को ज़मानत दे दी और उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगा दी. इमरान खान को बेल मिलने से प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ काफी हताश हैं. कोर्ट ने उनके बने बनाए प्लान पर पानी फेर दिया. उन्होंने तो सोचा था कि इमरान पर इतने केस करेंगे, इतने केस करेंगे कि उन्हें समझ ही न आएगा कि जेल से निकलें तो कैसे निकलें. वो तो इमरान को मुकदमों में फंसाकर चुनाव लड़ने के अयोग्य घोषित करवाना चाहते थे, लेकिन कोर्ट ने इमरान को हीरो बना दिया.
अब लगता है कि अदालत इमरान को गिरफ्तार होने नहीं देगी और हुकूमत इमरान को बाहर रहने नहीं देगी. शुक्रवार को भी इमरान को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस मौजूद थी. पाकिस्तान के गृह मंत्री राणा सनाउल्लाह समेत सरकार के तमाम मंत्रियों ने कहा कि इमरान ने दो सौ लोगों को ट्रेन किया, बम चलाने, आग लगाने की ट्रेनिंग दी, फौजी अफसरों के घर जलवाए, उसे तो हर हालत में जेल में डालेंगे, लेकिन सरकार के लोग इस बात से खफा भी हैं, और हैरान भी हैं कि कोर्ट ने इमरान को सिर्फ प्रोटैक्शन नहीं दी, इज्जत भी दी और “ हैप्पी टू सी यू” कहा. अब वो कह रहे हैं आखिर बकरे की अम्मा कब तक खैर मनाएगी? कब तक कोर्ट इमरान को बचा पाएगी? सरकार के लोग अब अदालत के खिलाफ मोर्चा खोलेंगे, जजों के खिलाफ प्रोटेस्ट करवाएंगे लेकिन इमरान को इसका भी फायदा होगा. गौर करने वाली बात ये है कि पाकिस्तान में चीफ जस्टिस उमर अता बंदियाल और पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी दोनों इमरान खान को सपोर्ट कर रहे हैं, दोनों चाहते हैं कि मुल्क में तुरंत चुनाव करवाए जाएं, और हुकूमत चुनाव टालना चाहती है. अब 9 सितंबर को राष्ट्रपति आरिफ अल्वी का कार्यकाल खत्म हो रहा है और 16 सितंबर को पाकिस्तान के चीफ जस्टिस उमर अता बंदियाल रिटायर हो जाएंगे, इसलिए ऐसा लग रहा है कि शहबाज शरीफ की कोशिश ये होगी कि सितंबर तक इमरान खान को कोर्ट और जेल के चक्कर कटवाए जाएं, सितंबर के बाद जब राष्ट्रपति और चीफ जस्टिस अपनी मर्जी के हों, उसके बाद इमरान खान और उनकी पार्टी को चुनाव लड़ने से अयोग्य घोषित किया जाए, उसके बाद ही पाकिस्तान में चुनाव हों. चूंकि इमरान खान भी सरकार की रणनीति समझ रहे हैं, इसीलिए वो पूरी कोशिश करेंगे कि मुल्क में ऐसे हालात बना दिए जाएं, आवाम को इतना भड़का दिया जाए, जिससे सरकार तुरंत चुनाव कराने पर मजबूर हो जाए. पाकिस्तान में यही खेल चल रहा है.
समीर वानखेडे़ पर सीबीआई के छापे
केंद्रीय जांच ब्यूरो ने शुक्रवार को नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के पूर्व ज़ोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े समेत पांच लोगों के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में एफआईआर फाइल की. इससे पहले सीबीआई ने मुंबई, दिल्ली, कानपुर, रांची में 29 ठिकानों पर छापे मारे. समीर वानखेड़े भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी हैं. समीर ने दो साल पहले मुंबई में एक जहाज़ पर छापा मरवा कर मादक पदार्थ जब्त करने के मामले में सुपरस्टार शाहरुख खान के बेटे आर्यन खान को गिरफ्तार किया था. उस वक्त समीर वानखेड़े के खिलाफ कई आरोप लगाये गये और उन्हें एनसीबी से हटा दिया गया. ऐसे सबूत मिले हैं कि समीर वानखेड़े ने शाहरुख खान के बेटे आर्य़न के खिलाफ एक फर्जी मामला दायर किया था और उसे रिहा करने के एवज में 25 करोड रु. की रिश्वत मांगी थी. 25 लाख रुपये नकद वानखेड़े को एडवान्स के तौर पर दिये गये थे. आर्यन खान को 22 दिन बाद जेल से रिहा कर दिया गया, और बाद में एनसीबी ने उसे क्लीन चिट दे दी. एनसीबी की विजिलेंस टीम ने मामले की जांच की और अपनी रिपोर्ट एनसीबी के निदेशक और गृह मंत्रालय के पास भेजी, जिसके बाद सीबीआई ने भ्रष्टाचार का मामला दर्ज़ किया.
वानखेड़े इस समय चेन्नई में टैक्सपेयर्स सर्विसेज विभाग में तैनात हैं. वो लोग जो समीर वानखेड़े को ‘मोस्ट ऑनेस्ट ऑफ़िसर’ कहते थे, हीरो बताते थे, अब ख़ामोश हैं.. ये बात बिल्कुल साफ़ है, समीर ने आर्यन पर झूठा केस बनाया, आर्यन को 22 दिन जेल में रहना पड़ा. मैंने उस वक़्त भी कहा था कि समीर वानखेड़े ने फ़र्ज़ी केस बनाया, आर्यन के पास से कोई ड्रग नहीं मिली थी लेकिन, सिस्टम ऐसा है कि फिर भी उन्हें जेल भेज दिया गया.. और आंकड़ा तो देखिए, 25 करोड़ रुपये, जो आर्यन को छोड़ने के लिए समीर वानखेड़े ने मांगे थे, करप्शन की, ब्लैकमेल की, लालच की सारी हदें पार कर दीं. आर्यन के वो 22 दिन तो वापस नहीं आ सकते, लेकिन लोगों का भगवान पर भरोसा ज़रूर बढ़ जाएगा. ज़ुल्म करने वाले का हिसाब इसी दुनिया में होता है. ऊपरवाला देखता है. समीर पर सीबीआई का केस इसी का उदाहरण है.
The Kerala Story: बैन करने से कोई फायदा नहीं होगा
उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार को अपने मंत्रियों और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी के साथ लखनऊ में The Kerala Story फिल्म देखी और बाद में उसकी तारीफ की. उन्होंने कहा कि इस फिल्म से साफ है किस तरह आतंकवादी संगठन हिन्दू लड़कियों का धर्मांतरण करके उनका गलत इस्तेमाल कर रहे हैं. उत्तर प्रदेश में इस फिल्म को टैक्स फ्री घोषित किया गया है. शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार से प्रश्न किया कि उसने अपने राज्य में फिल्म के प्रदर्शन पर प्रतिबंध क्यों लगाया जबकि इसे देश के दूसरे सभी राज्यों में दिखाया जा रहा है. मुख्य न्यायाधीश डी वाई चन्द्रचूड और न्यायाधीश पी. एस. नरसिम्हा ने कहा, पश्चिम बंगाल देश के दूसरे राज्यों से कोई अलग नहीं है. अगर जनता ये महसूस करे कि ये फिल्म देखने लायक नहीं हैं, तो वह नहीं देखेगी. ‘द केरल स्टोरी’ एक फिल्म है. इस पर सियासत करने की बजाय इसे एक आर्ट की तरह, एक क्रिएटिव काम की तरह लिया जाना चाहिए, जिसे अच्छी लगे, देखे. जिसे न पसंद आए, न देखे. तमिलनाडु और बंगाल की सरकारों ने बैन करने के लिए जो कानून और व्यवस्था खराब होने के अंदेशे का जो तर्क दिया, वो बेमानी है. ऐसे तो कोई भी सरकार, कभी भी इंटेलिजेंस इनपुट की बात कहके, कानून और व्यवस्था ख़राब होने का डर दिखाकर, किसी भी फिल्म को बैन कर सकती है. वैसे भी, डिजिटल इंडिया के ज़माने में लोग घर बैठे सब कुछ देख लेते हैं, इस तरह के प्रतिबंध का कोई मतलब नहीं रहता. (रजत शर्मा)
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